Jharkhand Politics, मो परवेज (पूर्वी सिंहभूम) : चंपाई सोरेन के झामुमो से रास्ते अलग कर लेने के बाद अब झामुमो पूर्वी सिंहभूम के दूसरे प्रभावशाली नेता को उनकी जगह मंत्री बनाने वाली है. जी हां, पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला से विधायक रामदास सोरेन, चंपाई सोरेन की जगह लेंगे. रामदास सोरेन 30 अगस्त को रांची में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. रामदास सोरेन ने खुद इस बात की पुष्टि की है. कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने उन्हें रांची बुलाया है. हेमंत सोरेन की कैबिनेट में मंत्री बनने जा रहे रामदास सोरेन के बारे में सभी जानना चाहते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं कि कौन हैं रामदास सोरेन.
कौन हैं रामदास सोरेन?
झामुमो ने चंपाई सोरेन की जगह कोल्हान के ही दूसरे प्रभावी नेता रामदास सोरेन को मंत्री बनाने का फैसला किया है. रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से दो चुने जा चुके हैं. पहली बार रामदास सोरेन 2009 में और दूसरी बार 2019 में विधायक बने. वह पूर्वी सिंहभूम के जिला अध्यक्ष भी हैं. रामदास सोरेन झारखंड आंदोलन में भी सक्रिय रहे. झामुमो में उनका राजनीतिक जीवन लंबा रहा है. उन्होंने शिबू सोरेन और चंपाई सोरेन के साथ आंदोलन किया था. यह पहला मौका है, जब रामदास सोरेन को सरकार में जगह मिलने जा रही है. 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद हेमंत सोरेन ने उन्हें जिला परिषद में अहम पद दिया था.
कोल्हान में चंपाई सोरेन के बाद दूसरे नंबर के नेता रामदास सोरेन
कोल्हान में झारखंड मुक्ति मोर्चा में चंपाई सोरेन के बाद दूसरे नंबर के नेता के रूप में घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन जाने जाते हैं. अब पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम एवं सरायकेला-खरसावां जिले में रामदास सोरेन से सीनियर नेता कोई और नहीं है. आदिवासी समाज के बीच उनकी एक अलग पहचान भी है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हेमंत सोरेन की सरकार ने चंपाई सोरेन की जगह रामदास सोरेन को मंत्री बनाने का निर्णय लिया है.
चंपाई के बीजेपी में जाने पर रामदास सोरेन ने क्या कहा ?
रामदास सोरेन ने चंपाई सोरेन के मसले पर कहा कि वह बड़े नेता हैं और रहेंगे. उनके साथ मेरा बचपन बीता. मेरी जवानी बीती. उनके साथ मैंने झारखंड आंदोलन में संघर्ष किया. उन्हें हम क्या सलाह दे सकते हैं. उन्होंने जो कदम उठाया, उस पर पार्टी ने उन्हें पुनर्विचार करने को कहा है. पार्टी ने उन्हें शुरू से पूरा सम्मान दिया. इसमें कोई दो राय नहीं है. वे 6 बार विधायक रहे, 3 बार मंत्री बने और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी भी सौंपी गई. इससे बड़ा सम्मान पार्टी और क्या दे सकती है. पार्टी से बड़ा कोई व्यक्ति कभी नहीं हो सकता है. मेरा यह राजनीतिक विचार है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापकों में गुरुजी शिबू सोरेन, एके राय और विनोद बिहारी महतो रहे हैं.
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