धालभूमगढ़. धालभूमगढ़ प्रखंड में इस वर्ष धान की बेहतर फसल होने से किसान खुश हैं. लेकिन सरकार की ओर से अभी तक धान क्रय केंद्र नहीं खोले जाने से मायूसी है. प्रखंड के तीन लैंपसों में से सिर्फ एक लैंपस में ही बीते वर्ष से धान की खरीदारी की जा रही है. इससे किसानों को लैंपस तक धान ले जाने में ही परिवहन का खर्च अधिक पड़ रहा है. प्रखंड प्रभारी कृषि पदाधिकारी पीयूष मंडल ने बताया कि इस वर्ष प्रखंड में 8700 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य था. इस वर्ष 75% आच्छादन होने से 6525 हेक्टेयर में बेहतर फसल हुई है. इस हिसाब से 2.28 लाख क्विंटल धान की पैदावार होने की उम्मीद है. प्रखंड में बेहड़ा, धालभूमगढ़ और महुलीशोल लैंपस में धान की खरीदारी होती थी. बीते दो वर्षों से धालभूमगढ़ और महुलीशोल लैंपस में खरीदारी बंद है.
क्रय केंद्र खोलने का निर्देश प्राप्त नहीं : मंडल
मंडल ने बताया बेहड़ा लैंपस में धान की खरीदारी की जा रही है, जो अभी तक शुरू नहीं हुई है. बेहड़ा लैंपस प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी है. किसानों को लैंपस तक परिवहन खर्च अधिक पड़ रहा है. सरकार ने 3100 प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने की घोषणा की है. इसकी चिट्ठी नहीं आयी है. प्रखंड के गणेश राइस मिल, सालासर इंडस्ट्रीज और लक्ष्मी इंटरप्राइजेज को धान की आपूर्ति करने के लिए टैग किया गया है. क्रय केंद्र खोलने के लिए अभी तक किसी भी प्रकार का निर्देश प्राप्त नहीं है. धान की कटाई जोरों पर है. क्रय केंद्र नहीं खुलने और समर्थन मूल्य की स्पष्ट निर्देश नहीं मिलने से किसानों को सही कीमत मिलने की संभावना कम है.
दो लैंपस का 74 लाख रुपये कमीशन बकाया
मालूम हो कि धालभूमगढ़ और महुलीशोल लैंपस में दो वर्षों से धान के खरीदारी नहीं हो रही है. धालभूमगढ़ लैंपस मैनेजर तपन नारायण देव ने बताया कि वर्ष 2019-20-21और 22 का लगभग 34 लाख कमीशन बकाया है. महुलीशोल लैंपस के मलय शंड ने बताया कि 2011-12, 2012-13, 2018-19 का लगभग 40 लाख कमीशन बकाया होने से धान की खरीदारी नहीं हो पा रही है. प्रखंड में धान की बंपर पैदावार होते हुए भी किसानों में मायूसी छायी है.
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