गालूडीह . गालूडीह से सटे मुंडा बहुल सुसनीगढ़िया गांव में शुक्रवार को बिरसा मुंडा मेमोरियल क्लब और गांव की ओर से भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती मनायी गयी. मुंडा समाज की महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में ढोल-धमसे के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली. महिलाएं सिर पर कलश, तो समाज के पुरुष कंधे पर तीर-कमान, कुल्हाड़ी और फरसा लेकर यात्रा में शामिल हुए. गांव के तालाब से कलश में पानी भरकर बिरसा मुंडा चौक पहुंचे. महिलाओं ने धरती आबा की पूजा की. लाया (पुजारी) उमेश चंद्र मुंडा ने पूजा करायी. क्लब के सदस्यों ने बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर नमन कर बिरसा गीत गाये गये. मौके पर मुंडारी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. समारोह में सभी पारंपरिक परिधान में शामिल हुए.
धरती आबा ने समाज को संघर्ष करना सिखाया
बिरसा जयंती पर सुसनीगढ़िया में सामाजिक परिचर्चा हुई. इसमें झारखंड, बंगाल और ओडिशा से समाज के लोग शामिल हुए. मुंडा समाज ने कहा कि धरती आबा यानी धरती के पिता भगवान बिरसा मुंडा हैं. उन्होंने समाज को संघर्ष करना सिखाया. जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए आज भी समाज संघर्षरत है. हम अपने प्रदेश में अपने लोगों के साथ मतभेद को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं. परिचर्चा में ओडिशा से आये नंदलाल सिंह, बीरबल सिंह, सहदेव सिंह, जेपी सिंह, डॉ महेंद्र सिंह और रांची से बोध मुंडा शामिल हुए. इस दौरान समाज की भाषा, संस्कृति और धर्म बचाने पर चर्चा हुई.
मयूरभंज की टीम ने किया मुंडारी ड्रामा, जुटी भीड़
रात में मयूरभंज (ओडिशा) के कलाकारों की टीम मां चिंतामनी ओपेरा ने मुंडारी ड्रामा इन चायला सांदूहा दुलड़ प्रस्तुत किया. इसे देखने ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी. मौके पर अध्यक्ष कल्याणी मुंडा, सचिव जयंती मुंडा, उमेश मुंडा, जहरलाल मुंडा, कार्तिक मानकी, नकुल मुंडा, फणिभूषण सिंह, बंकिम मुंडा, अहिल्या मुंडा, बासुकी सिंह, राजेन मुंडा, जितेन मुंडा, पार्वती मुंडा, बनमाली मुंडा, बनु मुंडा, कुयु मुंडा, रमेश मुंडा, कंचन मुंडा, लूलू मुंडा समेत अन्य उपस्थित थे.
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