– बहरागोड़ा कॉलेज में पर्यावरण और इतिहास पर सेमिनार आयोजित
– अंग्रेजों ने भारतीय प्रकृति संपदा व मानव संपदा का जमकर दोहन किया– 8जी 17-बोलते प्राचार्य व उपस्थित वक्ता. 8जी 18- उपस्थित विद्यार्थी.
प्रतिनिधि, बहरागोड़ाबहरागोड़ा कॉलेज में सोमवार को पर्यावरण और इतिहास विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता प्राचार्य डॉ बीके बेहरा ने की. आयोजन आइक्यूएसी और इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुआ. मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यापक डॉ मृणाल पिंगुआ ने कहा कि पर्यावरण और इतिहास के बीच अन्योन्याश्रय संबंध है. हमें अपने इतिहास से सबक लेकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस पहल करने की जरूरत है. इसमें संतुलन बनाये रखने में प्राचीन भारतीय सभ्यता सजग और सक्रिय थी.
भारत में अंग्रेजों के आने के बाद पर्यावरण का दोहन शुरू हुआ
डॉ पिंगुआ ने कहा कि पर्यावरण से जुड़ीं समस्याएं अंग्रेजों के भारत आगमन की बाद से शुरू हुईं. उन लोगों ने भारतीय प्रकृति, संपदा और मानव संपदा का जमकर दोहन किया. भारत को बाजार में तब्दील कर दिया. 1990 के बाद भूमंडलीकरण की प्रक्रिया तेज हुई. संपूर्ण विश्व एक बाजार में परिवर्तित हो गया. विकसित देशों के लिए भारत आज सबसे बड़ा बाजार है, जिसके पीछे की सबसे बड़ी वजह आबादी या उपभोक्ता हैं.
विकास के नाम पर पर्यावरण से हो रहा खिलवाड़
डॉ पिंगुआ ने कहा कि भारत ने विकास के नाम पर गतिविधियां तेज कीं, मसलन औद्योगिकरण, सड़कों का जाल बिछाना आदि और कोयले की खपत बढ़ी. कार्बन डाइऑक्साइड का ज्यादा उत्सर्जन हुआ. औद्योगीकरण के कारण नदियां और वायु प्रदूषित हुईं. उच्च मानक की सड़क बनने के नाम पर वनों की अंधाधुंध कटाई की गयी. कहीं ना कहीं, इन चीजों के चलते तापमान तेजी से बढ़ा है.
विद्यार्थियों के लिए पौधरोपण व संरक्षण अनिवार्य किया जायेगा : प्राचार्य
प्राचार्य ने घोषणा की है कि पौधरोपण व संरक्षण को विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य बनाया जायेगा. मौके पर प्रो इंदल पासवान, डीके सिंह ने अपने विचार रखे. दोनों अतिथियों को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ पीके चंचल ने किया. मौके पर विभिन्न विभाग के अध्यापक व विद्यार्थी उपस्थित थे.
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