East singhbhum News : बाघ के खौफ में घरों में कैद हुए लोग, बच्चों की पढ़ाई, किसानों की खेती, मजदूरों की मजदूरी पर लगा ग्रहण
मंगलवार को डुमकाकोचा, मिर्गीटांड़ व बासाडेरा में मिले पदचिह्न, झारखंड-बंगाल सीमा क्षेत्र के गांवों में वन विभाग ने किया सतर्क, वन विभाग छान रहा जंगलों की खाक, अबतक सफलता नहीं, ग्रामीण पशुओं को चरने के लिए नहीं छोड़ रहे, घर पर बांधे रखे हैं
गालूडीह. झारखंड-बंगाल सीमा क्षेत्र में बाघ के आने से ग्रामीण दहशत में हैं. सीमावर्ती गांवों के लोग अपने घरों में कैद हो गये हैं. खासकर बच्चों को बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई, किसानों की खेती, मजदूरों की मजदूरी पर ग्रहण सा लग गया है. देखभाल नहीं होने से खेती को नुकसान का डर सता रहा है. मंगलवार को डुमकाकोचा, मिर्गीटांड़ व बासाडेरा में कई जगह बाघ के पंजे के निशान मिले. मंगलवार शाम को बाघ के बासाडेरा पहुंचने की जानकारी मिल रही है. ग्रामीण बाघ के डर से जंगल और खेतों में नहीं जा रहे हैं. अपने पशुओं को घर में बांध कर रखे हुए हैं. वन विभाग ग्रामीणों को लगातार अलर्ट कर रहा है.
दूसरी ओर, वन विभाग की टीम सोमवार शाम से घाटशिला वन क्षेत्र के जंगलों की खाक छान रही है. वन विभाग ने सीमा पर दर्जनों नाइट विजन कैमरा लगाया है. अबतक कैमरे में बाघ कैद नहीं हुआ. वहीं, न किसी का शिकार किया है. हालांकि, रविवार को बंगाल के बांदवान में बाघ कैमरे में कैद हुआ था.नरसिंहपुर के भोंदू बाउरी बोला, सड़क पार करते बाघ को देखा
नरसिंहपुर निवासी भोंदू बाउरी का कहना है कि उसने गालूडीह के डुमकाकोचा के पास सोमवार की शाम बाघ को सड़क पार करते देखा. हालांकि, मंगलवार को बाघुड़िया पंचायत के डुमकाकोचा गांव में तीन अलग-अलग स्थानों पर बाघ के पंजे के निशान मिले हैं. मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचित किया.खेत में पदचिह्न देख डर गया सुबोध
ग्रामीण सुबोध सिंह ने बताया कि उसने खेत में बाघ के पंजे का निशान देखा, तो भयभीत हो गया. इसके बाद ग्रामीणों को सूचना दी. इस दौरान पता चला कि दो ओर जगहों पर रास्ते पर निशान मिले हैं. वन विभाग की टीम पहुंची. बाघ के पंजे होने की पुष्टि की.बाघ को ट्रेस करने के प्रयास में जुटा वन विभाग
वन विभाग की टीम बाघ को ट्रेस करने के प्रयास में जुटी है. सोमवार की शाम से डीएफओ सबा अहमद, घाटशिला के रेंजर विमद कुमार अपनी टीम के साथ जमे हैं. मंगलवार की सुबह से शाम तक वन विभाग की टीम डुमकाकोचा, मिर्गीटांड़ होते हुए बासाडेरा तक पहुंची. बासाडेरा के पास बाघ के पंजे के निशान देखे गये. कहा जा रहा कि यह वही बाघ है, जो पहले चांडिल के तुलग्राम-खूंटी जंगल और फिर दलमा क्षेत्र में देखा गया था. बाद में बंगाल चला गया था. अब बाघ झारखंड सीमावर्ती जंगलों में विचरण कर रहा है. सोमवार को एमजीएम के आमबेड़ा में पदचिह्न मिले थे.
..क्या कहते हैं ग्रामीण…
मैं पशुओं को चराने का काम करता हूं. बाघ आने की खबर सुनकर डर लग रहा है. पशुओं को घर पर बांध कर रखा हूं. किसी तरह चारा लाकर पशुओं को खिला रहा हूं.
– प्रोमोथ सिंह, ग्रामीण, डुमकाकोचा————————————-ग्रामीण बाघ के डर से खेतों में जाने से कतरा रहे हैं, जिससे फसल को क्षति होने का डर है. बाघ को जल्द से जल्द सुरक्षित पकड़ने की कोशिश की जाये, ताकि डर से मुक्ति मिले.
– सुबोध सिंह, ग्रामीण————————————–जंगल में बाघ के विचरण से गांव के लोग भयभीत हैं. ग्रामीण अपने घरों में कैद हो गये हैं. घर के बाहर निकलने से डर रहे हैं. बाघ के डर से बच्चे स्कूल जाने से डर रहे हैं.– कालीचरण सिंह, ग्रामीण———————————-
बाघ के डर से लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं. कई गांवों में खौफ है. ग्रामीण बहुत जरूरी काम होने पर ही बाहर निकल रहे हैं. वन विभाग ने सतर्क किया है.– सुशेन सिंह, ग्रामीण
————————————-बाघ के कारण मजदूरी करने नहीं जा पा रहे हैं. शाम को घर लौटना मुश्किल हो गया है. लोग सब्जियों के खेतों में सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं. फसल प्रभावित होने की आशंका है.– घासो सिंह, ग्रामीण
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