Jharkhand News: देश और दुनिया में महिला सशक्तिकरण की खूब बातें होतीं हैं. बेटियों को आगे बढ़ाने की बातें होतीं हैं. अगर महिला सशक्तिकरण देखना हो, तो झारखंड में आइए. आपको ऐसे कई गांव मिल जाएंगे, जहां बेटियां, बेटों से कम नहीं हैं. पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव है, जो बेटियों को समर्पित है. इस गांव में हर घर की पहचान हैं बेटियां. जी हां, इस गांव के लोग बड़े गर्व से बताते हैं कि उनके घर की पहचान उनकी बेटियों से है. गांव का नाम है हाता तिरिंग गांव. इस गांव में जितने भी घर हैं, उसकी मालिक उसकी बेटियां हैं. आदिवासियों के इस गांव में 150 घर हैं. इस गांव में आने वाला जब किसी का पता पूछता है, तो लोग अपने पिता या भाई का नाम नहीं बताते. अपनी बेटी या बहन का नाम बताते हैं. दरअसल, महिला सशक्तिकरण को लेकर जब देश भर में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान चल रहा था, तब तिरिंग गांव में ‘मेरी बेटी, मेरी पहचान’ अभियान की शुरुआत हुई. ऐसा नहीं है कि लोग सिर्फ अपनी बेटियों के नाम से अपनी पहचान बताते हैं. गांव के घरों के बाहर नेम प्लेट पर बेटी और उसकी मां के नाम लिखे मिलेंगे. गांव के मुखिया कहते हैं कि हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है कि आज हमारे छोटे-से गांव की पहचान पूरे झारखंड ही नहीं, देश भर में है. उन्होंने कहा कि जब भी उनके गांव में किसी बेटी का जन्म होता है, तो उसके नाम पर हम केक नहीं काटते. उसके नाम पर एक पेड़ लगाते हैं, ताकि हमारी धरती हरी-भरी रहे. पर्यावरण सुरक्षित और संतुलित रहे.
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