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घाटशिला विधानसभा सीट पर कांग्रेस को हराकर झामुमो ने गाड़ा झंडा, भाजपा को हराकर जीते रामदास सोरेन

Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड में घाटशिला विधानसभा सीट झामुमो ने कांग्रेस से छीन ली थी. घाटशिला को अरसे से जिला मनाने की मांग की जा रही है.

Jharkhand Assembly Election|घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम), मो परवेज : झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगरमी तेज हो गयी है. इंडिया और एनडीए गठबंधन सियासी बिसात पर गोटियां चलाने लगे हैं. भाजपा ने दो दिग्गज केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व सरमा को प्रभारी बनाकर झारखंड भेज दिया है. वहीं इंडिया कैंप में बैठकों का दौर चल रहा है.

हरियाणा, महाराष्ट्र के साथ अक्टूबर में हो सकता है झारखंड में चुनाव

झारखंड में 5 जनवरी 2025 तक सरकार गठन की समय सीमा है. नियत समय पर चुनाव हुए, तो नवंबर-दिसंबर में चुनाव हो जाना चाहिए. अटकलें तेज हैं कि झारखंड में विधानसभा का चुनाव हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ अक्टूबर में हो सकता है. प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों का रिपोर्ट कार्ड छाप रहा है. विधानसभा रिपोर्ट में राजनीतिक समीकरण, एजेंडे और लोगों के मुद्दों को विस्तार से पढ़ें. पहली कड़ी में पेश है घाटशिला का रिपोर्ट कार्ड.

एसटी के लिए आरक्षित है घाटशिला विधानसभा सीट

घाटशिला विधानसभा एसटी आरक्षित सीट है. अलग झारखंड राज्य गठन के पूर्व और बाद में इस सीट पर कांग्रेस की दखल रही. वर्ष 1995 से 2005 तक इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू जीतते रहे. वह लगातार तीन बार इस सीट से विधायक रहे. कांग्रेस में इनकी मजबूत पकड़ रही. वर्ष 2009 के चुनाव में झामुमो के रामदास सोरेन ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली.

Ghatshila Jharkhand Assembly Election 2024
घाटशिला विधानसभा सीट पर कांग्रेस को हराकर झामुमो ने गाड़ा झंडा, भाजपा को हराकर जीते रामदास सोरेन 4

घाटशिला में झामुमो के रामदास सोरेन ने जीता था 2019 का चुनाव

पिछले 2019 के विधानसभा चुनाव में भी यहां से झामुमो के रामदास सोरेन चुनाव जीते हैं. उन्हें 63,340 मत मिले . वहीं दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी लखन मार्डी को 56,725 मत मिले थे. पिछले चुनाव में झामुमो-कांग्रेस में गठबंधन था. हालांकि कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू बागी बन कर आजसू से चुनाव लड़े थे. उन्हें 31,910 वोट मिले थे. इंडिया गठबंधन में यह सीट झामुमो के खाते में जाती रही है.

घाटशिला विधानसभा के अपने एजेंडे और मुद्दे हैं

घाटशिला विधानसभा के अपने एजेंडे और मुद्दे हैं. घाटशिला क्षेत्र को अलग जिला बनाने, बंद खदानों को चालू कराने और खेतों के लिए सिंचाई की व्यवस्था करना यहां के मुख्य मुद्दे हैं. इस क्षेत्र में घाटशिला, धालभूमगढ़, मुसाबनी और गुड़ाबांदा का आधा हिस्सा आता है. उत्तर में पश्चिम बंगाल व दक्षिण में ओडिशा प्रांत की सीमा है.

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बंद हो गया हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड. 15 हजार से अधिक मजदूर हो गए बेरोजगार. फोटो : प्रभात खबर

घाटशिला अनुमंडल में हैं 7 प्रखंड

यूं तो घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में कई मुद्दे हैं, लेकिन अलग जिला की मांग सबसे मुख्य मुद्दा है. घाटशिला अनुमंडल में सात प्रखंड घाटशिला, धालभूमगढ़, मुसाबनी, गुड़ाबांदा, चाकुलिया, बहरागोड़ा और डुमरिया हैं. इन प्रखंडों को मिलाकर घाटशिला जिला बनाने की मांग वर्षों से उठती रही हैं. लोगों का कहना है कि भौगोलिक दृष्टिकोण, आबादी, क्षेत्रफल के हिसाब से यह मांग जायज भी है.

