Ghatshila News : महंगाई बिगाड़ रही सेहत, किलो में सब्जी खरीदने वाले पाव भर से ही चला रहे काम
सब्जियों के दाम आसमान पर, नेता चुनाव में मस्त, जनता हो रही त्रस्त, गरीब की थाली से हरी सब्जियां हुईं दूर, चटनी पर भी आफत
गालूडीह/घाटशिला.
बेकाबू महंगाई ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है. राशन सामग्रियों के साथ सब्जियां भी झटका दे रही हैं. स्थिति यह कि आम आदमी सब्जी बाजार में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. किचेन में बड़ी मुश्किल से सब्जी देखने को मिल रही है. पेट भरने के लिए लोग किसी तरह पाव भर व आधा किलो सब्जी खरीद रहे हैं. सब्जियां कम खाने का असर लोगों की सेहत पर पड़ने लगा है. महंगाई ने गरीब की थाली से हरी सब्जियां दूर कर दी है. टमाटर-मिर्च की चटनी बनाना भी भारी पड़ रहा है. लहसुन ने पहले ही लोगों के चेहरों को सफेद कर दिया है. प्याज अपनी कीमत की सीमा लांघ चुका है. आलू भी पीछे नहीं है. शिमला मिर्च, बीम जैसी सब्जियां तो फल पर भारी पड़ रही हैं.500 रुपये में नहीं भर रहा झोला
झारखंड में फिलहाल चुनाव को लेकर नेता प्रचार में मस्त हैं. वहीं, आम जनता महंगाई की मार से त्रस्त है. गालूडीह व घाटशिला के बाजारों में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. लहसुन 400 रुपये किलो, प्याज 70 रुपये व आलू 40 रुपये बिक रहा है. टमाटर, पटल, गोभी, मिर्च, नेनुआ, गाजर, बरबट्टी, शिमला मिर्च आदि के भाव आसमान पर है. लोग किलो की जगह पाव भर सब्जियां खरीद रहे हैं. 500 रुपये में झोला नहीं भर रहा है.विक्रेताओं की कमाई पर भी पड़ा असर
गालूडीह हाट-बाजार में आमतौर पर अन्य सब्जी बाजार की तुलना में दाम थोड़े कम होते हैं, वहां भी सब्जियां महंगी हैं. सब्जी विक्रेता कहते हैं कि हम महंगी खरीद रहे हैं, तो मजबूरन महंगा बेचना पड़ रहा है. एक माह पहले चक्रवाती बारिश से सब्जियों के पौधे बर्बाद हो गये. सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी से विक्रेताओं को भी नुकसान हो रहा. जो लोग पहले किलो के हिसाब से सब्जियां खरीदते थे अब ग्राम के हिसाब से खरीद रहे हैं. ऐसे में दिनभर दुकान पर बैठने पर भी सब्जियां बेच नहीं पा रहे हैं. स्थानीय स्तर पर सब्जी उत्पादन कम होने के कारण बाहर से आ रही है. बाजार में सब्जियों के भाव चढ़े हुए हैं. कुछ दिनों में स्थानीय सब्जियां आते ही भाव गिरने लगेंगे.रसोई का बजट बिगड़ने से मात्रा में कटौती
बाजार में आटा, तेल, दाल, चना दाल, मूंग दाल, मटर, चना समेत अन्य हर किसी के भाव बढ़े हुए हैं. ऐसे में परिवारों का रसोई बजट बिगड़ गया है. दाल और सब्जी में कटौती की नौबत आ गयी है. इससे आमजन और मध्यम वर्ग के लोग काफी परेशान है.–क्या कहती हैं गृहणियां–
सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी हो गयी है. सरकार को ध्यान देना चाहिए. घर का बजट बिगड़ गया है. लोग किलो के बजाये पाव में सब्जी खरीद रहे हैं. खाद्य तेल और आटा के भाव भी ऊपर है. – पूनम महतो, उलदा——————————-रसोई का हर सामान महंगा हो गया है. समझ में नहीं आता क्या पकाएं क्या खाएं. आय से अधिक खर्च हो जा रहा है. अब तो वर्षा भी नहीं हो रही है, फिर भी महंगाई है. रसोई चलाना मुश्किल हो गया है. – सुष्मिता दास, दारीसाई
—————-सब्जियों के भाव (प्रति किलो में)
टमाटर – 50 रुपयेपटल (परवाल)- 50 रुपयेभिंडी- 60 रुपयेगाजर- 80 रुपयेशिमला मिर्च- 80 रुपयेबीम- 80 रुपयेबरबट्टी- 50 रुपये
धनिया पत्ता- 200 रुपयेखीरा- 30 रुपयेपालक- 60 रुपये
हरी मिर्च- 100 रुपयेफूल गोभी- 40 रुपये
आलू- 40 रुपयेप्याज- 70 रुपयेलहसून- 400 रुपयेअदरक- 100 रुपयेराशन सामग्रियों के दाम (प्रति किलो में)
सरसों तेल- 170 रुपयेरिफाइन तेल- 140 रुपयेचना दाल- 100 रुपये
मूंग दाल- 120 रुपयेमटर- 60 रुपये
चना- 100 रुपयेआटा- 45 रुपये
चीनी- 45 रुपयेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है