गालूडीह. गालूडीह थाना क्षेत्र में पीड्राबांद-हलुदबनी गांव से सटे सुखना पहाड़ की तलहटी पर शनिवार को लेदासाल पहाड़ पूजा हुई. यहां वर्ष 1809 से पहाड़ पूजा हो रही है. बांग्ला तारीख के अनुसार, आषाढ़ माह के सातवें दिन पहाड़ पूजा होती है. इस वर्ष 215वें वर्ष पहाड़ पूजा हुई. यहां लोग अच्छी बारिश और बेहतर खेती के लिए पूजा करते हैं. मान्यता है कि यहां पूजा के साथ झमाझम बारिश होती है. शनिवार को पूजा के साथ दोपहर में झमाझम बारिश हुई. श्रद्धालुओं को छाता लगाना पड़ा. लेदासाल पहाड़ पूजा में झारखंड और बंगाल के सीमावर्ती दर्जनों गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों जुटे. महिला-पुरुष और युवा पहाड़ पर पहुंचे. पारंपरिक तरीके से पूजा की.
हाथी व वन्य प्राणियों की रक्षा और संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी
पूजा में हाथी समेत वन्य प्राणियों की रक्षा और संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी गयी. अच्छी बारिश, बेहतर खेती, परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना हुई. यहां हलुदबनी के पुजारी मुसला सबर पूजा करते हैं. उनका साथ लक्ष्मण बेसरा, रसराज बेसरा, रघुनाथ मुर्मू आदि ने दिया. पहाड़ पूजा में हलदुबनी, पीड्राबांद, राजाबासा के ग्रामीण सक्रिय रहे. पूजा में हेंदलजुड़ी, जोड़सा, बाघुड़िया आदि पंचायत के लोग शामिल हुए. कमेटी ने यहां भोग वितरण किया.
कभी नहीं सूखता लेदासाल पहाड़ का प्राकृतिक झरना
लेदासाल पहाड़ पूजा स्थल के पास प्राकृतिक झरना है, जो कभी नहीं सूखता है. इस झरने को विधायक रामदास सोरेन के कोष से घेराबंदी कर सौंदर्यीकरण किया गया. इसी झरना का पानी लोग पूजा के लिए लेते हैं.
पाता व लागड़े नाच और सांस्कृतिक कार्यक्रम
मौके पर पाता नाच, लागड़े नाच समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए. 23 जून को भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा. शनिवार को पाता नाच आयोजित हुआ. रविवार को लागड़े नाच भी होगा. कमेटी के सदस्य सह ग्राम प्रधान लक्ष्मण मुर्मू, देवलाल महतो, बोदीनाथ महतो, संजय मार्डी, सुनील टुडू, राजू मुर्मू, घासीराम टुडू, कालीराम टुडू, बबलू मुर्मू, गुणाराम टुडू, कान्हू सोरेन, दीपक महतो आदि सदस्य पहाड़ पूजा को सफल बनाने में जुटे थे. पूजा स्थल पर पहाड़ के नीच मेला लगा है. यहां कई तरह की दुकानें सजी थीं. सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ रही.
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