मो.परवेज, गालूडीह
पूर्वी सिंहभूम जिले के गालूडीह (घाटशिला) स्थित दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में फिलहाल मौसम वैज्ञानिक नहीं है. 23 फरवरी, 2024 को मौसम वैज्ञानिक विनोद कुमार सेवानिवृत्त हो गये. फिलहाल पद रिक्त है. इससे कोल्हान के तीन जिले पूर्वी व पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां के किसान को केंद्र का लाभ नहीं मिल रहा है. उन्हें मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी नहीं मिल रही है. इसका असर फसलों पर पड़ रहा है. केंद्र से पूर्वी सिंहभूम जिले के 16 हजार किसान जुड़े हैं. उन्हें मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी मोबाइल पर मैसेज (संदेश) भेज कर दी जाती थी. वह अब बंद है. बड़े स्तर के किसान एंड्रायड फोन पर मौसम की जानकारी ले रहे हैं, पर छोटे स्तर के किसान (जिनके पास छोटा मोबाइल है) वह वंचित रह जा रहे हैं. किसानों और कृषि वैज्ञानिकों का यह मानना है कि खेती-किसानी में मौसम की जानकारी जरूरी है. फसल बर्बाद होगी, तो सारी मेहनत बेकार चली जायेगी.दारीसाई में रोग, मृदा और उद्यान वैज्ञानिक भी नहीं :
दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में मृदा (मि्टटी), फसल रोग और उद्यान के कृषि वैज्ञानिक नहीं हैं. इससे फसलों में रोग लगने पर सलाह देने वाला कोई नहीं है. मिट्टी जांच की विधि बताने वाला कोई नहीं है. खेती में सबसे अहम मौसम और मिट्टी की जांच जरूरी है. इन दिनों बहरागोड़ा और बरसोल क्षेत्र में गरमा धान में झुलसा बीमारी लगी है. वहीं, तरबूज में अज्ञात बीमारी लगी है. इसका समाधान कौन करेगा? किसान परेशान हैं.दारसाई में फिलहाल पांच कृषि वैज्ञानिक
दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में फिलहाल सिर्फ पांच कृषि वैज्ञानिक हैं. इनमें सह निर्देशक सह कीट वैज्ञानिक डॉ एन सलाम, शस्य वैज्ञानिक डॉ शंभू शरण और प्रदीप प्रसाद, कृषि अभियंता डॉ डी रजक और कृषि वाणिकी डॉ देवाशीष महतो कार्यरत हैं.–कोट–
23 फरवरी, 2024 को मौसम वैज्ञानिक विनोद कुमार सेवानिवृत्त हो गये. उनका पद खाली है. कोल्हान के तीनों जिले के किसानों को मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी हम अभी नहीं दे पा रहे हैं. रांची बिरसा कृषि विवि के हेड डॉ रमेश कुमार से संपर्क कर कुछ जानकारी लेते हैं, तो किसानों को जानकारी दी जाती है. दारीसाई में एक मौसम वैज्ञानिक की जरूरत हैं. यहां रोग, मृदा और उद्यान के कृषि वैज्ञानिक भी नहीं है. इससे फसलों में रोग लगने और मिट्टी की उर्वरता की जांच को लेकर परेशानी होती है. किसानों की समस्या का समाधान करने में दिक्कतें आती हैं. इसकी जानकारी बिरसा कृषि विवि को दी गयी है.- डॉ एन सलाम, सह निदेशक, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, दारीसाई
कृषि विज्ञान केंद्र से 16 हजार से अधिक किसान जुड़े हैं. उन्हें मैसेज के माध्यम से पहले मौसम के पूर्वानमान की जानकारी दी जाती थी. विनोद कुमार के सेवानिवृत्त के बाद यह जानकारी किसानों तक नहीं पहुंच रही है. खेती में मौसम की जानकारी जरूरी है, अन्यथा फसल बर्बाद होने का डर रहता है.– डॉ आरती वीणा एक्का, प्रधान वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, दारीसाई————-
किसानों को मिला खरीफ में खेती का प्रशिक्षण
दारीसाई कृषि विज्ञान केंद्र में बुधवार को जिले के विभिन्न प्रखंड के किसानों को खरीफ फसल का प्रशिक्षण दिया गया. इसमें 45 किसान शामिल हुए. प्रशिक्षण केबीके की प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ आरती वीणा एक्का और कृषि वैज्ञानिक गोदरा मार्डी ने दी. डॉ एक्का ने बताया कि खरीफ में मुख्य फसल धान है. मई के बाद खरीफ का मौसम शुरू हो जाता है. अभी से किसान तैयारी नहीं करेंगे, तो परेशानी होगी. खरीफ में बारिश समय पर हुई, तो धान की खेती करें, अन्यथा ऊपरी जमीन पर अन्य फसल जरूर लें. धान की आस में खेत परती ना छोड़ें. खरीफ फसल की अन्य कई मुख्य जानकारी किसानों को दी गयी.
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