झारखंड : नहीं रहे जेल में रहकर विधायक बनने वाले बाबा अमूल्याे सरदार
धीरे-धीरे घटता गया था राजनीतिक प्रभाव, 2014 के चुनाव में नौवें नंबर पर चले गये थे उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर झामुमाे के टिकट पर पाेटका विधानसभा (एसटी सुरक्षित सीट) से 2005 में विधायक बने अमूल्याे सरदार का गुरुवार काे पैतृक गांव हरिणा में निधन हाे गया. 63 वर्षीय अमूल्याे सरदार काे देर रात दिल का दाैरा […]
धीरे-धीरे घटता गया था राजनीतिक प्रभाव, 2014 के चुनाव में नौवें नंबर पर चले गये थे
उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर
झामुमाे के टिकट पर पाेटका विधानसभा (एसटी सुरक्षित सीट) से 2005 में विधायक बने अमूल्याे सरदार का गुरुवार काे पैतृक गांव हरिणा में निधन हाे गया. 63 वर्षीय अमूल्याे सरदार काे देर रात दिल का दाैरा पड़ा. परिवार के लाेगाें ने उन्हें प्राथमिक इलाज के लिए हाता स्थित नर्सिंग हाेम ले जाने की तैयारी की, इसी क्रम में उनका निधन हाे गया. घटना की जानकारी सुबह सभी लाेगाें काे मिली. दिन में हरिणा बुनुडीह पैतृक आवास के पीछे उनके अंतिम संस्कार कर दिया गया. उनके बेटे ने मुखाग्नि दी. वे अपने पीछे पत्नी कादमी सरदार, पांच पुत्र, दाे पुत्रियाें से भरा-पूरा परिवार छाेड़ गये हैं. दाे पुत्र-एक पुत्री का विवाह हाे गया है.
झामुमाे के केंद्रीय काेषाध्यक्ष रहे अमूल्याे सरदार काे 2014 में जब पाेटका से पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया ताे उन्हाेंने संगठन से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था. पाेटका आैर आस-पास के क्षेत्राें में वे झाड़फूंक वाले बाबा के नाम से काफी ख्यातिप्राप्त थे. चुनाव जीतने के बाद उन्हाेंने इस काम काे बंद कर दिया था. झारखंड विधान सभा में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के बाद यह दूसरे विधायक थे, जाे हमेशा पगड़ी बांधते थे. इन्हें संगठन में पगड़ीवाले विधायक के नाम से भी लाेग पुकारते थे. झामुमाे के तत्कालीन सांसद सुनील महताे के कारण 2005 में अमूल्याे सरदार काे पार्टी का टिकट हासिल हुआ था.
जेल में रहने के क्रम में सुनील महताे ने ही पाेटका में चुनाव प्रचार अभियान चलाया था. नामांकन के दिन 23 जनवरी 2005 काे पुराना काेर्ट परिसर से अमूल्याे सरदार काे दाे पुराने मामलाें में वारंट हाेने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था. 28 फरवरी काे वे रिहा हुए थे.
2005 में पाेटका विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़नेवाले अमूल्याे सरदार ने भाजपा विधायक मेनका सरदार काे हराकर यह सीट छीनी थी. अमूल्याे सरदार काे 53760 मत मिले थे, जबकि मेनका सरदार काे 40,001 मताें से ही संताेष करना पड़ा था. 2009 के चुनाव में झामुमाे ने एक बार फिर सीटिंग विधायक के रूप में अमूल्याे सरदार काे ही टिकट दिया. इस बार भाजपा प्रत्याशी मेनका सरदार ने अपनी हार का जाेरदार बदला लेते हुए अमूल्याे सरदार काे तीसरे नंबर पर धकेल दिया.
मेनका सरदार काे 44,095 मत मिले, जबकि तीसरे नंबर रहे अमूल्याे काे 24789 मताें पर ही संताेष करना पड़ा. कांग्रेस प्रत्याशी सुबाेध सरदार 28305 मत पाकर दूसरे स्थान पर काबिज हाे गये थे. 2014 के चुनाव में झामुमाे के केंद्रीय नेतृत्व ने अमूल्याे सरदार काे टिकट नहीं दिया था, जिससे खिन्न हाेकर उन्हाेंने पार्टी छाेड़ दी. पाेटका से निर्दलीय (डीजल पंप चुनाव चिह्न पर) चुनाव लड़ा. इस चुनाव में वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये. नाैवें स्थान पर रहे अमूल्याे सरदार काे मात्र 2116 मताें से ही संताेष करना पड़ा.