East Singhbhum : खजूर गुड़ की सौंधी खुशबू से महका माटीगोड़ा

जादूगोड़ा के आस-पास बंगाल के कारीगरों ने बनाया आशियाना

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2024 12:10 AM

जादूगोड़ा.ठंड का मौसम शुरू होते ही जादूगोड़ा और आसपास के इलाकों में पश्चिम बंगाल से खजूर गुड़ के कारीगर पहुंच जाते हैं और जंगलों में ही गुड़ का निर्माण करते हैं. जादूगोड़ा के पुराना राखा माइंस रोड़ पर माटीगोड़ा के आसपास खजूर गुड़ के कारीगरों ने डेरा डाल रखा है, जिससे पूरा वातावरण गुड़ की सौंधी खुशबू से महक उठा है. इसकी खुशबू की महक शहरी लोगों को मिलते ही वे अनायास ही जंगलों की ओर खिंचे चले आते हैं और खजूर गुड़ जिसे स्थानीय भाषा में पटाली गुड़ भी कहते हैं, उसकी खरीदारी करते देखे जा सकते हैं.

8 से 10 घंटे आग पर पकाकर तैयार करते हैं गुड़

सेहत से भरपूर इस गुड़ की बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से पहुंचे कारीगरों ने बताया कि सुबह 3:00 उठकर खजूर के पेड़ से नीरा जिसे लोग ताड़ी भी कहते हैं, उतरना पड़ता है. उसके बाद करीब 8 से 10 घंटे कड़े आग पर पकाकर, इसे तैयार किया जाता है. इसमें दो तरह के गुड़ तैयार होते हैं. एक तरल गुड़ दूसरा भेली जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में पटाली गुड़ भी कहा जाता है. पश्चिम बंगाल और झारखंड के सिंहभूम क्षेत्र में इसकी खासी डिमांड होती है. तरल गुड़ 100 रुपये किलो और पटाली गुड़ 120 रुपए किलो बिकता है. कारीगरों ने बताया कि दिन भर जीतोड़ मेहनत के बाद तीन से चार टीन यानी करीब 50 से 60 किलो गुड़ का उत्पादन कर लेते हैं जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है. दूर-दराज से लोग इसे खरीदने पहुंचते हैं

यह गुड़ बेहद ही गुणकारी और लाभदायक

यह गुड़ बेहद ही गुणकारी और लाभदायक है. खासकर ठंड के मौसम में इसके सेवन से कई रोगों पर नियंत्रण पाया जा सकता है. इस गुड़ में कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस से लेकर कई तरह के मिनरल्स पाये जाते हैं. जोर ठंड के मौसम में शरीर को निरोग रखने में काफी लाभदायक होता है. ठंड के मौसम में इस गुड़ के सेवन से कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रहता है. साथ ही ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीज भी इसका सेवन कर सकते हैं. हालांकि शुगर के मरीज इसके ज्यादा सेवन से परहेज करें.

-डॉ शंकर गुप्ता, हृदय रोग चिकित्सक

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