बनकटिया जंगल में लगी भीषण आग, पांच एकड़ की बांस की खेती बर्बाद
अगलगी से काजू के बड़े-बड़े पेड़ भी झुलस गये हैं. इससे किसानों में निराशा है.
बरसोल. गोपालपुर पंचायत के बनकटिया जंगल में आग लगने से काजू व बांस समेत अन्य प्रजाति के हजारों पेड़-पौधे जलकर राख हो गये. किसानों द्वारा लगायी गयी पांच एकड़ बांस की खेती बर्बाद हो गयी. शनिवार को असामाजिक तत्वों द्वारा लगायी गयी आग से काजू के बड़े-बड़े पेड़ भी झुलस गये हैं. इससे किसानों को आर्थिक क्षति पहुंची है. इन दिनों काजू के पेड़ में फूल और फल निकलना शुरू हो गया था. काजू पेड़ों के आग से झुलस जाने के कारण काजू का उत्पादन नहीं होगा. आग से छोटे-मोटे वन्य प्राणी भी झुलस कर मर गये. जानकारी के मुताबिक, इस इलाके में दो साल पहले विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण हुआ था. जंगल में स्वत: आग नहीं लग रही है, असामाजिक तत्वों या फिर जंगल से लकड़ी काटने वाले लोग जंगल में आग लगा देते हैं. इससे छोटे-छोटे पौधे जल जाते हैं और बाद में उसकी लकड़ी काटकर ले जाते हैं. इस इलाके के बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है. लोग दिन-दहाड़े पेड़ों को काटकर ले जा रहे हैं. वन विभाग देखकर भी मौन है.
वन विभाग की लापरवाही से जंगल में लगती है आग : किसान
बांस की खेती करने वाले सनातन पातर, रंजीत पातर, प्रेमचांद पातर, रामचंद्र मांडी, रवि सोरेन, शंकर सोरेन, मानस पातर, मोतीलाल पातर का कहना है कि यह क्षेत्र ऊंचा होने से धान की खेती नहीं होती है. इसलिए हमलोग बांस की खेती कर गुजारा करते हैं. जंगल में शरारती तत्वों द्वारा आग लगा देने से बांस की खेती जलकर राख हो गयी. ग्रामीणों ने जब आग लगने की खबर वन सुरक्षा समिति को दी, तो उनलोगों ने ग्रामीणों के सहयोग से आग बुझाने का प्रयास किया. सूचना मिलने पर दमकल पहुंचकर आग पर काबू पाया. इस बीच पांच एकड़ से अधिक बांस की खेती जलकर बर्बाद हो गयी. स्थानीय लोगों के अनुसार वन विभाग की लापरवाही से हर साल बगान में आग लगती है. सैकड़ों पेड़ जलकर खाक हो जाते हैं. यहां कई लोग पेड़ काटकर जलावन के लिए ले जाते हैं. इसपर न तो वन सुरक्षा समिति ध्यान देती है और न ही वन विभाग संज्ञान लेता है. धीरे-धीरे पेड़ों की संख्या भी कम होती जा रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है