1962 में सीपीआई के बास्ता सोरेन ने कांग्रेस के घानीराम को हराया

घाटशिला विधानसभा सीट से 1962 में सीपीआई नेता बास्ता सोरेन ने जीत दर्ज कर पहली बार लाल झंडा लहराया था. बास्ता सोरेन ने कांग्रेस प्रत्याशी घानीराम हांसदा को 897 मतों से हराया था. तब बास्ता सोरेन को 6724 और घानीराम हांसदा को 5827 मत मिले थे. बास्ता सोरेन 1962 से 67 तक घाटशिला के विधायक रहे थे.

95 साल के बास्ता सोरेन की पुत्रवधू भाजपा में

घानी राम हांसदा अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन बास्ता सोरेन जीवित हैं. उनकी उम्र 95 साल हो गयी है. अब चल-फिर नहीं पाते हैं. फिलहाल पुत्र डॉ देवदूत सोरेन और पुत्रवधू डॉ सुनीता देवदूत सोरेन के साथ जमशेदपुर में रह रहे हैं. डॉ सुनीता पहले झाविमो में सक्रिय रहीं. पिछले विधानसभा में चुनाव भी लड़ीं थीं. अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं. घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं.

Jharkhand Assembly Election 2024 Ghatshila Leaders
घाटशिला विधानसभा सीट पर कांग्रेस को हराकर झामुमो ने गाड़ा झंडा, भाजपा को हराकर जीते रामदास सोरेन 5

अपने जमाने को याद करके क्या कहते हैं बास्ता बाबू

बास्ता बाबू तब की बातों को याद कर कहते हैं कि तब जन सरोकार व जनहित की राजनीति होती थी. अब पैसा व पावर की राजनीति होती हैं. तब चुनाव प्रचार साइकिल और पैदल हुआ करता था. लोगों के घरों में मांग कर भात खाते थे. कभी भूखे भी रहना पड़ता था. आज स्थिति उलट है. अब राजनीति से नीति और सिद्धांत गायब हो चुके हैं. तब बहुत कम खर्च में चुनाव लड़े थे. दौरे पर जाते थे, तो गांव में जो संपन्न परिवार होता था, उनके यहां भोजन करते थे.

घाटशिला विधानसभा क्षेत्र का विकास नहीं हुआ : लखन चंद्र

वर्ष 2019 के घाटशिला विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी लखन चंद्र मार्डी ने कहा कि पिछले पांच साल में घाटशिला का विकास नहीं हुआ. कई घोषणाएं की गयीं, लेकिन जमीन पर काम नहीं हुआ है. पहले से घाटशिला पिछड़ा हुआ है. शिक्षा का स्तर गिरा है.

वह कहते हैं कि नवोदय व पॉलिटेक्निक बहरागोड़ा चला गया. घाटशिला कॉलेज में शिक्षकों की घोर कमी है. स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. बिजली व्यवस्था पहले से खराब है. घाटशिला शहर की नाली और सड़क बदहाल है. घाटशिला में सरकारी जमीन पर बाजार की व्यवस्था होनी चाहिए, जो नहीं है. घाटशिला जिला बने, यह मांग पुरानी है. लेकिन आज तक नहीं बना.

क्षेत्र की समस्याएं

  • सिंचाई की सुविधा नहीं : यह विधानसभा क्षेत्र कृषि प्रधान है. लेकिन 40 साल से स्वर्णरेखा परियोजना पूर्ण नहीं हुई. नहरें बनीं, पर सालों भर पानी नहीं मिल रहा है. अगर सिंचाई की बेहतर सुविधा होती, तो किसान पूरे साल फसल की उपज कर सकते थे.
  • कॉलेज में बुनियादी सुविधाएं नहीं : घाटशिला कॉलेज में 15 हजार से अधिक विद्यार्थी हैं, पर यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. यहां आज तक बीएड कॉलेज खोलने की मान्यता नहीं मिली है. धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट का मामला भी अधर में है. इसके निर्माण की मांग उठती रही है.
  • नहीं है ब्लड बैंक : घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में ब्लड स्टोरेज के लिए सेंटर तो बना है, लेकिन यहां ब्लड बैंक नहीं है. इसकी स्थापना की मांग भी उठती रही है. वहीं गुड़ाबांदा प्रखंड तो बना, पर आज तक सीएचसी नहीं बना. इलाज के लिए अधिकांश लोग बंगाल और ओडिशा जाते हैं.

