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Ghatshila News : सोहदा शाफ्ट का काम साढ़े चार साल से बंद, पानी में डूबी मशीनरी बेकार

एचसीएल की सुरदा माइंस की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए शाफ्ट बनना है, शाफ्ट में काम करने वाले 120 ठेका मजदूर बेरोजगार, कई ने किया पलायन, शाफ्ट सिंकिंग का काम बंद रहने से मजदूर और परिवार बदहाली में जी रहे

मुसाबनी. एचसीएल (हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड) के सोहदा में शाफ्ट सिंकिंग का काम साढ़े चार साल से अधिक समय से बंद है. सुरदा खदान लीज विस्तारीकरण के बाद पर्यावरण स्वीकृति और माइनिंग चालान भी मिल गया है. इसके बावजूद सुरदा फेस टू के शाफ्ट सिंकिंग का काम चालू नहीं हुआ है. इससे लगभग 120 मजदूर साढ़े चार साल से बेरोजगार हैं. शाफ्ट सिंकिंग काम का ग्लोबल टेंडर लेने वाली ठेका कंपनी श्रीराम इपीसी और एचसीएल के बीच भुगतान के मुद्दे पर खींचतान जारी है. इसका खामियाजा मजदूर भुगत रहे हैं. सुरदा फेस टू के मजदूरों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. कई मजदूर मजबूरी में दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए पलायन कर गये हैं.

वर्ष 2012 में शुरू हुआ काम, दो तिहाई काम पूरा

सुरदा माइंस की वर्तमान उत्पादन क्षमता 4 लाख टन वार्षिक से बढ़कर 9 लाख टन वार्षिक करना है. इसके लिए सुरदा फेस टू के तहत सोहदा में नये शाफ्ट का निर्माण कार्य वर्ष 2012 में शुरू हुआ. लगभग दो तिहाई काम हुआ है. सितंबर 2020 से शाफ्ट से पानी निकासी समेत सभी आवश्यक सेवाएं बंद हैं. शाफ्ट के अंदर की मशीनरी पिछले 4 साल से अधिक समय से पानी में डूबी है. शाफ्ट की बाइंडर समेत अन्य मशीनरी कबाड़ में तब्दील हो रही है. साइट में चारों ओर झाड़ियां उगी हैं.

कई बार हुई वार्ता, लेकिन सहमति नहीं बनी

ठेका कंपनी प्रबंधन और एचसीएल प्रबंधन के बीच सोहदा शाफ्ट को लेकर कई बार की वार्ता हुई है. कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है. सोहदा शाफ्ट का मामला अब भी लटका हुआ है. शाफ्ट सिंकिंग का काम बंद रहने से मजदूर और परिवार बदहाली में जी रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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