पत्रकार अखिलेश्वर के कविता संग्रह ‘पानी उदास है’ का विमोचन
अखिलेश्वर पांडेय के काव्य संग्रह का विमोचन जमशेदपुर: बिष्टुपुर स्थित सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सभागार में रविवार शाम पत्रकार अखिलेश्वर पांडेय की काव्य पुस्तक ‘पानी उदास है’ का समारोह पूर्वक लोकार्पण हुआ. वरीय साहित्यकार डॉ सी भास्कर राव की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि डॉ शांति सुमन तथा अन्य अतिथियों, […]
अखिलेश्वर पांडेय के काव्य संग्रह का विमोचन
जमशेदपुर: बिष्टुपुर स्थित सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सभागार में रविवार शाम पत्रकार अखिलेश्वर पांडेय की काव्य पुस्तक ‘पानी उदास है’ का समारोह पूर्वक लोकार्पण हुआ. वरीय साहित्यकार डॉ सी भास्कर राव की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि डॉ शांति सुमन तथा अन्य अतिथियों, जयनंदन, डॉ अहमद बद्र एवं डॉ अविनाश कुमार सिंह ने श्री पांडेय के इस पहले काव्य संग्रह का विधिवत लोकार्पण किया.
वरिष्ठ कवयित्री डॉ शांति सुमन ने अपने संबोधन में संग्रह में संकलित कविताओं को नये दौर की हिंदी कविता का नेतृत्व करनेवाली बताते हुए संग्रह की कविताओं के विविध आयामों की चर्चा करते हुए उनकी खूबियों और संभावनाओं की ओर इंगित किया. उन्होंने कहा कि कवि अखिलेश्वर पांडेय ने कविता को जीवन के प्रति-संसार (प्रतिबिंब) की तरह समझा है तथा उसी के अनुरूप अपनी कविताओं में उन्हें अभिव्यक्ति प्रदान करने की ईमानदार कोशिश की है. उन्होंने गद्य के काल में विशेष रूप से सिर्फ कविताओं और उन पर चर्चा के लिए मंच उपलब्ध होने पर संतोष भी व्यक्त किया.
वरिष्ठ कथाकार जयनंदन ने कहा कि आम लोगों से जिंदगी के अनेक दृश्य छूट जाते हैं, कवि उन्हीं दृश्यों को भावात्मक अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है. अखिलेश्वर पांडेय ने अपनी कविताओं में इन्हीं छोटी-छोटी, किन्तु अत्यंत भावपूर्ण क्षणों एवं अनुभूतियों को अपनी कविताओं का विषय बनाया है. उन्होंने कवि से भविष्य में और अनेक ऐसी कृतियों की अपेक्षा करते हुए उसके लिए अग्रिम शुभकामना भी दी.
साहित्यकार डॉ अहमद बद्र ने कहा कि कविता वही है जिसमें सत्य हो. कवि झूठ नहीं बोल सकता, हालांकि उनके अपने-अपने दृष्टिकोण हो सकते हैं. पत्रकार अखिलेश्वर पांडेय की कविताओं में पत्रकारिता के कलेवर में समा नहीं पाने वाले सत्य की अभिव्यक्ति की चर्चा की.
उन्होंने संग्रह की कविताओं की उसके शीर्षक ‘पानी उदास है’ के संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा कि यह पानी ‘देश’ का है, ‘समाज’ का ‘मनुष्यता मात्र’ का है, जिसकी उदासी सबकी चिंता का विषय बन जाना चाहिए. अखिलेश्वर पांडेय की कविताओं का स्वर भी यही है.
आलोचक डॉ अविनाश कुमार सिंह ने संग्रह की कविताओं के आधार पर अपना मंतव्य रखा कि पत्रकार उम्दा साहित्यकार हो सकता है, क्योंकि उसके पास समाज की सही स्थितियां भी हैं और उन्हें अति संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत कर पाने की कला भी. संग्रह की कविताओं के इस निकष पर खरी उतरने की चर्चा करते हुए उन्होंने संग्रह की कई कविताओं का उल्लेख भी किया. उन्होंने संग्रह की चर्चा करते हुए कहा कि कवि का पहले उसकी स्थानीयता पर मूल्यांकन होना चाहिए, फिर उसे वैश्विक विमर्श का विषय बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कविता में ‘कविताई’ को बुनियादी जरूरत बताते हुए कहा कि संग्रह की कविताएं इसी रूप में अपनी सार्थकता सिद्ध करती हैं.
अपने अध्यक्षीय भाषण में वरिष्ठ कहानीकार व लेखक डॉ सी भास्कर राव ने कवि के पहले संग्रह की चर्चा करते हुए कविता के रास्ते साहित्य में प्रवेश पर साधुवाद देते हुए कहा कि जो कविता में रच-बस जाय वह फिर साहित्यकी किसी भी विधा में अटकता नहीं. उन्होंने कवि का नवागंतुक के रूप में ऐसे प्रवेश पर स्वागत किया. उन्होंने पुस्तक के रचनाकार की बहु आयामी काव्य प्रतिभा का जिक्र करते हुए उनके विस्तृत फलक का भी स्वागत किया.
कार्यक्रम के अंतिम चरण में संग्रह के कवि अखिलेश्वर पांडेय ने अपनी चुनी रचनाओं का पाठ भी किया, जिसका मंच तथा दर्शक दीर्घा में बैठे साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों ने पुरजोर स्वागत किया. समारोह की अंतिम प्रस्तुति के रूप में रंगकर्मी दिनकर शर्मा ने काव्य संग्रह की कतिपय कविताओं का नाटकीय पाठ प्रस्तुत किया. इस रूप में कविताओं के उभरे नये आयाम ने भी उपस्थित साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों को प्रभावित किया.
स्वागत भाषण वरिष्ठ पत्रकार रंजीत प्रसाद सिंह, मंच संचालन याहिया इब्राहिम और धन्यवाद ज्ञापन चित्रांशी ने किया ने किया.