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दक्षिण करनडीह पंचायत बनेगा स्वच्छ व सुंदर, महिलाएं रोजाना सड़कों पर लगायेंगी झाड़ू

करनडीह की महिलाओं ने अपने पंचायत क्षेत्र को स्वच्छ व सुंदर बनाने का बीड़ा उठाया है. महिलाओं ने ठाना है कि वे अपने पंचायत क्षेत्र के सभी गलियों व सड़कों साफ-सुथरा रखेंगे. इसके लिए प्रतिदिन गलियों व सड़कों को झाडू मारकर साफ-सुथरा किया जायेगा. गुरूवार को इसका विधिवत शुभारंभ किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | May 2, 2024 9:38 PM
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जमशेदपुर. जमशेदपुर प्रखंड अंतर्गत दक्षिण करनडीह पंचायत की महिलाओं ने अपने पंचायत क्षेत्र को स्वच्छ व सुंदर बनाने की मुहिम शुरू की है. महिलाओं ने ठाना है कि वे हर दिन अपनी पंचायत के अंतर्गत आने वाली बस्तियों की मुख्य सड़कों व गलियों को साफ-सुथरा रखने के लिए श्रमदान करेंगी. गुरुवार को इसका विधिवत शुभारंभ किया गया.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि करनडीह के ग्रामप्रधान सलखू माझी, मुखिया संघ के महासचिव-कान्हू मुर्मू, जोबा मार्डी व पंसस रवि भूषण कुर्ली ने हरी झंडी दिखाकर अभियान का शुभारंभ किया. सलखु माझी ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं ने अपनी दृढ इच्छा शक्ति व एकता dh बदौलत असंभव काम को भी संभव करके दिखाया है. उन्हें विश्वास ही नहीं था कि महिलाएं आगे बढ़कर समाज हित में इस तरह का कदम भी उठा सकती हैं. महिलाओं के द्वारा इस तरह का उठाया गया कदम सचमुच मील का पत्थर साबित होगा. करनडीह की महिलाएं अन्य समाज व समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगी. उन्होंने कहा कि वे करनडीह में लंबे समय से स्वशासन व्यवस्था के रूप में समाज को कुशल नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. उन्हें अब समाज को कुशल नेतृत्व करने में महिलाओं का भी सहयोग प्राप्त होगा. स्वच्छता अभियान की शुरुआत उनके हाथों से हो रही है. यह सचमुच गौरवान्वित करने वाली बात है. इस अवसर पर करनडीह ग्रामसभा के अंतर्गत आने वाले सभी टोलों के जोग माझी बाबा व टीम के सदस्य मौजूद थे. मौके पर ड्रीम टीम के महासचिव सिंगो किस्कु, कोषाध्यक्ष कोकिला मुर्म, उपाध्यक्ष संगीता हांसदा, सुनीता सोरेन, सचिव सरस्वती सुंडी, लक्ष्मी हांसदा, सीमा हांसदा, छिता हांसदा, चंपा मुर्मू, मायनो मुर्मू, शकुंतला हांसदा, बसंती टुडू, अंजना तापे, चांदनी तापे, भुंडा हांसदा व टाटा स्टील फाउंडेशन के फेलो अजय कुमार आदि मौजूद थे.

महिलाओं ने बनायी है ड्रीम टीम

महिलाओं ने पंचायत क्षेत्र को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए ड्रीम टीम का गठन किया है. तीन महीने से इस अभियान को शुरू करने की तैयारी चल रही थी. अंतत: माझी बाबा व ग्रामीणों के सहयोग से अभियान को अंतिम रूप दिया गया. ड्रीम टीम से जुड़ी प्रत्येक महिला को जिम्मेदारी दी गयी है.

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