महुलिया हाइस्कूल को प्लस टू का दर्जा, इसी सत्र से इंटर में नामांकन होगा

ग्रामीणों का आंदोलन और विधायक की पहल रंग लायी. मैट्रिक पास करने वाले विद्यार्थियों ने प्रसन्नता जाहिर की है. छात्रों को दस किमी दूर घाटशिला या सालबनी जाना पड़ता है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 3, 2024 11:31 PM
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गालूडीह.

गालूडीह का एकमात्र सबसे पुराना 1969 में स्थापित महुलिया हाइस्कूल को प्लस टू का दर्जा मिल गया है. ग्रामीणों का आंदोलन और विधायक रामदास सोरेन की पहल रंग लायी है. कई साल से यहां के ग्रामीण इस स्कूल को प्लस टू का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे. विधायक रामदास सोरेन ने भी कई बार सदन में आवाज उठायी थी. इसी सत्र 2024-25 से यहां इंटर में नामांकन लेने का आदेश स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने दे दिया है. स्कूल के एचएम संजीव पाल ने इसकी पुष्टि की. कहा कि नामांकन का आदेश पत्र आ गया है. जल्द नामांकन शुरू करेंगे. इससे मैट्रिक पास करने वाले विद्यार्थियों में खुशी है. गालूडीह क्षेत्र के विद्यार्थियों को मैट्रिक के बाद प्लस टू की पढ़ाई के लिए दस किमी दूर घाटशिला या फिर सालबनी जाना पड़ता था. अब महुलिया उवि में प्लस टू की पढ़ाई शुरू होने से सहूलियत होगी.

प्लस टू के एक भी शिक्षक नहीं, कैसे होगी पढ़ाई

महुलिया उवि के एचएम संजीव पाल ने बताया कि प्लस टू के एक भी शिक्षक नहीं हैं. नामांकन तो ले लेंगे. पर पढ़ाई कैसे होगी. यहां भवन का भी अभाव है. प्लस टू शुरू करने के लिए भवन की जरूरत है. इससे सबसे बड़ी जरूरत शिक्षकों की है. तभी सही से इंटर की पढ़ाई शुरू हो सकती है. पहले कला की पढ़ाई शुरू हो जाये. बाद में विज्ञान और वाणिज्य की सोचेंगे.

महुलिया उवि में शिक्षकों का सृजित पद 11, पदस्थापित मात्र छह

एचएम संजीव पाल ने बताया कि महुलिया उवि में शिक्षकों का सृजित पद 11 है. पर मौजूदा समय में मात्र छह शिक्षक ही पदस्थापित हैं. इसमें एक शिक्षिका तीन दिन कस्तूरबा में प्रतिनियुक्त हैं तो तीन दिन महुलिया उवि में. पांच शिक्षक ही नियमित हैं. अभी कक्षा 10वीं में 505 बच्चे अध्ययनरत हैं. अभी नौवीं कक्षा में नामांकन शुरू होगा, तो आठ सौ से अधिक विद्यार्थी हो जायेंगे. कक्षा नौवीं में दो और कक्षा 10वीं में दो सेक्शन है. कमरों और शिक्षकों के अभाव के कारण एक सेक्शन में 129 से 139 बच्चे तक बैठते हैं. नियम के अनुसार एक सेक्शन में 40 से 50 बच्चे को ही बैठाने का है. इससे शिक्षकों को पढ़ाने और बच्चों को पढ़ने में परेशानी होती है. बताया गया कि अर्थशास्त्र, भौतिक, रसायन विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं. हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, भौतिक, भूगोल, इतिहास-नागरिक के शिक्षक हैं. वह भी सेक्शन के अनुसार कम हैं.

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