झारखंड का एकमात्र वैदिक स्कूल अथर्ववेद पाठशाला बंद
वर्ष 1992 में बहरागोड़ा के गुहियापाल में खोली गयी थी पाठशाला, अब बच्चों में वेद की पढ़ाई के प्रति कम हो रही रुचि
बहरागोड़ा. महर्षि सांदीपानि उज्जैन शाखा की ओर से बहरागोड़ा के गुहियापाल गांव में संचालित झारखंड का एकमात्र वैदिक स्कूल ‘अथर्ववेद पाठशाला’ कोरोना काल से बंद है. इसकी स्थापना गांव के अशोक कुमार मिश्रा के घर पर वर्ष 1992 में हुई थी. गांव के अशोक कुमार मिश्रा पुरी से पढ़ाई कर आये थे. उन्होंने उज्जैन जाकर गांव में पाठशाला खोलने का आग्रह किया था. इसके बाद गुहियापाल गांव में पाठशाला खोली गयी. गांव में 50 से अधिक ब्राह्मण परिवार हैं. बच्चे वेदों की पढ़ाई के लिए आते थे. इस पाठशाला में विद्यार्थियों को वेद, संहिता समेत अन्य वेदों की पढ़ाई करायी जाती थी. उज्जैन से बच्चों के लिए प्रति माह 500 से 1000 रुपये छात्रवृत्ति के तौर पर मिलते थे. पाठशाला के शिक्षक पार्थो सारथी मिश्रा ने बताया कि एक समय यह पाठशाला गुरुकुल के रूप में था. बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते थे. कोरोना काल से पाठशाला बंद है. उन्होंने बताया कि अब बच्चों में वेद से संबंधित रुचि घट गयी है. अब परिवार के सदस्य स्कूल की ओर रुख कर रहे हैं. ब्राह्मण समाज के लोग आज अपनी सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं को भूलने के कगार पर हैं. इसके कारण बच्चों को वेद की शिक्षा नहीं मिल पा रही है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व देश के साधु संतों से आग्रह किया है कि इस विद्यालय को फिर से शुरू करने में सहयोग करें. इसके अलावा पूरे झारखंड में इस प्रकार के विद्यालय का संचालन अवश्य किया जाना चाहिए. बचपन में ही यदि बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी उपलब्ध करा दी जाये, तो गुणवान विद्यार्थियों का उदय होगा.
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