बहरागोड़ा. बहरागोड़ा में किसी के निधन होने पर अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को लकड़ी की किल्लत से दो-चार होना पड़ रहा है. बहरागोड़ा बाजार के पास स्थित श्मशान में शवों को मुक्ति के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. यहां शव जलाने के लिए न बिजली चूल्हा है, न लकड़ी की व्यवस्था है. किसी के निधन होने से परिजनों को लकड़ी इकट्ठा खुद से करना पड़ता है. इसे लेकर काफी परेशानी होती है.
प्रशासन व सरकार ने व्यवस्था नहीं की है
पूर्व में जिला परिषद डाक बंगाल में लकड़ी डिपो था. अब वहां भी लकड़ी नहीं मिल पाती है. बताया जाता है कि अब लकड़ी की कटाई कम हो गयी है. अब प्रशासन के डर से कोई लकड़ी लाना नहीं चाहता है. बहरागोड़ा बाजार स्थित श्मशान में प्रशासन या सरकार ने शवों को जलाने के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की है. राष्ट्रीय उच्च पथ निर्माण के समय सड़क के किनारे कई पेड़ों को काट दिया गया.
लकड़ी या बिजली चूल्हा की मांग
बताया जाता है कि पहले परिजन जलावन के लिए एनएच किनारे प्रशासन से गुहार लगाकर लकड़ी काट लेते थे. आज वह भी स्थिति नहीं है. शव को जलाने के लिए परिजनों द्वारा लकड़ी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने मांग की है कि श्मशान में लकड़ी या बिजली चूल्हा की व्यवस्था की जाये. शव को जलाने के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़े. किसी के घर में आकस्मिक निधन होने पर दुखों का पहाड़ टूट जाता है. दूसरी ओर लकड़ी खोजने के लिए परिजन परेशान रहते हैं.
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