11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रकृति की उपासना का महापर्व है बाहा, समृद्धि, सौहार्द और प्राकृतिक संबंधों को करता है मजबूत

बाहा पर्व आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जिसमें प्राकृतिक उपासना का आदर्श प्रदर्शित किया जाता है. इस बार यह पर्व 14 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक मनाया जायेगा.

बाहा पर्व आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जिसमें प्राकृतिक उपासना का आदर्श प्रदर्शित किया जाता है. इस बार यह पर्व 14 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक मनाया जायेगा.

इसे लेकर जिले के आदिवासी बहुल गांवों व जाहेरथान में साफ-सफाई व रंग-रोगन किया गया है. गुरुवार को समाज के लोगों ने पूजा व प्रार्थनाएं कर देवी-देवताओं को आमंत्रित किया. शुक्रवार से अलग-अलग गांवों में लोग सामूहिक रूप से पर्व मनायेंगे. इस दौरान लोग पानी की होली भी खेलेंगे. हर तरफ पर्व का उल्लास दिख रहा है.

बाहा पर्व में आदिवासी समुदाय के लोग अपने सृष्टिकर्ता और प्रकृति के देवता मरांगबुरू, जाहेरआयो, लिटा मोणें व तुरूईको के प्रति अपनी श्रद्धा और आभार प्रकट करते हैं. समाज के लोग अपने पारंपरिक पुजारी नायके बाबा व माझी बाबा के मार्गदर्शन में सृष्टिकर्ता के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकट करते हैं. वे निरंतरता से प्राकृतिक तत्वों के साथ एक संवाद में रहते हैं, जिसका परिणामस्वरूप उनके जीवन में संतुलन और समृद्धि होती है.

Baha Mahaparv Of Tribals News
प्रकृति की उपासना का महापर्व है बाहा, समृद्धि, सौहार्द और प्राकृतिक संबंधों को करता है मजबूत 3

बाहा पर्व में आराध्य देवी-देवताओं को उनका प्रिय फूल सारजोम बाहा (सखुआ फूल) एवं मातकोम गेल (महुआ फूल) अर्पित करते हैं. इन फूलों का पूजन करके लोग अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध को मजबूत करते हैं. फिर उन्हें नायके बाबा के द्वारा समाज के लोगों के बीच बांटा जाता है, जिससे समृद्धि और सामूहिक एकता का संदेश मिलता है.

Also Read : झारखंड : पश्चिमी सिंहभूम के रांचीसाई में धूमधाम से मना बाहा पर्व, मांदर की थाप पर झूमे लोग

बाहा पर्व पर समुदाय के लोग एक-दूसरे के साथ सामंजस्य और सहयोग के भाव को मजबूत करते हैं. यह पर्व समृद्धि, सौहार्द और प्राकृतिक संबंधों को मजबूत करता है और समुदाय को एक-दूसरे के साथ गहरी बंधनों में जोड़ता है.
उम नड़का कर देवी-देवताओं का किया आह्वान

Baha Mahaparv Of Tribals News Today
प्रकृति की उपासना का महापर्व है बाहा, समृद्धि, सौहार्द और प्राकृतिक संबंधों को करता है मजबूत 4

बाहा पर्व के पहले दिन गुरुवार को उम नड़का (आदिवासी पूजन विधि) कर देवी-देवताओं का आह्वान किया गया. यह समय समाज के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण माना जाता है, जब प्राकृतिक शक्तियों का आभास होता है. समाज के लोगों ने पूजा व प्रार्थनाओं के माध्यम से देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, जिन्हें वे अपने जीवन के हर क्षेत्र में सहायक मानते हैं.

Also Read : बाहा पर्व के मौके पर पारसनाथ पर्वत में उमड़ा आदिवासी समाज, दिशोम मांझीथान में जुटे कई राज्यों के आदिवासी

इस आह्वान के दौरान श्रद्धा और समर्पण का भाव दिखा, जो उनकी संतुष्टि, शांति और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होता है. देवी-देवताओं के आह्वान से पूर्व जाहेर सड़ीम दालोब किया गया. जाहेरथान परिसर की साफ-सफाई कर स्वच्छ व सुंदर बनाया गया.

इन गांवों में आज मनेगा बाहा पर्व

बाड़ेगोड़ा, केड़ो, देवघर, बालीगुमा, पोंडेहासा, तालसा, रानीडीह, काचा, करनडीह, बड़ा गोविंदपुर.

प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है बाहा पर्व

बाहा पर्व हमें प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है. हमें अपने पर्यावरण के साथ संगठित रूप से रहने की आवश्यकता है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करें और पर्यावरण की रक्षा करें. हमें बाहरी प्रभावों को समझने और उनके साथ संगठित रूप से काम करने की आवश्यकता है, ताकि हम स्थिरता और समृद्धि को बनाए रख सकें. इससे हम अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण बना सकेंगे.

