गुड़ाबांदा प्रखंड में डॉक्टर नहीं, बंगाल व ओडिशा के भरोसे 50 हजार आबादी
स्वास्थ्य सेवा बदहाल. प्रखंड में नौ स्वास्थ्य केंद्रों के भवन बेकार, विकास के नाम पर प्रखंड बना, पर आज तक सीएचसी नहीं बना, स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला में स्वास्थ्य सेवा वेंटीलेटर पर, एक एंबुलेंस गुड़ाबांदा में थी, वह भी बहरागोड़ा को दे दी गयी
गुड़ाबांदा. घाटशिला अनुमंडल का गुड़ाबांदा प्रखंड बने 15 साल हो गये, लेकिन लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. विकास की बात कह कर गुड़ाबांदा को प्रखंड बना दिया गया, लेकिन आजतक सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) नहीं बन सका. प्रखंड में सरकारी स्तर पर 9 स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन एक भी स्थायी डॉक्टर नहीं हैं. इसके कारण स्वास्थ्य केंद्र बंद रहता है. कई केंद्र जंगल झाड़ियों से घिर गये हैं. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का गृह जिला होते हुए भी गुड़ाबांदा के मरीज बंगाल व ओडिशा जाकर इलाज कराने को विवश हैं. वर्तमान में एक एंबुलेंस गुड़ाबांदा क्षेत्र को मिली थी. हालांकि वह भी बहरागोड़ा क्षेत्र के लिए भेज दी गयी. गुड़ाबांदा प्रखंड की करीब 50 हजार की आबादी झाड़-फूंक के भरोसे है.
अस्पताल के लिए बने भवन बेकार पड़े हैं
ज्ञात हो कि गुड़ाबांदा प्रखंड में अस्पताल के लिए भवन बने हैं, लेकिन उसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है. सिर्फ ठेकेदारों को फायदा हुआ. अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने से भवन बेकार पड़े हैं. प्रखंड के आंगारपाड़ा में उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण पूर्व में डॉ दिनेश षाड़गी के कार्यकाल में हुआ था. हालांकि केंद्र को डॉक्टर नहीं मिला. केंद्र बंद पड़ा है. अब भवन झाड़ियों से घिर गया है.बालीजुड़ी केंद्र तक जाने के लिए रास्ता भी नहीं
एक उप स्वास्थ्य केंद्र बालीजुड़ी में है, जहां जाने के लिए रास्ता नहीं है. यहां भवन के खिड़की- दरवाजे टूटकर गिर रहे हैं. वहीं काशियाबेड़ा, सिंहपुरा और खड़ियाबांदा में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बने हैं, पर बेकार पड़े हैं. सिंहपुरा में महिला डॉक्टर भारती मिंज की पदस्थापना हुई थी. उनके तबादला के बाद कोई चिकित्सक नहीं आये. एक डॉक्टर को सप्ताह में एक दिन बैठने का है, पर वह कभी-कभार ही आते हैं. यहां के लोग निजी क्लीनिक और ग्रामीण चिकित्सकों के भरोसे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है