अजय पाण्डेय, घाटशिला
घाटशिला प्रखंड की 1,08,472 की आबादी का इलाज सात चिकित्सकों के भरोसे है. घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में चिकित्सकों के 14 पद सृजित हैं. अस्पताल में सात चिकित्सक पदस्थापित हैं. अनुमंडल अस्पताल में इलाज संबंधी उपकरणों की कोई कमी नहीं है. उपकरणों को ऑपरेट करने के लिए विशेषज्ञ तकनीशियन नहीं हैं. चिकित्सक और कर्मियों को मिलाकर अनुमंडल अस्पताल में कुल सृजित पद 83 हैं. जबकि, सात चिकित्सक और 22 कर्मी पदस्थापित हैं. अस्पताल सूत्रों ने बताया कि शिशु रोग विशेषज्ञ, निश्चेतक, हड्डी रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ और मेडिकल ऑफिसर समेत चार अन्य विभागों में चिकित्सक नहीं हैं.अधिकतर विभाग आउटसोर्स कर्मी के भरोसे
अनुमंडल अस्पताल में हर माह किसी न किसी विभाग के कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वहीं, नयी बहाली नहीं हो रही है. अस्पताल का अधिकतर विभाग आउट सोर्सिंग के तहत संचालित हो रहा है. कई बार लोगों को बना इलाज के अस्पताल से लौटना पड़ता है.इसीजी व डायग्नोसिस मशीन धूल फांक रही
अनुमंडल अस्पताल में तीन साल पूर्व आइसीसी ने सीएसआर से इसीजी मशीन दी. तकनीशियन की कमी से मशीन अबतक खुली नहीं है. इसीजी मशीन एक कमरे में धूल फांक रही है. वहीं, डायग्नोसिस मशीन का सील तक नहीं खुला है. विशेषज्ञ ऑपरेटर की बहाली नहीं हुई है. ऐसे में लोगों को निजी केंद्र के भरोसे रहना पड़ रहा है.प्रखंड के चार पीएचसी में चार चिकित्सक
अस्पताल में नेत्र सर्जन के रूप में डॉ देव कुमार महतो, डॉ विकास मार्डी एमडी, डॉ विकास भेंगरा सर्जन, डॉ कुमुदनी गायनोकोलॉजिस्ट, डॉ आरएन सोरेन (एमओआइसी एमओ), डॉ मीरा मुर्मू (एमओ) और डॉ आरएन टुडू (एमओ) कार्यरत हैं. घाटशिला प्रखंड के चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चार चिकित्सक पदस्थापित हैं. खड़िया कॉलोनी पीएचसी में डॉ शिप्रा जेसी, काड़ाडूबा में डॉ जूही कुमारी, गालूडीह में डॉ मुंगली हांसदा और झाटीझरना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉ हीना रानी पदस्थापित हैं.हर माह तीन बैठक, लेकिन व्यवस्था 10 वर्ष पहले की
सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग रांची मुख्यालय और जमशेदपुर हर माह तीन से चार बार स्वास्थ्य व्यवस्था में परिवर्तन के लिए बैठक करती है. बैठक में कार्रवाई प्रतिवेदन नहीं बनता है. नतीजतन दस वर्ष पूर्व की व्यवस्था आज भी है. समीक्षा बैठक में प्रत्येक बार अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी को बुलाया जाता है. व्यवस्था में परिवर्तन के लिए क्या कार्रवाई होती है. यह जानकारी किसी को नहीं.दो डीजी पहले से थे, एक और डीजी आ गया
स्वास्थ्य विभाग ने घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में दो-दो डीजी रहते हुए एक और डीजी की आपूर्ति की है. नये डीजी अनुमंडल अस्पताल के आगे शेड में रखा है. इस डीजी को अभी तक चालू नहीं किया जा सका है. विभाग का कहना है कि पहले से दो डीजी अस्पताल में है.चिकित्सक व कर्मी नहीं होने से ट्रॉमा सेंटर शुरू नहीं हो सका
घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में लाखों की लागत से ट्रॉमा सेंटर का निर्माण हुआ, मगर चिकित्सक और कर्मचारियों के पद सृजित नहीं हुए हैं. इससे ट्रॉमा सेंटर में टीबी के मरीजों का इलाज जारी है. सिविल सर्जन डॉ जुझार माझी से जानकारी लेने के लिए फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है