ठाकुर दास मुर्मू, ग्रामवासी, बालीगुमा

पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्शों का है संग्रह

बाहा महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, जो समृद्धि, सौहार्द और प्राकृतिक संबंधों को मजबूत करता है. इस पर्व में आदिवासी समुदाय के लोग एक-दूसरे के साथ गहरी बंधन बांधते हैं और प्राकृतिक वातावरण के साथ मेलजोल में रहते हैं. इसके अलावा, यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्शों का महत्वपूर्ण संग्रह है, जो समुदाय की एकता और उनकी प्राकृतिक संपत्ति के प्रति प्रेम को बढ़ाता है. इससे समुदाय का सामूहिक उत्थान होता है और साथियों के बीच भाईचारा और सहयोग का भाव बढ़ता है.

लुगु हांसदा, ग्रामवासी बालीगुमा

प्राकृतिक संसाधनों का सिखाता है सम्मान

बाहा पर्व पर्यावरण के साथ साथी बनाने के लिए प्रेरणादायक है. यह पर्व हमें प्रकृति की सुंदरता और संरक्षण की महत्वपूर्णता को समझाता है. इस अवसर पर हम वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्रदूषण को कम करने के उपायों पर ध्यान देते हैं. बाहा पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करें और उनका संरक्षण करें. इससे हम समुदाय के साथ मिलकर अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं और एक स्वस्थ और संतुलित वातावरण का निर्माण कर सकते हैं.

हड़ीराम सोरेन, जाेग माझी बाबा, बालीगुमा

सृष्टि की उपासना का महापर्व है बाहा

बाहा एक महापर्व है, जो सृष्टि की उपासना का माध्यम है. यह पर्व हमें प्राकृतिक संसाधनों का महत्व और सृजनात्मकता को समझाता है. बाहा के दौरान हम समुदाय के साथ मिलकर प्रकृति की रक्षा और सम्मान करते हैं. इस महापर्व के दिन हम वृक्षारोपण, प्रदूषण नियंत्रण और जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध होते हैं. बाहा हमें एकता और सहयोग की भावना से जोड़ता है, जिससे हम सृष्टि के संतुलन और समृद्धि की ओर अग्रसर हो सकें. इस पर्व का महत्व हमें हमारे प्राकृतिक विरासत का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है.

रमेश मुर्मू, माझी बाबा, बालीगुमा ग्रामसभा

प्रकृति की शक्ति और सुंदरता की करते हैं प्रार्थना

बाहा पर्व आदिवासियों की प्रकृति की उपासना का महापर्व है. यह पर्व संस्कृति और प्राचीन अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रकृति के साथ अटूट संबंध को बताते हैं. इस अवसर पर आदिवासी समाज अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धाराओं को जीवंत रखने के लिए प्रकृति की शक्ति और सुंदरता की प्रार्थना करते हैं. बाहा पर्व आदिवासियों को प्रकृति के साथ एक अटूट बंधन की अनुभूति कराता है, जो जीवन का आधार है. इस पर्व के माध्यम से वे प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करते हैं और उनके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं.

मोहन हांसदा, नायके बाबा, डिमना

प्रकृति के साथ प्रगाढ़ व अटूट प्रेम का है प्रतीक

बाहा पर्व हमें प्रकृति के साथ हमारा प्रेम को प्रगाढ़ और अटूट बनाने के लिए प्रेरित करता है. यह महापर्व हमें प्राकृतिक सौंदर्य और संरक्षण की महत्ता को समझाता है. इस दिन हम प्रकृति के साथ संबंध को मजबूत करने के लिए उत्साहित होते हैं. बाहा के दौरान हम पेड़-पौधों की रक्षा, वृक्षारोपण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए काम करते हैं. यह पर्व हमें प्राकृतिक संपत्ति के प्रति सम्मान और सहयोग की भावना से परिपूर्ण बनाता है. बाहा हमें प्रकृति के साथ हमारा गहरा और निष्ठावान संबंध बनाये रखने का महत्व सिखाता है.

दुर्गाचरण मुर्मू, माझी बाबा, तालसा

बाहा पर्व आदिवासियों की है प्राचीन परंपरा

बाहा पर्व आदिवासियों के लिए प्राचीन परंपरा का प्रतीक है, जो प्रकृति की प्रेम और अभिवादन का प्रदर्शन करता है. यह आदिवासियों की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रकृति को देवता के रूप में मानता है. बाहा पर्व में आदिवासी समाज प्रकृति की उपासना करते हैं और उसका आभार व्यक्त करते हैं. बाहा पर्व संबलता, सामाजिक एकता और संगठन की भावना को प्रकट करता है. बाहा पर्व में समृद्धि, समरसता और समृद्ध जीवन की कामना की जाती है.

बैजू मुर्मू, देश परगना धाड़ दिशोम

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें