East Singhbhum : जंगल में झोपड़ी बना रहते हैं दंपती, न आवास मिला न राशन

डुमरिया के भीतरचाकड़ी में मजदूरी कर जिंदगी गुजार रहे दंपती

By Prabhat Khabar News Desk | December 29, 2024 12:11 AM

डुमरिया. डुमरिया प्रखंड के चाकड़ी गांव स्थित भीतरचाकड़ी टोला निवासी 32 वर्षीय गदई सबर व उनकी पत्नी छीता सबर जंगल के बीच झोपड़ी में जिंदगी काट रहे हैं. गदई सबर ने बताया कि हमें आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. वहीं, सरकारी स्तर पर राशन नहीं मिलता है. राशन कार्ड नहीं बना है. कई बार लोग आकर नाम लिखकर ले गये, लेकिन अबतक कुछ लाभ नहीं मिला. पति-पत्नी आसपास के गांव में मजदूरी कर जीवनयापन कर रहे हैं. जब मजदूरी नहीं मिलती है, तो जंगल से लकड़ी लाकर गांव में बेचते हैं. उसी से गुजारा करते हैं. हालांकि, सरकारी प्रावधान के अनुसार, अगर किसी सबर का राशन कार्ड नहीं बना है, तो भी उनके गुजर बसर के लिए राशन मुहैया कराना है. यह सबर दंपती इस लाभ से भी वंचित है. डुमरिया प्रखंड में ऐसे कई सबर हैं, जो आवास योजना से वंचित हैं. सबरों के उत्थान के लिये पूर्व उपायुक्त विजया जाधव ने अलग से शिविर लगाया था, ताकि कोई सबर सरकारी लाभ से वंचित न हो. निचले स्तर के पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण कई सबर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.

झीलिंगडुंगरी की विधवा राशन और पेंशन से वंचित

गुड़ाबांदा. गुड़ाबांदा प्रखंड के झीलिंगडुंगरी गांव स्थित सबर बस्ती की वृद्धा राशन और पेंशन से वंचित है. विधवा चेपनी सबर (60) ने बताया कि पेंशन और राशन नहीं मिलता है. इधर, 2018-19 में इंदिरा आवास मिला था. कई बार पंचायत का चक्कर लगा चुकी हूं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. टोला के प्रधान चोकरो सबर ने बताया कि टोला में 11 घर है. दो परिवार को पीएम आवास योजना का लाभ मिला है. बाकी लोग जर्जर इंदिरा आवास में जिंदगी काट रहे हैं. टोला समीप एक जलमीनार थी, जो दो साल से खराब है. इसकी मरम्मत नहीं करायी गयी है. जलमीनार की मरम्मत का पैसा कहां जाता है, किसी को खबर नहीं है. वर्तमान में टोला के लोग खेत के कुआं का गंदा पानी पीने में विवश हैं.

गर्म कपड़ों के बिना ठिठुर रहे सबर बच्चे

मुसाबनी प्रखंड की पारुलिया पंचायत में शंख नदी के तट पर बसे आदिम जनजाति बहुल गांव गायघाटा और सितुमपाल टोला के सबर बच्चे ठंड में गर्म कपड़ा नहीं होने से परेशानी झेल रहे हैं. सुबह होते ही बच्चों के लिए भगवान भास्कर सहारा बनते हैं. दिनभर बच्चे धूप में खेल कर गुजरते हैं. शाम होने पर आग तापते हैं. गरीबी से टोलों के सबर बच्चों को गर्म कपड़ा नसीब नहीं हो रहा है. वे जंगल से सूखी लकड़ी लाकर बेचते हैं. दूसरे के घरों में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं. गायघाटा और सितुमपाल टोला के सबर परिवारों को टोला तक सड़क नहीं होने से खेत की मेढ़ से होकर आवागमन करना पड़ता है. बारिश के मौसम में उनकी परेशानी बढ़ जाती है.

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