पूर्वी सिंहभूम, राकेश सिंह : मां इंसान की हो या जानवर की उसका दिल हमेशा अपने बच्चे के लिए धड़कता है. ऐसा ही एक दिल को छू लेने वाली तस्वीर झारखंड के पूर्वी सिंहभूम से आई है. दरअसल, चाकुलिया वन क्षेत्र अंतर्गत जमुआ पंचायत के इंदबनी में सोमवार की सुबह जंगली हाथी का एक बच्चा कीचड़ में फंंस गया. कीचड़ में फंसे बच्चे को निकालने के लिए मादा हाथी एवं एक अन्य नर हाथी घंटों प्रयास करते रहे.
झुंड ने घंटो किया प्रयास, लेकिन मां ने नहीं मानी हार
हाथियों के झुंड ने कई बार बच्चे को सूंड का सहारा देकर खड़ा करने का प्रयास किया और हर बार वह कीचड़ में आगे बढ़ पाने के बजाय गिर जा रहा था. लगभग तीन घंटे की मशक्कत के बाद जंगली हाथियों ने अपने बच्चों को कीचड़ से बाहर निकाला और खींचते हुए जंगल की ओर ले गए. इस दौरान हाथी का बच्चा फिर से वन विभाग द्वारा खोजे गए ट्रेंच में गिर गया. वहां भी दो से तीन घंटे तक हाथी का बच्चा फंसा रहा. कीचड़ में हाथी के बच्चे के फंसाने की सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी. मौके पर वन विभाग की टीम क्विक रिस्पांस टीम के साथ पहुंच गई. परंतु जंगली हाथियों की उग्रता को देखकर वे मदद के लिए पास नहीं जा सके. काफी संख्या में लोगों की भीड़ भी हाथियों को देखने के लिए जुड़ गई थी.
एफसीआई गोदाम में घुसकर 9 शटर तोड़ा, गेहूं खाया
रविवार की रात चार जंगली हाथी चाकुलिया स्थित एफसीआई गोदाम में घुस गए. एफसीआई गोदाम में घुसकर जंगली हाथियों ने गोदाम के 9 दरवाजा का शटर तोड़ दिया. गेहूं और चावल खाया तथा बर्बाद भी किया. एफसीआई संचालक सुशील शर्मा ने बताया कि एक महीने में 10 से 12 बार जंगली हाथी द्वारा एफसीआई गोदाम में हमला कर नुकसान पहुंचाया गया है. जंगली हाथी लगातार एफसीआई गोदाम का दरवाजा, दीवार और शटर तोड़कर अनाज खा रहे हैं.
लोधाशोली स्कूल में घुसे हाथी, एमडीएम का चावल खाया
रविवार की रात जंगली हाथी चाकुलिया मटिहाना सड़क मार्ग पर स्थित लोधाशोली उत्क्रमित हाई स्कूल परिसर में घुस गए. हाथियों ने विद्यालय की खिड़की तोड़कर कमरे के भीतर रखे मध्यान भोजन में इस्तेमाल किए जाने वाले चावल को खा लिया. प्रचार्य भूदेवशंकर नायक ने बताया कि जंगली हाथी कुछ ही दिनों के भीतर तीन बार विद्यालय परिसर में घुसे. बारी-बारी से तीन कमरों की खिड़कियों को तोड़कर अनाज खाया और नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि हाथी द्वारा नुकसान पहुंचाने के बाद हर बार वन विभाग को मुआवजा के लिए आवेदन दिया गया. परंतु आज तक उन्हें मुआवजा की कोई राशि नहीं मिली है. जिससे हाथी द्वारा नुकसान पहुंचाए गए स्कूल की सामग्रियों को दुरुस्त कर पाना मुश्किल हो रहा है.