East Singhbhum : घाटशिला की बायीं नहर में पानी नहीं, रबी की खेती प्रभावित, परती पड़े हैं खेत

हेंदलजुड़ी के किसानों ने बैठक की, चांडिल डैम से बायीं नहर में पानी छोड़ने की मांग, किसानों का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को परियोजना के मुख्य अभियंता से मिलेगा

By Prabhat Khabar News Desk | January 5, 2025 12:20 AM

गालूडीह. सुवर्णरेखा परियोजना की नहरों में पानी नहीं छोड़ने से रबी की खेती में किसानों को परेशानी हो रही है. घाटशिला प्रखंड की हेंदलजुड़ी पंचायत के किसानों ने शनिवार को बैठक की. किसानों ने सुवर्णरेखा परियोजना के चांडिल डैम से मुख्य बायीं नहर में पानी छोड़ने की मांग की. किसानों ने कहा कि खरीफ में नहर में पानी छोड़ा जाता है. वहीं, रबी के मौसम में पानी नहीं मिलता है. ऐसे में सरसों, आलू, गेहूं, चना, मटर, दलहन और सब्जी की खेती प्रभावित होती है. पानी के अभाव में अधिकतर किसान धान कटने के बाद खेत परती छोड़ देते हैं.

किसान सभा के नेता दुलाल चंद्र हांसदा ने कहा कि किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को आदित्यपुर जाकर मुख्य अभियंता राम निवास प्रसाद से मिलेगा. चांडिल डैम से मुख्य बायीं नहर में पानी छोड़ने की मांग करेगा.

पांच क्यूमेक पानी भी छोड़ा गया, तो मिलेगी राहत

किसान दुलाल चंद्र हांसदा ने बताया कि मुख्य बायीं नहर बहरागोड़ा तक 127 किमी लंबी है. यह नहर एमजीएम, गालूडीह, घाटशिला, धालभूमगढ़, चाकुलिया होते हुए बहरागोड़ा में बंगाल सीमा तक गयी है. रबी के मौसम में पानी की ज्यादा जरूरत होती है. अभी बारिश की संभावना नहीं रहती है. अभी नहर सूखी पड़ी है. पांच क्यूमेक भी पानी नहर में छोड़ दिया जायेगा, तो किसान खेती कर लेंगे.

दायीं नहर भी सूखी, गुड़ाबांदा के किसानों की मुश्किलें बढ़ीं

गुड़ाबांदा. सुवर्णरेखा परियोजना की दायीं नहर भी सूखी पड़ी है. गालूडीह बराज में पानी जमा नहीं है. यहां तटबंध बनाने के लिए पानी खाली कर दिया गया है. दायीं ननहर सूखी रहने से गुड़ाबांदा प्रखंड के किसानों के लिए रबी फसल की खेती में मुश्किल बढ़ गयी है. प्रखंड की बालीजुड़ी पंचायत स्थित लड़काबासा गांव के किसान देवाशीष करण ने एक बीघा जमीन पर मूंगफली लगायी है. किसान ने कहा एक किमी दूर से जलमीनार से पाइप लगाकर खेत तक पानी ला रहे हैं. पहले थोड़ी भूमि पर खेती आरंभ किया, उसका परिणाम अच्छा रहा. अब प्याज, सरसों, आलू , टमाटर आदि सब्जियों का खेती कर रहे हैं. इससे प्रति माह करीब 15 हजार रुपये तक मुनाफा हो रहा है. हालांकि दायीं नहर से सीधे ओडिशा को खरीफ में पानी मिलता है. झारखंड के किसानों को नहीं मिलता है.

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