चाकुलिया. ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिजर्व से भागकर चाकुलिया के जंगल में पहुंची बाघिन ‘जीनत’ वन विभाग के चुनौती बन गयी है. बाघिन का लोकेशन (जीपीएस ट्रैकर से) चाकुलिया हवाई पट्टी-सुनसुनिया मार्ग पर दिखा. इसके बाद सिमलीपाल वाइल्डलाइफ की टीम पहुंची. बाघिन को बेहोश करने के लिए ट्रेंकुलाइजर गन से फायरिंग की. हालांकि, बाघिन 12 फीट लंबी छलांग लगाकर साल जंगल की झाड़ियों में घुस गयी. टीम का निशाना चूक गया.
बाघिन काफी फुर्तीली, अबतक तीन बार निशाना चूका
वन विभाग की टीम का निशाना अबतक तीन-तीन बार फेल हो चुका है. बाघिन बहुत फुर्तीली है. मंगलवार की शाम चाकुलिया हवाई पट्टी से सुनसुनिया जाने वाले मार्ग पर बाघिन की चहलकदमी दिखी. इसके पहले सिमलीपाल वाइल्डलाइफ की टीम ने रविवार को राजाबासा जंगल और लगभग एक सप्ताह पहले चियाबांधी जंगल में बाघिन को बेहोश करने के लिए ट्रेंकुलाइजर गन से निशाना लगाया था. हर बार विभाग को असफलता हाथ लगी.
सड़क किनारे पहुंची बाघिन, मौरबेड़ा-जमुआ मार्ग दो घंटे रहा बंद
बुधवार को बाघिन जीनत मौरबेड़ा और माचाडीहा गांव के बीच जंगल में पहुंची. जीपीएस लोकेशन बिल्कुल सड़क के किनारे दिख रहा था. इसके बाद स्थानीय लोगों की सुरक्षा को देखते हुए लगभग दो घंटे के लिए मौरबेड़ा-जमुआ मार्ग को बंद कर दिया गया था. बाद में बाघिन के जंगल की ओर जाने पर लोगों का आवागमन शुरू किया गया.
बाघिन की निगरानी में जुटे हैं 60 वनकर्मी
ज्ञात हो कि बीते 24 नवंबर को सिमलीपाल टाइगर रिजर्व से बाघिन जीनत भाग निकली थी. सिमलीपाल से निकल कर बाघिन गुड़ाबांधा के रास्ते चाकुलिया में प्रवेश कर गयी. पिछले 9 दिनों से बाघिन चाकुलिया के जंगल में भटक रही है. इस बीच न तो बाघिन को पकड़ा जा सका है, न उसे वापस ले जाया जा सका है. दूसरी और बाघिन की निगरानी में लगभग 50 से 60 वनकर्मी लगे हैं. इनमें से 40 वनकर्मी सिमलीपाल वाइल्डलाइफ टीम के हैं. बाकी के चाकुलिया वन विभाग की टीम है.
दहशत : शाम होते ही घरों में कैद हो रहे ग्रामीण
पिछले 9-10 दिनों से चाकुलिया में बाघिन शरणागत है. इसे लेकर ग्रामीणों में भय का माहौल है. शाम होते ही ग्रामीण अपने घरों में कैद हो जा रहे हैं. विपरीत परिस्थिति में भी अंधेरा होने के बाद ग्रामीण घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. जमुआ पंचायत के पूर्व मुखिया प्रभाष हांसदा ने बताया कि पिछले चार-पांच दिनों से बाघिन जमुआ, राजाबासा, माचाडीहा व मोरबेड़ा के जंगलों में विचरण कर रही है. ऐसे में ग्रामीण अपने घरों में कैद हो गये हैं. रात में किसी की तबीयत खराब हुई, तो अस्पताल ले जाना भी मुश्किल हो जायेगा.
परीक्षा के कारण मजबूरी में स्कूल जा रहे बच्चे
पूर्व मुखिया ने बताया कि सरकारी स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षा होने के कारण बच्चों को मजबूरी में स्कूल जाना पड़ रहा है. अभिभावक अपने साथ बच्चों को स्कूल लेकर जाते हैं. छुट्टी होने पर उन्हें अपने साथ घर लेकर वापस लौटते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है