East Singhbhum : भूमिज समाज ने प्रतीक चिह्न विद दिरी दिवस मनाया
वक्ताओं ने समाज के चिह्न विद दिरी में कलश, तीर-धनुष और कुल्हाड़ी के निशान के महत्व की जानकारी दी
धालभूमगढ़. धालभूमगढ़ प्रखंड के मौदाशोली में बुधवार को भूमिज समाज ने विद दिरी दिवस मनाया. समाज के प्रतीक चिह्न विद दिरी की जानकारी दी. लाया आनंद ने समाज की रीति-रिवाज और विधि के मुताबिक विद दिरि झंडा की पूजा की. समाज के प्रधान महेंद्र सिंह ने झंडा फहराया. वक्ताओं ने समाज के चिह्न विद दिरी में कलश, तीर-धनुष और कुल्हाड़ी के निशान के महत्व की जानकारी दी. झंडे के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने को कहा. मौके पर आनंद सिंह, रविंद्र नाथ सिंह, जतिंद्र नाथ सिंह, टीकाराम सिंह, लक्ष्मण सिंह, भीम सिंह, रमेश सिंह, संजय सिंह, युधिष्ठिर सिंह, सहदेव सिंह, रंजन सिंह, अंजन सिंह, जगदीश सिंह, बनमाली सिंह, श्यामा सिंह, परेश सिंह, रजनी सिंह, कामदेव सिंह, शंकर सिंह, शुरु सिंह, सोमवारी सिंह, लक्ष्मी सिंह, अल्पना सिंह, करला सिंह, सबीता सिंह, लता सिंह, कंचन सिंह, रेणुका सिंह, कमला सिंह, करूणा सिंह, रीमा सरदार, रीना सिंह, सरस्वती सिंह, लक्ष्मी सिंह उपस्थित थे.
उलदा में भूमिज समाज ने विद दिरि झंडा दिवस मनाया
गालूडीह. गालूडीह के उलदा में बुधवार को भारतीय आदिवासी भूमिज समाज ने विद दिरि दिवस मनाया. मौके पर समाज के झंडे को फहराकर पूजा की गयी. भारतीय आदिवासी भूमिज समाज के जिलाध्यक्ष सुशेन सिंह ने प्रतीक चिह्न विददिरि की जानकारी दी. लाया ने रीति-रिवाज से विद दिरि झंडा की पूजा की. उन्होंने कहा कि समाज के चिह्न विद दिरि में तीर- धनुष और कुल्हाड़ी के निशान हैं. इसका महत्व बताया. लोगों ने समाज के बच्चों को शिक्षित करने पर जोर दिया. वहीं, नशा मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने की अपील की. पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल ने 12 फरवरी 2012 को विद दिरि झंडा को मान्यता दी थी. प्रति वर्ष 12 फरवरी को विद दिरि झंडा दिवस मनाया जाता है. मौके पर उलदा के ग्राम प्रधान छुटू सिंह, गौर मोहन सिंह आदि उपस्थित थे.
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