Jharkhand News: आंखों की इस खतरनाक बीमारी से लोगों को जल्द मिलेगी निजात, झारखंड के डॉक्टर ने किया ये आविष्कार
Jharkhand News: डॉ अतानु मजूमदार ने काला मोतिया के लिए ऐसा अविष्कार किया है जिससे कि लोगों को जल्द इस बीमारी से छुटकारा मिल सके. फिलहाल वह टीएमएच अस्पताल नोवामुंडी में कार्यरत हैं.
पूर्वी सिंहभूम, रंजन कुमार गुप्ता (जादूगोड़ा) : परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय जादूगोड़ा में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी सह टीएमएच अस्पताल नोवामुंडी में ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में कार्यरत डॉ अतानु मजूमदार अपने आविष्कार से आंखों की खतरनाक बीमारी काला मोतिया से पीड़ित लोगों को ठीक कर सकते हैं. डॉ अतानु मजूमदार के इस अविष्कार को भारत सरकार द्वारा 10 अक्टूबर 2024 में पंजीकृत भी किया गया है, जिसका प्रमाण पत्र उन्हें मिल चुका है.
कहां से पढ़ाई हुई है डॉ अतानु मजूमदार की
डॉ अतानु मजूमदार ने इस अविष्कार के बारे में जानकारी देते हुए कहते हैं कि वे पूर्वी सिंहभूम के जादूगोड़ा में परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय से वर्ष 1997 में पास आउट होकर कोलकाता स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्युल साइंस में ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा की डिग्री ली. इसके बाद राजस्थान के चुरू स्थित बीएससी और एमएससी इन ऑप्टोमेट्री की पढ़ाई करने के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जयपुर से पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एक अस्पताल में नौकरी मिल गई.
काला मोतिया से जा सकती है आंखों की रोशनी
डॉ अतानु मजूमदार अपने काम के साथ लोगों की जनसेवा में भी लगे हुए हैं. वे कहते हैं कि जिस डिपार्टमेंट में वह कार्यरत हैं वहां कई लोग आंखों की कई समस्याओं को लेकर हमारे पास आते हैं. उनमें से कई लोगों के केस में ग्लूकोमा यानी कि काला मोतिया नामक बीमारी से जूझ रहे हैं. इस बीमारी से कई लोगो की आंखों की रोशनी चली जाती है. जिससे कि वे जिंदगी भर के लिए अंधे हो जाते हैं. हालांकि, यह बीमारी ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन जैसे ही इसके लक्षण दिखे और इसका इलाज किया जाए तो सामान्य इलाज के द्वारा ही इसे ठीक किया जा सकता है.
काला मोतिया को नजर अंदाज करना भारी पड़ सकता है
डॉ अतानु मजूमदार आगे कहत हैं कि काला मोतिया को नजर अंदाज करना भारी पड़ सकता है. अत्याधिक गंभीर होने से यह आंखों की रोशनी भी छीन सकता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी में आंखों की नसे पूरी तरह सूख जाती है. लेकिन यदि इस मशीन से अपना इलाज करवाते हैं तो 15-20 वर्षों तक काला मोतिया बीमारी ज्यादा असर नहीं होता है.
मशीन पूर्ण रूप से स्वचालित है
डॉ अतानु मजूमदार ने कहा कि जो भी इस काला मोतिया नामक बीमारी से ग्रस्त है, कोई भी मरीज अगर एक बार इस मशीन से अपना इलाज करवाएगा तो संबंधित मरीज का पूरा डाटा उस मशीन में लोड हो जाएगा. यदि वह मरीज दोबारा अपना इलाज करता है तो यह मशीन ऑटोमेटिकली बता देगा कि पहले से मरीज की आंखों में कितना सुधार हुआ है. हालांकि, अभी तक इस मशीन की कीमत का कुछ आकलन नहीं किया गया है. लेकिन आने वाले कुछ ही दिनों में यह मशीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी और काला मोतिया नामक बीमारी से लोगों को जल्द निजात मिलेगा.