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डुमरिया प्रखंड के 20 गांव मलेरिया की चपेट में, ग्रामीण भयभीत, विभाग चिंतित

साल के शुरुआती चार माह के आंकड़ों ने डराया, कारण स्पष्ट नहीं, पहले जून से नवंबर तक मरीज अधिक मिलते थे, अब स्थिति बदली, प्रखंड के बीहड़ व पहाड़ी क्षेत्र के दर्जनों गांव मलेरिया जोन चिह्नित

डुमरिया (अनूप साव). पूर्वी सिंहभूम जिले का डुमरिया प्रखंड इस बार मार्च-अप्रैल से मलेरिया की चपेट में है. प्रखंड की 10 पंचायतों के 20 गांवों में लगातार मरीज मिल रहे हैं. प्रखंड में कुल 90 गांव हैं. यहां हर साल जून से नवंबर तक मलेरिया का प्रकोप रहता है. इसका मुख्य कारण पहाड़ी क्षेत्र बताया जाता है. इस बार मार्च-अप्रैल के आंकड़ों ने विभाग को चिंतित कर दिया है. लगातार मरीज बढ़ रहे हैं, लेकिन विभाग को अबतक पता नहीं लगा सका है कि ऐसा क्यों हो रहा है. जून से नवंबर तक अधिक मरीज मिलने का मुख्य कारण बारिश, जल जमाव व जंगल में नमी को माना जाता रहा है. जनवरी से जून तक मलेरिया के बहुत कम मरीज सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) पहुंचते थे.

अप्रैल में 229 मरीज मिले, सर्वाधिक 84 माड़ोतोलिया में

वर्ष 2024 में मलेरिया का प्रकोप काफी बढ़ गया है. अप्रैल में मलेरिया के 229 मरीज मिले हैं. इनमें सबसे ज्यादा 84 मरीज माड़ोतोलिया गांव में हैं. भीतरआमदा में 28, बाकड़ाकोचा में 24, कालियामकोचा में 13, बादलकोचा में 11, बोमरो में 10, लखाइडीह में 9, फूलझरी, दामदी, बारुनिया, भीतरचाकड़ी आदि गांव में चार- चार मरीज मिले हैं.

डुमरिया : 2023 की तुलना में 10 गुना बढ़े मरीज

साल 2024 में जनवरी में 138, फरवरी में 17 और मार्च में 112 मरीज मिले थे. वहीं, 2023 के जनवरी में 2, फरवरी में 5, मार्च में 9 तथा अप्रैल में 34 मरीज मिले थे. पिछले साल (2023) शुरुआत के चार महीने (जनवरी, फरवरी, मार्च व अप्रैैल) में 50 मरीज मिले थे. वहीं इस साल (2024) के शुरुआती चार महीने में 496 मरीज मिले हैं. पिछले साल की तुलना में 10 गुना मरीज बढ़े हैं. यह डुमरिया सीएचसी का सरकारी आंकड़ा है. हालांकि, दर्जनों मरीज निजी डॉक्टरों से जांच कराकर इलाज करवाते हैं. सभी को जोड़ने से स्थिति चिंताजनक है.

चिंता : लक्षण नहीं दिखते, जांच में पॉजिटिव मिलते हैं

मलेरिया का सबसे ज्यादा प्रकोप माड़ोतोलिया, बोमरो, बाकड़ाकोचा व भीतरआमदा गांव में रहता है. यहां ऐसे मरीज भी मिलते हैं, जिनमें मलेरिया के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. जांच में पॉजीटिव पाये जाते हैं. इससे ग्रामीण परेशान रहते हैं, क्योकि लंबे समय से मलेरिया से संक्रमित होने से किसी कि जान जा सकती है. यहां ब्रेन मलेरिया के मामले भी काफी आते हैं

प्रखंड के मलेरिया प्रभावित गांव

डुमरिया प्रखंड के मलेरिया जोन के रूप में चिह्नित गांवों में माड़ोतोलिया, बाकड़ाकोचा, सुनुडुरू, रायसेनबेड़ा, आतनाबेड़ा, दामूकोचा, उपरबांकीशोल, चटानीपानी, दुबलाबेड़ा, रांगामाटिया, लांगो, बादलगोड़ा, जंगल ब्लॉक, बोमरो, चाकड़ी, चिंगड़ा, कीताकोचा, भीतरआमदा आदि शामिल हैं.

मलेरिया पर रोक लगाने में विभाग फेल

डुमरिया सीएचसी की ओर से मलेरिया जोन गांवों में डीडीटी का समय-समय पर छिड़काव किया जाता है. विभाग के अनुसार, हर घर में मच्छरदानी का वितरण किया गया है. गांव- गांव जाकर सैंपल कलेक्शन कर सीएचसी में जांच की जाती है. किट की सहायता से गांव में जांच हो जाती है. फिलहाल जांच किट सीएचसी में उपलब्ध है. लोगों को जागरूक भी किया जाता है. डुमरिया के प्रभारी चिकित्सक डॉ शायबा सोरेन छुट्टी पर हैं, इसलिए उनका पक्ष रखा नहीं जा सका.

–कोट–

डुमरिया प्रखंड में मलेरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. जून व जुलाई महीने में मलेरिया के मामले बढ़ जाते हैं. इस बार मार्च व अप्रैल में मलेरिया के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गयी है. डुमरिया के माड़ोतोलिया व भीतरआमदा आदि कुछ गांव हैं, जहां काफी संख्या में मलेरिया के मरीज मिलते हैं. अभी से मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ने का कारण स्पष्ट नहीं है.

– डॉ कल्याण महतो, चिकित्सक, डुमरिया सीएचसी

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