East Singhbhum news : शक्ति पीठ मां द्वारसिनी की पूजा में जुटे तीन राज्यों के श्रद्धालु, समृद्धि मांगी
गालूडीह : झारखंड-बंगाल सीमा पर है पूजा स्थल, झारखंड, बंगाल व ओडिशा से भक्त आये, पहाड़ी नदी सातगुड़ूम में लगायी आस्था की डुबकी, कतार में लग की मां की पूजा
गालूडीह. झारखंड-बंगाल सीमा स्थित शक्ति पीठ मां द्वारसिनी मंदिर में मंगलवार को मकर संक्राति के दिन सुबह से ही झारखंड, बंगाल और ओडिशा से जन सैलाब उमड़ा. यहां लोगों ने सबसे पहले पहाड़ी नदी सातगुड़ूम में आस्था की डुबकी लगायी, फिर कतार में खड़े होकर घंटों इंतजार कर मां द्वारसिनी (मां रंकिणी का ही एक रूप) की विधि-विधान से पूजा की. इस दौरान सुरक्षा में पश्चिम बंगाल के बांदवाना थाना की पुलिस और द्वारसिनी मंदिर कमेटी के सदस्य तैनात रहे. सुबह से शाम तक द्वारसिनी मंदिर में भक्तों की भीड़ रही. इस मंदिर में लुकापानी गांव के लाया (पुजारी) इंद्रजीत सिंह ने पूजा करायी. श्रद्धालुओं ने द्वारसिनी मां के समक्ष मत्था टेक कर सुख-समृद्धि की कामना की.
मां की पूजा सैंकड़ों साल से की जा रही है : दुलाल
द्वारसिनी पूजा कमेटी के अध्यक्ष दुलाल चंद्र सिंह ने बताया कि यहां मां की पूजा सैंकड़ों साल से की जा रही है. इसे शक्ति पीठ कहा जाता है. जो मांगा जाता वह पूरा होता है. इसके प्रति तीन राज्यों के लोगों की आस्था है. मकर संक्रांति के दिन विशेष पूजा होती है. जिनकी मन्नतें पूरी होती हैं, वैसे लोग लड्डू भोग और बलि देकर पूजा करते हैं. मौके अध्यक्ष दुलाल चंद्र सिंह, सचिव अमूल्य रतन सिंह, कोषाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, सत्यवान सिंह, रामचंद्र मुंडा, जलधर सिंह, बनमाली सिंह, कार्तिक महतो, सुभाष महतो, डमन सिंह, उत्तम सिंह आदि उपस्थित थे.
हाथी- बाघ के दहशत पर आस्था भारी
मालूम हो कि जहां मां द्वारसिनी का मंदिर है, उससे सटा ही झारखंड का डुमकाकोचा गांव है. कुछ दिन पहले यहीं हाथी का बच्चा बेहोश मिला था. इसके बाद हाथियों के एक झुंड ने कई दिनों तक जमकर उत्पात मचाया था. फिर कई दिनों से सीमावर्ती इलाके बंगाल के बेलपहाड़ी, कांकड़ाझोर, बोंगडुबा आदि इलाकों में बाघ के पंजे के निशान देखे जाने की पुष्टि हुई. बावजूद इस बीहड़ सीमावर्ती इलाके में हाथी-बाघ के दहशत पर आस्था भारी पड़ी.
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