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शहर और गांव के बीच की दूरी मिटे
बेहतर बजट के लिए जनप्रतिनिधियों ने साझा की अपनी राय 28 फरवरी को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आम बजट पेश करेगी. इस बजट से झारखंड वासियों को काफी उम्मीदें हैं. राज्य में भी नयी सरकार बनी है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय मंत्रियों के सामने कई योजनाओं का खाका पेश किया है. इन्हें यदि […]
बेहतर बजट के लिए जनप्रतिनिधियों ने साझा की अपनी राय
28 फरवरी को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आम बजट पेश करेगी. इस बजट से झारखंड वासियों को काफी उम्मीदें हैं. राज्य में भी नयी सरकार बनी है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय मंत्रियों के सामने कई योजनाओं का खाका पेश किया है. इन्हें यदि मंजूरी मिलती है, तो 14 वर्षो से विकास के लिए बेचैन झारखंड को नये पंख लग जायेंगे. कोल्हान में सार्वजनिक क्षेत्र के कारखानें लगें, उद्योग धंधे स्थापित हों, एजुकेशन हब बने, मेडिकल सुविधाओं के साथ-साथ आधारभूत संरचना को बेहतर बनाया जाये.
चाकुलिया हवाई अड्डा को सरकार जल्द विकसित करे, महिला सुरक्षा, पर्यटन पर सरकार का फोकस हो तो निश्चित रूप से विकास के रास्ते खुलेंगे. आम बजट कैसा हो, इसको लेकर ‘प्रभात खबर कार्यालय’ में गुरुवार को परिचर्चा का आयोजन किया गया था.
परिचर्चा में शामिल जनप्रतिनिधियों ने बेहतर बजट और इसकी उपयोगिता को लेकर संजीव भारद्वाज के साथ विचार व्यक्त किये. प्रस्तुत हैं संपादित अंश :
मेक इन इंडिया से बढ़ेगा झारखंड
प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ के नारे से झारखंड प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ेगा. सरकार के बजट में लोकहित पर फोकस होगा. उद्योग और कृषि मुख्य फोकस एरिया में है. औद्योगिक विकास दर को बढ़ाने पर सरकार काम कर रही है. स्मार्ट सिटी बनाये जाने की घोषणा की गयी है.
टेक्निकल सिटी बनायी जाये, स्वच्छता मिशन पर काम हो, तो एक-दो वर्ष में गांव की स्थिति बदलेगी. युवा पीढ़ी को तकनीक का फायदा मिले. जो युवा जहां हैं, यदि उन्हें वहीं इंजीनियरिंग या अन्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल हो तो इसका फायदा उस क्षेत्र को मिल सकता है. मैं ने उद्योगमंत्री से एंसिलरी पार्ट से जुड़े उद्योग यहां लगाने की मांग की है. अगर विशेष राज्य का दरजा मिलता है तो उसमें मिलनेवाले पैकेज का लाभ भी राज्य को मिलेगा.
यहां के लोग रोजी के लिए बाहर पलायन कर रहे हैं. अगर उन्हें यहां अवसर मिलेगा तो झारखंड का राजस्व बढ़ेगा. जिस तरह प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गांवों को शहरों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बनायी थी, उसी तरह नरेंद्र मोदी ने पीएम सिंचाई योजना बनायी है. जहां नदी-तालाब नहीं होगा, वहां सिंचाई का इंतजाम नहर के माध्यम से किया जायेगा. पटमदा को बेहतर कृषि प्रमुख क्षेत्र और जमशेदपुर को एजुकेशन हब बनाया जायेगा. पोटका-डुमरिया में इंजीनियरिंग संस्थान खोला जायेगा.
चाकुलिया हवाई अड्डा बनकर तैयार हो
झारखंड को 40 प्रतिशत खनिज संपदा वरदान के रूप में मिली है. बेसिक सोच के साथ यदि योजनाएं बनें तो वे जल्द धरातल पर उतरेंगी. मेक इन इंडिया के साथ-साथ मेक इन झारखंड की मानसिकता पैदा करनी होगी. ताकि यहां की चीजों की ब्रांडिंग हो सके.
हमें वह गर्व भारतीय ब्रांड पर पैदा करना होगा. सड़क-बिजली-पानी की व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी. एनएच-33 खस्ताहाल है, इस कारण भी यहां कोई उद्योग लगाने नहीं आ रहा है. जब तक यहां के लोग मजबूत नहीं होंगे, तब तक वे दूसरे की मजबूती के बारे में सोच नहीं सकते हैं.
