East Singhbhum : बाघिन ‘जीनत’ के 200 मीटर की परिधि में पहुंची वन विभाग की टीम, चाकुलिया वन क्षेत्र में 48 घंटे से विचरण कर रही

सोमवार रात बाघिन की चहलकदमी राजाबासा जंगल से चाकुलिया हवाइपट्टी व धोबाशोल तक देखने को मिली है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 11, 2024 12:36 AM

चाकुलिया. ओडिशा स्थित सिमलीपाल अभ्यारण्य से भागी बाघिन जीनत पिछले 48 घंटे से चाकुलिया वनक्षेत्र में डेरा डालकर रखी है. चाकुलिया वन विभाग के साथ ओडिशा की टीम लगातार जीपीएस के माध्यम से बाघिन का लोकेशन ट्रैक कर रही है. सोमवार की शाम तक बाघिन के चाकुलिया के राजाबासा जंगल के आसपास होने की सूचना मिली थी. सोमवार रात बाघिन की चहलकदमी राजाबासा जंगल से चाकुलिया हवाइपट्टी व धोबाशोल तक देखने को मिली है. धोबाशोल में बाघिन से मिलते-जुलते पंजे के निशान भी पाये गये हैं. वन विभाग जांच करने में जुटी है कि यह पंजा का निशान बाघिन जीनत का ही है अथवा किसी अन्य जंगली जानवर का. मंगलवार को बाघिन का लोकेशन मौरबेड़ा से सुनसुनिया जाने वाले मार्ग के बीच स्थित जंगल में मिला. ओडिशा वन विभाग की टीम ने जीपीएस लोकेशन में पाया कि बाघिन उनसे लगभग 200 मीटर की दूरी पर आराम फरमा रही है. हालांकि बाघिन को देखने का दावा अब तक किसी ने भी नहीं किया है. ओडिशा वन विभाग की टीम के सदस्यों ने बताया कि उनका प्रयास होगा बाघिन जिस रास्ते झारखंड पहुंची है उसी रास्ते वापस सिमलीपाल तक ले जाया जाये. विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए भी ओडिशा वन विभाग की टीम पूरी तरह से तैयार है. दूसरी ओर चाकुलिया वन क्षेत्र में बाघिन के प्रवेश करने चाकुलिया में अफवाहों का बाजार गर्म रहा. सबकी जुबां पर बाघिन का ही नाम था. सोशल मीडिया पर लोग बाघ का वीडियो पोस्ट कर चाकुलिया के विभिन्न स्थानों से गुजरने का झूठा दावा भी कर रहे हैं.

2020 में भी भटक कर आ गया था बाघ, सप्ताह भर था दहशत

घाटशिला वनक्षेत्र के बंगाल सीमा से सटे झाटीझरना के फूलझोर से कालचिती पंचायत के बासाडेरा-डाइनमारी तक फैले जंगल में जनवरी 2020 में भटक कर एक बाघ आया था. बाघ ने फूलझोर में एक बैल पर हमला किया था. बाघ के पंजे से हमले की पुष्टि तब वन विभाग ने की थी. वहीं बासाडेरा जंगल में चरने गये एक बैल पर बाघ ने हमला किया था इससे बैल मर गया था. बैल का मांस भी गायब पाया गया था. कई जगह बाघ के पंजे के निशान भी मिले थे. इससे जंगल से सटे गांवों में सप्ताह भर तक दहशत था. तब डीएफओ डॉ अभिषेक कुमार थे. वे सूचना पाकर झाटीझरना के फूलझोर वनकर्मियों के साथ पहुंचे थे.

सूचना पाकर विधायक रामदास सोरेन भी अपने समर्थकों के साथ झाटीझरना के फूलझोर गये थे. तब वन विभाग चोंगा से जंगल से सटे गांवों में अलाउंस कर ग्रामीणों को अलर्ट किया था. उस समय ग्रामीणों को जंगल जाने पर रोक लगा दी गयी थी. सप्ताह भर तक झाटीझरना के लोग गांव से बाहर नहीं जा रहे थे. बैल-बकरियों को जंगल किनारे नहीं छोड़ रहे थे. जंगल के रास्ते में आवागमन ठप हो गया था. रात में ग्रामीण घर के बाहर आग जलाकर पहरेदारी करते थे. वन विभाग की टीम लगातार गश्ती कर रही थी. सप्ताह भर बाद बाघ की गतिविधि नहीं देखी गयी. तब भी वन विभाग ने कहा कि बाघ सिमलीपाल जंगल से भटक कर यहां पहुंचा था.

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