गेट के अंदर घुसे, पत्थरों को निकाला, नट-बोल्ट बदले
घाटशिला : घाटशिला के बुरुडीह डैम की दायीं और बायीं नहर के फाटक की मरम्मत का काम बुधवार को किसानों ने श्रमदान से शुरू कर दिया है. जोसेफ मुमरू के नेतृत्व में किसानों ने दांयी गेट में 40 फीट नीचे उतर कर फाटक के अंदर घूसे और पत्थरों को बाहर निकाला. फाटक के अंदर टूटे […]
घाटशिला : घाटशिला के बुरुडीह डैम की दायीं और बायीं नहर के फाटक की मरम्मत का काम बुधवार को किसानों ने श्रमदान से शुरू कर दिया है. जोसेफ मुमरू के नेतृत्व में किसानों ने दांयी गेट में 40 फीट नीचे उतर कर फाटक के अंदर घूसे और पत्थरों को बाहर निकाला.
फाटक के अंदर टूटे नट और बोल्ट को बदल कर नया नट और बोल्ट लगाया. इसके बाद गेट ने कुछ हद तक काम करना शुरू कर दिया है. बायीं गेट में नीचे उतर कर स्थिति देखी. बायीं गेट को देखने के बाद ग्रामीणों ने बताया कि यह गेट मरम्मत के लायक नहीं है. गेट की मरम्मत करने में 15 हजार रुपये खर्च आयेगा.
मरम्मत के बाद यह भी गेट काम करने लगेगा. ग्रामीणों ने कहा कि बरसात के पूर्व विभाग से यह गेट मरम्मत होने वाला नहीं है, इसलिए बुरुडीह के किसान श्रमदान से गेट की मरम्मत में जुट गये हैं.
विभाग ने पहल की तो श्रमदान
सिद्धनात हांसदा, सिंगराय मुमरू, सोबेन सोरेन, विराम मुमरू, श्याम चरण मुमरू, अमर किस्कू, राम चरण हेंब्रम, श्यामल मुमरू, आकुल मुमरू, सौरभ सोरेन ने कहा कि प्रशासन और विभाग दोनों गेटों की मरम्मत की दिशा में पहल नहीं करता है, तो किसान श्रमदान से बायें गेट के आगे बोरा में बालू भर कर रखेंगे, ताकि डैम का पानी बेकार नहीं बहे. जरूरत के मुताबिक बोरों को हटा कर पानी की निकासी करायेंगे.
किसानों ने कहा कि अभी डैम में पानी पहले जैसा नहीं है. इसके लिए प्रशासनिक पदाधिकारी और लघु वितरणी प्रमंडल संख्या दस के पदाधिकारी दोषी हैं. गेट को खोलने के लिए कई बार किसानों ने विभाग को ज्ञापन सौंपा. इसके बाद से गेट विभागीय चौकीदार गेट खोलता था. गेट को अब सार्वजनिक कर दिया गया है. इसके कारण डैम की ऐसी स्थिति है.