चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में मंगलवार को आयोजित सम्मान समारोह के दौरान सांसद लक्ष्मण गिलुवा, कुलपति डॉ आरपीपी सिंह, एफए मधुसूदन के हाथों संस्कृत विभाग के शिक्षक डॉ प्रसून दत्त सिंह की पुस्तक ‘महाभारतकालिक शिक्षा व्यवस्था’ का विमोचन किया गया.
मालूम हो कि डॉ सिंह ने मौलिक रूप से पांच पुस्तकों की रचना की है. इन्होंने पांच अन्य ग्रंथों का संपादन किया है. संस्कृत भाषा और साहित्य के विविध आयाम, भारतीय संस्कृति व कला के विभिन्न पक्षों पर इनके तीसाधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय शोधपत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं. इन्होंने विवि अनुदान आयोग की ओर से संपोषित दो शोध परियोजनाएं पूरी की है. डॉ प्रसून अखिल भारतीय प्राच्य विद्या सम्मेलन की कार्यकारिणी के निर्वाचित युवा सदस्य भी हैं. हाल में उन्हें वीआरसी बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर से डीलिट की उपाधि मिली है.
डॉ सिंह ने अपनी इस पुस्तक में प्राचीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था तथा महाभारकालिक शिक्षा के विविध अवधारणाओं को शिक्षा व्यवस्था के साथ समन्वय स्थापित करने का उत्कृष्ट प्रयास किया है. पुस्तक में शिक्षा के उद्देश्य, उसके अपेक्षित संस्कार, शिक्षा के समाश्रय स्थल, शिक्षा पर व्यय की व्यवस्था, शिक्षा का स्वरूप और उसकी व्यक्तिगत तथा राष्ट्रगत अपेक्षाएं, गुरुकुल, कुलपति, आचार्य एवं आचार्या, अध्यापक आदि बिंदुओं पर चर्चा की गयी है. शिक्षा से किस प्रकार मनुष्य में अंतर्दृष्टि, अंतज्योति एवं अंतजनि की सक्रांति हो सकती है.