16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिलेबस की पाठ्य पुस्तकों की खूब हो रही खरीदारी

ट्राइबल बुक फेयर के दूसरे दिन छात्रों की भीड़ ने मेले को एक अद्वितीय और उत्साहजनक रंग दिया. छात्रों ने संताली सेलेबस के पाठ्य पुस्तकों की जमकर खरीदारी की

पुस्तक मेला साहित्य प्रेमियों के बीच प्रेरणादायक आयोजन बना

जमशेदपुर:

करनडीह दिशोम जाहेरथान कैंपस में आयोजित ट्राइबल बुक फेयर के दूसरे दिन छात्रों की भीड़ ने मेले को एक अद्वितीय और उत्साहजनक रंग दिया. छात्रों ने संताली सिलेबस की पाठ्य पुस्तकों की जमकर खरीदारी की. यह पुस्तक मेला पहली बार आयोजित हो रहा है. बावजूद इसके सुबह 10 बजे के बाद से ही छात्र व पुस्तक प्रेमियों का आना-जाना शुरू हो जा रहा है. पुस्तक मेला छात्रों के बीच साझा शिक्षात्मक अनुभव का एक अच्छा माध्यम बनकर उभरा है, जहां वे न केवल पुस्तकों के भंडार को आनंद लेते दिखे. साथ ही वे जनजातीय संस्कृति और साहित्य के प्रति भी उत्सुक दिखें. ट्राइबल बुक फेयर का दूसरा दिन छात्रों व साहित्य प्रेमियों के बीच एक अद्वितीय और प्रेरणादायक आयोजन बना. जाहेरथान कमेटी के रवींद्रनाथ मुर्मू ने बताया कि पुस्तक मेले में कोल्हान के विभिन्न जगहों से छात्र व साहित्य प्रेमी पहुंच रहे हैं. उम्मीद नहीं थी कि लोगों का इतना समर्थन मिलेगा. रविवार को अंतिम दिन अच्छी खासी भीड़ जुटने की संभावना है.

भारतीय संविधान की संताली अनुवाद पुस्तक की जमकर हो रही बिक्री

प्रो श्रीपति टुडू द्वारा संताली अनुवाद में भारतीय संविधान की पुस्तक की जमकर बिक्री हो रही है. प्रो श्रीपति टुडू ने संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में इसे अनुवाद किया है, जो भारतीय संविधान के सार को संताली भाषा के लोगों तक पहुंचाने में मदद कर रहा है. इस अनुवाद से संताली भाषा और संस्कृति को उन्नति मिल रही है. साथ ही भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण विचार लोगों तक पहुंचा रहा है. यह अनुवाद एक महत्वपूर्ण कदम है जो सामाजिक समानता और संवैधानिक मूल्यों को संताली भाषा और समुदाय में जीवित करने की दिशा में एक पहल है.

छात्रों के लिए मददगार साबित हो रहा पुस्तक मेला

इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और पीजी के छात्रों के लिए पुस्तक मेला काफी मददगार साबित हो रहा है. इस मेले में छात्रों को अपने सारे पाठ्य पुस्तकों को एक ही जगह पर आसानी से प्राप्त करने का मौका मिल रहा है. इससे छात्रों को अनगिनत समय और प्रयासों की बचत हुई है. अन्यथा छात्रों को पाठ्य पुस्तकों की व्यवस्था करने में पसीने में छूट जाते थे. दरअसल संताली, हो, मुंडा समेत अन्य जनजातीय पुस्तकें शहर में कहीं भी नहीं मिलती हैं. छात्रों को पुस्तकों को खरीदने के लिए पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम या कोलकाता जाना पड़ता था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें