कई सारे अनुत्तरित सवाल छोड़ गयी मोनी मुंडा

चाकुलिया : चाकुलिया नगर पंचायत कार्यालय से सबसे करीब, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नाक के नीचे और आंगनबाड़ी केंद्र से सटे रेल लाइन के किनारे बसे मुंडा बहुल सोनाहारा गांव की एनीमिया से पीड़ित मोनी मुंडा ने आज सीएचसी में दम तोड़ दिया, मगर मर कर भी मोनी मुंडा मौजूदा सरकारी व्यवस्था पर कई अनुत्तरित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2015 1:20 AM
चाकुलिया : चाकुलिया नगर पंचायत कार्यालय से सबसे करीब, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नाक के नीचे और आंगनबाड़ी केंद्र से सटे रेल लाइन के किनारे बसे मुंडा बहुल सोनाहारा गांव की एनीमिया से पीड़ित मोनी मुंडा ने आज सीएचसी में दम तोड़ दिया,
मगर मर कर भी मोनी मुंडा मौजूदा सरकारी व्यवस्था पर कई अनुत्तरित सवाल छोड़ गयी. इनका जवाब देना प्रशासनिक महकमा, नगर पंचायत के जन प्रतिनिधियों और यहां के नेताओं के लिए आसान नहीं होगा. वैसे देर से ही सही बीडीओ गिरिजा शंकर महतो ने अपने धर्म को कुछ हद तक निभाया और मोनी को अस्पताल पहुंचाया, मगर तब तक देर हो चुकी थी. फिर सीएचसी से भी एमजीएम भेजने में भी विलंब हुई.
सवाल नंबर एक
महिला सुरक्षा के लिए कई कार्यक्रम चल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग से और बाल विकास परियोजना से भी, मगर मोनी मुंडा के मामले में दोनों विभाग फेल हो गये. एएनएम वंदना सीट, सेविका संतोष शर्मा और सहायिका खुकुमनी कालिंदी की नजर टूटी झोपड़ी में प्लॉस्टिक के नीचे कई दिनों से बिस्तर पर जिंदगी और मौत से जूझ रही मोनी मुंडा पर नहीं पड़ी.
सवाल नंबर दो
सीएचसी में एंबुलेंस भी उपलब्ध है. चिकित्सा प्रभारी डॉ सुरेश चंद्र महतो ने 13 जुलाई को ही साफ कर दिया था कि मोनी की स्थिति गंभीर है. एमजीएम रेफर करना होगा. फिर मोनी को एमजीएम भेजने में इतनी विलंब क्यों हुई?
सवाल नंबर तीन
सबसे अहम सवाल यह है कि सोनाहारा गांव को नगर पंचायत क्षेत्र में क्यों शामिल किया गया. यहां के अधिकांश ग्रामीण गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करते हैं. मजदूरी करते हैं.
गरीबी के कारण झोपड़ी की मरम्मत करने की स्थिति में नहीं है. मोनी मुंडा का टूटा घर और घर पर टंगा प्लॉस्टिक इस बात का गवाह है. नगर पंचायत में शामिल होने से यहां के गरीब कई सरकारी सुविधाओं से वंचित हो गये. इंदिरा आवास और बिरसा आवास इन्हें नहीं मिला. नगर पंचायत से इन्हें कोई सुविधा नहीं मिली. अब तक सिर्फ एक स्ट्रीट लाइट और एक पीसीसी इस गांव को नसीब हुआ है. स्वच्छ पेयजल भी नसीब नहीं है.

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