जमशेदपुर.
लौहनगरी जमशेदपुर ने पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया है. इस बार जमशेदपुर की स्वाति शर्मा को यूपीएससी की परीक्षा में झारखंड टॉपर बनने का गौरव हासिल हुआ. उन्हें देश में 17वां स्थान हासिल हुआ. इस सफलता के दो दिन बीते ही थे कि 19 अप्रैल को मैट्रिक की परीक्षा में भी जमशेदपुर पूरे राज्य में अव्वल रहा. इतना ही नहीं पिछले साल आइसीएसइ की परीक्षा में हिलटॉप के छात्र को कंट्री टॉपर बनने का गौरव हासिल हुआ था. बैक टू बैक लगभग हर साल आइसीएसइ व आइएससी की परीक्षा में कंट्री टॉपर जमशेदपुर दे रहा है. इसी शहर ने अभिनव कुमार के रूप में वर्ष 1998 में आइआइटी का टॉपर भी दिया है. इसका श्रेय न सिर्फ विद्यार्थियों को बल्कि बेहतर एजुकेशन सिस्टम को भी जाता है.
सफलता के ये हैं शिल्पकार
1. विजया जाधव :
पूर्व डीसी विजया जाधव ने अपने कार्यकाल के दौरान एक प्रयोग किया था. हर माह नियमित रूप से स्कूली बच्चों की टेस्ट लेना शुरू किया. कॉपियों की जांच शिक्षकों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों से भी करवाया. इसका सकारात्मक असर हुआ. शिक्षक किस मॉडल से पढ़ायें, इसकी ट्रेनिंग लेने सभी को कोडरमा भेजवाया था. शिक्षा विभाग के साथ ही स्कूलों में औचक निरीक्षण हुआ. सरकारी शिक्षा का बेहतर माहौल बना.
2. मनीष कुमार :
डीडीसी मनीष कुमार जमशेदपुर से पूर्व कोडरमा में बतौर एसडीओ पदस्थापित थे. वहां उन्होंने तत्कालीन डीसी आदित्य रंजन के साथ कार्य किया था. करीब से प्रोजेक्ट रेल के साथ ही परख व अन्य योजनाओं को धरातल पर उतारा था. उक्त योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन पूर्वी सिंहभूम में भी किया.
3. निर्मला बरेलिया :
पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी निर्मला बरेलिया वर्तमान में आरडीडीइ हैं. जब वह पूर्वी सिंहभूम जिले की जिला शिक्षा पदाधिकारी थीं उस वक्त वह नियमित रूप से स्कूलों का भ्रमण करती थी. हर सप्ताह टेस्ट लेना शुरू किया. टेस्ट सिर्फ खानापूर्ति नहीं हो, इसके लिए एक मॉनिटरिंग टीम बनायी गयी. कमजोर बच्चों को टारगेट कर तैयारी करवाया गया.
कोडरमा में करवाई गयी थी शिक्षकों की ट्रेनिंग :
मैट्रिक की परीक्षा के रिजल्ट में बैक टू बैक तीन वर्षों तक कोडरमा राज्य में अव्वल रहा था. उस वक्त कोडरमा के डीसी आदित्य रंजन थे. आदित्य रंजन ने इस सफलता के बारे में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को दी. बताया कि उन्होंने बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए किस प्रकार प्रोजेक्ट रेल के साथ ही परख अभियान को धरातल पर उतारा, जिसका नतीजा हुआ कि शिक्षा का बेहतर माहौल बना. इससे प्रभावित होकर पूर्वी सिंहभूम की तत्कालीन डीसी विजया जाधव ने जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ ही प्रिंसिपलों की टीम को खास तौर पर कोडरमा भेजा. वहां दो दिनों की ट्रेनिंग हुई. उन्होंने वहां देखा कि आखिर किस प्रकार योजना को धरातल पर उतारा गया है. इसके बाद उसी कॉन्सेप्ट को पूर्वी सिंहभूम जिले में राज्य स्तर पर प्रोजेक्ट रेल को लागू करने से पहले ही कर दिया गया था.
परख और प्रोजेक्ट रेल ने किया कमाल :
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से राज्य में शिक्षा के विकास के लिए प्रोजेक्ट रेल व परख को चलाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट का ही असर है कि स्कूलों में न सिर्फ बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है बल्कि सतत रूप से उनका मूल्यांकन भी होता रहा. स्कूलों में शैक्षणिक माहौल बेहतर बना. स्कूल को मोहल्ला के साथ टैग किया गया. पढ़ाई करने वाले बच्चे अगर स्कूल नही पहुंचते तो उन्हें स्कूल तक लाने के लिए शिक्षक उनके घरों तक पहुंचने लगे. शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने के लिए सीटी बजाओ अभियान का भी सकारात्मक असर दिखा.
बेहतर रिजल्ट रहा :
पूर्वी सिंहभूम के जिला शिक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि इस बार का रिजल्ट काफी बेहतर रहा है. इस रिजल्ट को आगे भी बरकरार रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी व चुनौती है. जिला शिक्षा विभाग की टीम के साथ ही शिक्षक, अभिभावक व बच्चों के साझा प्रयास से हम अगले साल भी अव्वल रहें, इस दिशा में प्रयास किया जायेगा. जहां कहीं भी कमियां रही हैं, उसकी भी समीक्षा की जाएगी