क्या कहते हैं क्षेत्र के लोग

बरसात में मलेरिया व सर्पदंश से कई लोगों की जानें चली जाती हैं. अनुमंडल अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की व्यवस्था होनी चाहिए. एचसीएल को अविलंब खोला जाये, ताकि लोगों की आजीविका चल सके. सरकारी स्कूलों में क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक नहीं हैं. वहां अविलंब शिक्षकों की नियुक्ति हो.

पूनम महतो, गृहिणी

ज्यादातर गांव के लोग पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं. कृषि क्षेत्र में भी जल संकट है. तालाब सूखे हैं. हम भूजल को निकाल तो रहे हैं, लेकिन उसे रिचार्ज करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं. भूजल रिचार्ज के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए.

अतनु कुमार महतो, किसान

गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों की समस्याओं का तेजी से समाधान हो. भोजन, कपड़ा और मकान के साथ शिक्षा भी जरूरी है. इलाज के लिए अधिकांश लोग प. बंगाल जाते हैं. अगर यहां के अस्पताल में सुविधाएं मिलें, तो लोग क्यों बंगाल जायेंगे?.

शिवनाथ सिंह, लोक कलाकार

विधायक रामदास सोरेन बोले- डीपीआर बनना ऐतिहासिक कदम

विधायक रामदास सोरेन का कहना है कि हमारी पहल पर घाटशिला में पंडित रघुनाथ मुर्मू ट्राइबल विवि की स्थापना हुई. इसके लिए हेंदलजुड़ी में जमीन चिह्नित हो चुकी है. वहीं बुरूडीह डैम के विकास के लिए 62 करोड़ का डीपीआर बनना ऐतिहासिक कदम है. यहां के अस्पताल में फिलहाल ब्लड स्टोरेज सेंटर खोला गया है, ताकि खून की कमी नहीं हो. अस्पताल में बुनियादी जरूरतें पूरी की गयी हैं. घाटशिला के पांच पांडव, नरसिंहगढ़ के राजबाड़ी, मुसाबनी के कंपनी तालाब को राज्यस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप चिह्नित किया गया है. सुरदा के दिशोम जाहेरगाड़ के सौंदर्यीकरण का प्रयास जारी है. घाटशिला के अधूरे काम को पूरा करने में जुटे हैं.

बंद खदानें खोलना भी है एजेंडा

घाटशिला, मुसाबनी व मऊभंडार ताम्र नगरी नाम से विख्यात हैं, लेकिन कागजी पेच के कारण कई तांबा खदानें बंद हैं. करीब 15 हजार मजदूर बेकार बैठे हैं. खदानों की बंदी से यहां का बाजार भी प्रभावित हुआ है. इन खदानों को खोलने की मांग लगातार उठती रही है.

घाटशिला विधानसभा सीट पर कब कौन बने विधायक

वर्षनिर्वाचित विधायकपार्टी का नाम
1952मुकुंद राम तांतीझारखंड पार्टी
1957श्यामचरण मुर्मूझारखंड पार्टी
1962बास्ता सोरेनसीपीआई
1967दशरथ मुर्मूकांग्रेस
1969यदुनाथ बास्केझारखंड पार्टी
1972टीकाराम मांझीसीपीआई
1977टीकाराम मांझीसीपीआई
1980टीकाराम मांझीसीपीआई
1985करण मार्डीकांग्रेस
1990सूर्य सिंह बेसराआजसू
1991 उप चुनावटीकाराम मांझीसीपीआई
1995प्रदीप बलमुचूकांग्रेस
2000प्रदीप बलमुचूकांग्रेस
2005प्रदीप बलमुचूकांग्रेस
2009रामदास सोरेनझामुमो
2014लक्ष्मण टुडूभाजपा
2019रामदास सोरेनझामुमो

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झारखंड में कब होंगे विधानसभा चुनाव?

झारखंड में विधानसभा का चुनाव अक्टूबर-नवंबर में हो सकता है. चर्चा है कि महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के साथ ही अक्टूबर में झारखंड विधानसभा के चुनाव कराए जा सकते हैं.

झारखंड विधानसभा में कितनी सीटें हैं?

झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं. 81 सीटों के लिए सूबे में विधानसभा के चुनाव कराए जाते हैं. इसमें 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.

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