बारिश नहीं होने से पूर्वी सिंहभूम के किसान परेशान, सूखने लगा है बिचड़ा
पूर्वी सिंहभूम जिले में मई महीने में सामान्यत: 95.4 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 85.2 मिलीमीटर ही बारिश ही हो पायी है. जबकि एक जून से 26 जून के बीच सिर्फ 30.0 मिलीमीटर बारिश हो पायी है.
ब्रजेश सिंह, जमशेदपुर : यह मौसम मॉनसून का है. आद्रा नक्षत्र 22 जून से शुरू हो चुका है. आद्रा नक्षत्र 13 दिन का होता है. आद्रा नक्षत्र में सबसे अधिक बारिश होती है, लेकिन अब तक जितनी बारिश होनी चाहिए, उतनी नहीं हुई है. पांच जुलाई तक आद्रा नक्षत्र रहेगा. आद्रा नक्षत्र के अब सिर्फ आठ दिन ही बचे हैं. बीते पांच दिनों में इस जिले में बारिश औसत से भी काफी कम हुई है. जिले में एक दिन में आद्रा नक्षत्र में सामान्य तौर पर 4.79 एमएम बारिश होनी चाहिए, लेकिन आद्रा नक्षत्र के इन पांच दिनों में एक दो दिन बारिश हुई, वह भी सिर्फ 2 एमएम तक. मौसम की इस बेरुखी से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. जिले से प्राप्त जानकारी के अनुसार बारिश कम होने के कारण अब तक 40 फीसदी ही धान का बिचड़ा गिराया जा सका है.
प्रभावित हो रही खरीफ की फसल
पूर्वी सिंहभूम जिले में मई महीने में सामान्यत: 95.4 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 85.2 मिलीमीटर ही बारिश ही हो पायी है. जबकि एक जून से 26 जून के बीच सिर्फ 30.0 मिलीमीटर बारिश हो पायी है, जबकि 247.8 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी. यानी 217 मिलीमीटर कम बारिश रिकॉर्ड की गयी. यह संकट की स्थिति है. अगर यही स्थिति 10 दिनों तक रही, तो जिला सूखाग्रस्त हो जायेगा. कृषि विभाग को हर दिन जिले की स्थिति से अवगत कराया जा रहा है. कम बारिश होने से जिले में खरीफ की फसल पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. 40 फीसदी हिस्से में बिचड़ा गिराया गया है. जिला कृषि कार्यालय के अनुसार बारिश नहीं होने से बिचड़े अब सूखने के कगार पर हैं.
किसानों के अनुसार तय समय में बिचड़ा नहीं गिराने व रोपनी समय पर नहीं होने से धान की खेती बुरी तरह प्रभावित होगी. बारिश नहीं होने से खेत में लगाये गये बिचड़े खराब हो रहे हैं. महंगे बीज लेकर किसानों ने धान की नर्सरी तैयार की थी. बारिश नहीं होने से फसल खराब हो रही है. अगर चार से पांच दिनों में बारिश नहीं हुई तो खेती पूरी तरह बर्बाद हो जायेंगे. पूर्वी सिंहभूम जिले की स्थिति बेहद खराब है.
घाटशिला, डुमरिया, गालूडीह व धालभूमगढ़ क्षेत्र के किसान अधिक परेशान
बारिश में कमी होने के कारण घाटशिला, समेत डुमरिया, गालूडीह और धालभूमगढ़ क्षेत्र के किसान काफी परेशान है. इस क्षेत्र के किसानों के लिए समस्या इसलिए अधिक है कि यहां पर किसानों के पास ना नहर है और न ही बोरिंग की सुविधा है. धान की खेती के लिए इलाके के किसान पूरी तरह बारिश पर निर्भर हैं. बारिश नहीं होने की स्थिति में कृषि वैज्ञानिक यहां के किसानों को लाह की खेती करने की सलाह दे रहे हैं.
वैकल्पिक खेती पर जोर देने की जरूरत
कृषि मौसम वैज्ञानिक बिनोद कुमार ने बताया कि नियमित बारिश नहीं होने से खेती प्रभावित हो रही है. किसानों को अभी से ही तैयार होना होगा. उन्हें औसत से कम बारिश के अनुसार तकनीकी रूप से वैकल्पिक खेती करनी होगी, तभी किसान इस चुनौती का सामना कर पायेंगे.
धान के विकल्प में मोटे अनाज की खेती करें किसान
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार राज्य में मौसम की बेरुखी के विकल्प के रूप में मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, मडु़आ की खेती की पूरी संभावना है. इजराइल के तर्ज पर कम पानी में भी खेती की तकनीकी का इस्तेमाल करना पड़ेगा. भारत में कृषि सिंचाई योजना के तहत बूंद-बूंद सिंचाई के लिए कई प्रावधान किये गये हैं, जिससे कम पानी में पर्याप्त सिंचाई की जा सकती है. बाकी फसल के साथ-साथ मोटे अनाज की भी खेती हो सकती है. मोटे अनाज में पौष्टिक गुणवत्ता बहुत ज्यादा होती है और कम बारिश में भी यह अच्छी पैदावार देते हैं.
बारिश के लिए अभी करना होगा इंतजार : मौसम विभाग
झारखंड के मौसम विभाग के पदाधिकारी अभिषेक आनंद ने बताया कि बारिश के लिए अभी और इंतजार करना होगा. पूरे राज्य में ही बारिश के हालात काफी खराब है. उम्मीद है कि 28 और 29 जून के बाद से बारिश में होगी. अभी चाईबासा, पाकुड़, साहेबगंज से होते हुए रक्सौल तक मॉनसून बढ़ा है. तीन दिनों में मॉनसून का दायरा और बढ़ेगा. पूरे राज्य में मॉनसून अभी सक्रिय नहीं हुआ है. दो -तीन दिनों में अगर मॉनसून का विस्तार हुआ तो हर जिले में बारिश होने लगेगी.
