गालूडीह. गालूडीह और आसपास के खुले हाट-बाजार में धान बिकने लगा है, जबकि सरकारी स्तर पर 15 दिसंबर से धान क्रय केंद्र खुलेगा. राज्य सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 24 सौ रुपये तय किया है. जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया महागठबंधन ने प्रति क्विंटल धान 32 सौ देने की घोषणा की थी. एनडीए गठबंधन प्रति क्विंटल 31 सौ रुपये देने की बात कही थी. सरकार इंडिया गठबंधन की बनी है, तो किसान धान का वाजिब दाम की मांग करने लगे हैं. किसान सभा के नेता दुलाल चंद्र हांसदा ने कहा कि जब पार्टी चुनाव के समय घोषणा की है, तो वादा निभाये.
लैंपस में धान बेचने पर समय पर पैसा नहीं मिलता
छोटे स्तर के किसानों का कहना है कि लैंपस में धान बेचने से तुरंत पैसा नहीं मिलता. इसलिए जरूरत के समय हमलोग खुले बाजार में धान बेचते हैं. हां यह सच है कि दाम कम मिलता है, पर क्या करें. तुरंत पैसों की जरूरत रहती है, तो धान बेचते हैं. जब धान बेचकर तुरंत पैसा ही नहीं मिलेगा, तो क्या फायदा. जानकारी हो कि घाटशिला प्रखंड में चार लैंपस है. घाटशिला, महुलिया, बड़ाजुड़ी और बांकी. खबर है कि 15 दिसंबर को धान क्रय केंद्र का उद्घाटन मंत्री रामदास सोरेन करेंगे. मौके पर जिला सहकारिता और आपूर्ति पदाधिकारी भी उपस्थित रहेंगे.
किसान आंदोलन तो करते हैं, पर हक नहीं मिलता : दुलाल चंद्र हांसदा
किसान सभा के नेता दुलाल चंद्र हांसदा कहते हैं किसान समय-समय पर आंदोलन तो करते हैं पर किसानों को वाजिब हक नहीं मिलता. जब दिल्ली बॉर्डर पर साल भर तक किसान आंदोलन चला, तब घाटशिला प्रखंड के किसानों ने भी आंदोलन किया था. काले कृषि कानून को रद्द करने की मांग पर गालूडीह आंचलिक मैदान से किसानों ने ट्रैक्टर जुलूस निकाला था. इस आंदोलन को तब झामुमो, सीपीआइ, कांग्रेस का समर्थन मिला था. ट्रैक्टर जुलूस निकाल कर घाटशिला गये. एसडीओ कार्यालय में प्रदर्शन किया था. फसलों के समर्थन मूल्य का कानून बनना चाहिए. जो तय दर पर नहीं खरीदेगा उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. यह नहीं हो रहा है. इस इलाके के किसान तो मुख्यत: धान की ही खेती करते हैं. कम से कम धान का उचित समर्थन मूल्य तय होना चाहिए.
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