ललन सिंह, घाटशिला. घाटशिला के कापागोड़ा में एनएच-18 के किनारे लगभग 18 से 20 परिवार 60 वर्षों से रह रहे हैं. इनका मुख्य पेशा बांस से सामग्री बनाकर बेचना है. विजय कालिंदी ने बताया कि साल भर बांस से सामग्री बनाते हैं. छठ पर्व पर विशेष कर सामग्री बनाते हैं. इस महंगाई की दौर में मजदूरी निकाल पाना मुश्किल है. बांस दूर से खरीद कर लाते हैं. 200 रुपये प्रति पीस बांस खरीदना पड़ रहा है. छठ पर्व पर डबल बांस का दउरा 300 से 450 रुपये में बिक रहा है. घाटशिला और मऊभंडार के आसपास के क्षेत्र में दउरा की बिक्री होती है. कई लोग घर पर भी ऑर्डर देकर जाते हैं. बहरागोड़ा, बरसोल, धालभूमगढ़ और सालबनी के लोग खरीदारी करने आते हैं. दउरा बनाने के साथ विवाह और श्राद्ध घर में बाजा बजाने का काम करते हैं. किसी तरह से महंगाई में परिवार चल रहा है.
एक घर में रहते हैं दो-दो परिवार, आवास हुए जर्जर
घर की महिलाएं और लोगों ने कहा कि 60 वर्ष रहते हो गया. 1983- 84 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में इंदिरा आवास बना था. झारखंड बनने के 24 साल बाद कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. लगभग 18 से 20 परिवार हैं. एक घर में दो-दो परिवार रह कर गुजारा करते हैं. आवास भी जर्जर है. आवास टूट कर गिर रहे हैं.एक परिवार को मिला अबुआ आवास
18 से 20 परिवारों में एक परिवार को अबुआ आवास मिला है. दिलीप कालिंदी, रघु कालिंदी, गोपाल कालिंदी, विजय कालिंदी, संजय कालिंदी, चामटू कालिंदी , मानिक कालिंदी, कंचन कालिंदी, मोटू कालिंदी, शुरू कालिंदी ने बताया कि हाईवे से होकर जनप्रतिनिधि आवागमन करते हैं, लेकिन गरीबों पर उनका ध्यान नहीं है. चुनाव के समय कई लोग आते हैं. आश्वासन देकर चले जाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है