बारिश नहीं होने से स्थिति खतरनाक : कृषि पदाधिकारी
जिले के कृषि पदाधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि बारिश नहीं होने से खतरनाक स्थिति बन रही है. काफी कम किसानों ने बिचड़ा डाला है. जिन किसानों ने बिचड़ा डाला है, वह भी सूखने के कगार पर है. उन्होंने बताया कि अगर हालात सप्ताह से दस दिनों में सुधार नहीं हुए तो सुखाड़ जैसी स्थिति हो जायेगी. फिलहाल, कृषकों को बीज उपलब्ध करा दिया गया है लेकिन बारिश ही नहीं हो पा रही है, जिसके कारण बिचड़ा नहीं डाला जा पा रहा है. किसानों को वैकल्पिक पैदावार पर भी फोकस करना होगा.
क्या कहते हैं किसान :
- बारिश नहीं हो रही है. संकट का दौर है. वैकल्पिक खेती को भी नुकसान हो रहा है. हम लोगों के समक्ष चुनौतियां काफी ज्यादा है. इसके विकल्पों पर सरकार को उपाय करना चाहिए.
-यदुनाथ गोराई - बारिश काफी कम हुई है. बिचड़ा लगना मुश्किल है. खेत तप रहे हैं. मिट्टी सूख चुकी है. कैसे खेती होगी, समझा नहीं आ रहा है.
-श्रीमंत मिश्रा
लक्ष्य से काफी कम खेती होने की उम्मीद
पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. बारिश नहीं होने से जहां धान की रोपनी बंद है. वहीं खरीफ फसलों की बुआई भी प्रभावित हुई है. साथ ही मॉनसून के दौरान होने वाली सब्जी की फसल भी सूखने लगे हैं. जिले में धान की रोपनी का लक्ष्य 110000 (एक लाख 10 हजार हेक्टेयर) हेक्टेयर भूमि पर रखा गया है. जिले में मक्का की बुआई का लक्ष्य 11820 हेक्टेयर भूमि पर निर्धारित किया गया है. जिसमें केवल 624 हेक्टेयर (5.28 प्रतिशत) में ही अब तक फसल लगायी जा सकी है. विभाग का मानना है कि अगर पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो उपरोक्त फसलों को बचाना किसानों के लिये काफी मुश्किल होगा.
लक्ष्य से 25 प्रतिशत कम हुआ दलहन व तेलहन
पूर्वी सिंहभूम जिले में खरीफ फसलों में दलहन, तेलहन एवं कुछ मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा, मड़ूआ वगैरह) की खेती होती है. दलहन एवं तेलहन की खेती लक्ष्य का 25 प्रतिशत से भी कम हुई है. इसका प्रमुख कारण शुरुआती दौर (जून ) में कहीं-कहीं अत्यधिक वर्षा का होना है. जिले में दलहन का लक्ष्य 22 हजार 200 हेक्टेयर भूमि पर लगाने का था. लेकिन अभी तक मात्र 217 हेक्टेयर भूमि पर ही फसल लगी है. इसी तरह तेलहन (मुंगफली, तिल, सोयाबीन, सरगुजा एवं अंडी) की बुआई का लक्ष्य 2650 हेक्टेयर भूमि पर था. लेकिन अभी तक इसकी कहीं बुआई नहीं हुई है.
खरीफ फसल का लक्ष्य एवं बुआई (सभी आंकड़े हेक्टेयर में)
फसल लक्ष्य बुआई
धान 110000 5568
मक्का 11820 624
दलहन 22200 217
तेलहन 2650 00
मोटे अनाज 1190 00
पूर्वी सिंहभूम में 84 फीसदी, सरायकेला खरसावां में 63 फीसदी और पश्चिम सिंहभूम में 52 फीसदी कम बारिश
मौसम विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, एक जून से 26 जून तक के बीच पूर्वी सिंहभूम जिले में 84 फीसदी कम बारिश हुई है. इस जिले में अब तक 31.5 मिलीमीटर बारिश हुई है जबकि सामान्य वर्षापात जिले में 191.2 मिलीमीटर अब तक हो जाती थी. वहीं, पश्चिम सिंहभूम जिले में 160.3 मिलीमीटर बारिश अब तक हो जाती है, लेकिन अब तक सिर्फ 76.9 मिलीमीटर बारिश हो पायी है. पश्चिम सिंहभूम में 523 फीसदी कम बारिश हुई है. यही हाल सरायकेला खरसावां जिले का है. सरायकेला-खरसावां जिले में 166.8 मिलीमीटर सामान्य तौर पर होनी चाहिए थी, लेकिन अभी 61.9 मिलीमीटर बारिश ही हो पायी है. 63 फीसदी कम बारिश यहां रिकॉर्ड की गयी है.
जिले में 10 साल जून माह में बारिश का रिकॉर्ड (जून माह में सामान्य बारिश 235.7 मिलीमीटर है) (मौसम विभाग)
साल बारिश कितना हुआ कमी
2014 231.5 एमएम 2 फीसदी
2015 173 एमएम 27 फीसदी
2016 179.2 एमएम 24 फीसदी
2017 131.4 एमएम 44 फीसदी
2018 173.5 एमएम 26 फीसदी
2019 134.3 एमएम 43 फीसदी
2020 265.5 एमएम 13 फीसदी अधिक
2021 263.8 एमएम 12 फीसदी अधिक
2022 214.8 एमएम 9 फीसदी
2023 103 एमएम 56 फीसदी
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