मेरे क्षेत्र में ट्रामा सेंटर है, लेकिन आज तक चालू नहीं हो पाया है. पुल बन रहा है, लेकिन निर्माण की गति काफी धीमी है. बेसिक बजट बने, उसे कैसे धरातल पर उतारा जाये, उस पर फोकस होना चाहिए. मेडिकल कॉलेज खुलना चाहिए,चाकुलिया हवाई अड्डा को दुरुस्त किया जाना चाहिए, एनआइटी को अपग्रेड किया जाना चाहिए. फॉरेस्ट प्रोड्क्ट पर काम होना चाहिए. बंद हो चुकी खाली कोयला खदानों को पर्यटन के लिए विकसित किया जाना चाहिए. प्लानिंग पहले होनी चाहिए, इसके बाद योजनायें बनें.
अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे लाभ
बजट का लाभ अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंचे, इसका ख्याल रखना होगा. झारखंड में 32 हजार गांव है. कृषि और उद्योग को फोकस कर बजट में योजनाओं को शामिल किया जाना चाहिए. कृषि सेक्टर को यदि मजबूती प्रदान की जायेगी तो गांव और शहर के बीच की खाई को पाटा जा सकता है. आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने के लिए ठोस योजना बनायी जानी चाहिए.
गांव के यूथ का स्किल कैसे विकसित हो, उसे हम किस तरह उपयोग में ला सके, इसका ध्यान रखा जाये. झारखंड में पयर्टन की असीम संभावनायें हैं, बजट में इसका भी ख्याल किया जाना चाहिए. बिना आधारभूत संरचना खड़ा किये हुए हम पर्यटन का फायदा नहीं उठा सकते हैं.
बजट सरकार का दर्पण, संतुलन दिखे
बजट सरकार का दर्पण होता है, योजनाओं का चेहरा बेहतर दिखायी पड़े, इसका ख्याल रखा जाना चाहिए. बजट में कृषि क्षेत्र पर फोकस किया जाना चाहिए. औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा जरूर मिले, लेकिन किसानों के हितों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. बाहरी कंपनियों को रोकना होगा. विदेशी निवेश किसी भी सूरत में भारतीय हित में नहीं हो सकता है. मेक इन इंडिया का नारा यदि देश में लगा है, तो इसका लाभ भी लोगों को मिलना चाहिए. आधारभूत संरचना को मजबूत किया जाना चाहिए.
झारखंड को मिले विशेष पैकेज
ग्रामीण और शहरी परिवेश का ख्याल रखते हुए जनहित की योजनाएं तैयार की जानी चाहिए. लोगों को यह लगने लगा है कि सरकार उनके लिए काम नहीं कर रही है. परिवर्तन दिखना चाहिए. बदलते परिवेश के मुताबिक गांवों को भी शामिल करना होगा, तभी विकास की कल्पना की जा सकती है. गांव में हेल्थ सेंटर खुल जाते हैं, लेकिन वहां डॉक्टर और नर्स की व्यवस्था नहीं है.
सड़क-बिजली-पानी की समस्या आज भी विकराल रूप धारण किये हुए है. कई गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है. नौजवानों को रोजगार मिले, इसके लिए केंद्र को विशेष रूप से सोचना होगा. जमशेदपुर औद्योगिक क्षेत्र का आकार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. पीएम ने घोषणा की है कि सरायकेला में एक और चाईबासा में दो कारखाने लगाये जायेंगे, इस योजना को जल्द धरातल पर उतारा जाना चाहिए. झारखंड को विशेष पैकेज मिले.
कोल्ड स्टोरेज के लिए राज्य सरकार को अपनी पॉलिसी में बदलाव लाना होगा. इको सेंसेटिव जोन के नाम पर गांव को उजाड़ने के बजाय यहां बसे लोगों को आधुनिक कृषि का लाभ प्रदान करना चाहिए. मेडिकल कॉलेज, एनआइटी को अपग्रेड किया जाना चाहिए.
इन्होंने भी रखे विचार
पलयान रुके, छोटे उद्योग लगे
विदेशी अर्थशास्त्र के अंधानुकरण के कारण देश का काफी अहित हुआ है. अर्थशास्त्र को समाज शास्त्रों से जोड़कर समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान, उत्कर्ष एवं चिंता करने वाले भारतीय दर्शन से ओत-प्रोत अर्थशास्त्र से प्रेरित होकर न अब तक कोई बजट बना है और न ही इस सरकार के बजट से कोई उम्मीद है. हमारे राजनेताओं को अपने देश के गरीब, बेरोजगार, वंचित समाज सिर्फ वोट लेने के समय याद आता है.
जिन पूंजीपतियों ने नोट दिया, उन्हीं की उम्मीदों को ध्यान में रखकर बजट तैयार किया जाता है. बजट में ऐसा प्रावधान हो कि हमारे देश की जो शिक्षित युवा शक्ति है, उसको ससम्मान जीविकोपाजर्न का अवसर मिले, पलायन रुके., छोटे उद्योग लगे, वैज्ञानिक तरीके से खेती हो, अच्छी सड़कों का जाल बिछाया जाना चाहिए.
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