व्यवस्था की बदहाली को कोस रहे पर्यटक
अजय पांडेय घाटशिला : घाटशिला का स्वर्ग समझा जाने वाला बुरुडीह डैम पर्यटन विभाग की उपेक्षा से अपनी पहचान खो रहा है. यहां पर सरकारी सुविधाएं दम तोड़ चुकी हैं, मगर इसकी प्राकृतिक छटा अन्य राज्यों के पर्यटकों को सालों भर अपने दीदार के लिए बुलाती है. बरसात के मौसम में भी बंगाल के पर्यटक […]
अजय पांडेय
घाटशिला : घाटशिला का स्वर्ग समझा जाने वाला बुरुडीह डैम पर्यटन विभाग की उपेक्षा से अपनी पहचान खो रहा है. यहां पर सरकारी सुविधाएं दम तोड़ चुकी हैं, मगर इसकी प्राकृतिक छटा अन्य राज्यों के पर्यटकों को सालों भर अपने दीदार के लिए बुलाती है. बरसात के मौसम में भी बंगाल के पर्यटक यहां आ रहे हैं. तीन दिशाओं से पहाड़ों और जंगलों से घिरे इस डैम की प्राकृतिक छटा को देख बंगाल के पर्यटकों के मुंह से निकल पड़ता है मां गो कि दारून देखते (कितना सुंदर) और सुविधाओं को बदहाल देख निकलता है छी.छी..छी. स्वर्गो टा के कि कोरे रेखेछे (स्वर्ग को क्या बना कर रखा है).
सड़क बदहाल. बुरूडीह गांव से डैम तक जाने वाली सड़क पैदल चलने के लायक भी नहीं है. इस सड़क का निर्माण अधूरा है.सड़क पर पत्थर उभर आये हैं. अब तो स्थिति यह है कि सड़क की दुर्दशा के कारण पर्यटक धारा गिरी पहाड़ का दर्शन करने भी नहीं जाते हैं.
कट रही है डैम जाने वाली सड़क. मुख्य सड़क से डैम जाने वाली सड़क बरसात के पानी से दो जगहों पर कटती जा रही है. डैम की सड़क कीचड़ से भर गयी है. सड़क कट गयी, तो डैम जाना भी मुश्किल हो जायेगा. सड़क के किनारे पर्यटकों को बैठने के लिए बनायी गयी सीमेंट की कुर्सियां झाड़ियों के घिर गयी है. चापाकल खराब पड़ा है. डैम में भी जंगल और झाड़ियों की भरमार है.
कैफेटेरिया में चरते हैं मवेशी. डैम के पास लाखों की लागत से बना कैफेटेरिया मवेशियों का चरागाह बना है. जंगल और झाड़ियों से घिरे कैफेटेरिया में पर्यटक भय से नहीं जाते हैं. डैम के पास अब कोई दुकान भी नहीं लगती है.
2011 से बंद है नौका परिचालन. इस डैम में वर्ष 2011 से नौका परिचालन भी बंद है. नौका परिचालन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था. डैम में आठ नौकाएं थी. आज सभी नौकाएं एसडीओ कार्यालय के परिसर में शोभा की वस्तु बनी हैं.