कोल्हान में सरायकेला क्षेत्र के नारानबेड़ा से सेंदरा पर्व का आगाज 14 अप्रैल को

चैत संक्रांति 14 अप्रैल को है. इस दिन प्रत्येक वर्ष कोल्हान क्षेत्र में सरायकेला-खरसावां जिले के नारानबेड़ा पहाड़ी से दिसुआ सेंदरा पर्व का आगाज होता है. यहां कोल्हान ही नहीं, बल्कि ओडिशा व बंगाल से भी दिसुआ सेंदरा वीर शिकार खेलने के लिए पहुंचते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 4, 2024 8:53 PM

जमशेदपुर.

कोल्हान में इस वर्ष दिसुआ सेंदरा पर्व का आगाज 14 अप्रैल को हो रहा है. दिसुआ सेंदरा पर्व का शुभारंभ सरायकेला जिले के नारानबेड़ा पहाड़ी से किया जाता है. इसके साथ ही अन्य प्रमुख पहाड़ियों में सेंदरा अर्थात शिकार खेलना शुरू हो जायेगा. इस दिसुआ सेंदरा पर्व में केवल सरायकेला क्षेत्र के लोग नहीं, बल्कि ओडिशा व पश्चिम बंगाल क्षेत्र के भी लोग आते हैं. नारानबेड़ा में 13 अप्रैल के शाम तक पहाड़ी तलहटी पर दिसुआ सेंदरा वीर पहुंच जायेंगे. पहाड़ी के तलहटी में रात्रि विश्राम करने के बाद 14 अप्रैल की तड़के सुबह को पहाड़ी पर शिकार खेलने के लिए चढ़ जायेंगे. शिकार खेलने के बाद सूर्यास्त से पहले तक पहाड़ी की तलहटी में लौट आयेंगे.

आदिवासी-मूलवासी समाज में शिकार पर्व का है खास महत्व

आदिवासी-मूलवासी समाज का पहाड़ी में जाकर शिकार खेलना ही मुख्य मकसद नहीं होता है, बल्कि शिकार खेलने से पूर्व वन देवी-देवता का आह्वान किया जाता है. उनकी पूजा-अर्चना करने के बाद शिकार खेलने की अनुमति मांगी जाती है. इतना ही नहीं इस दौरान वन देवी-देवताओं से अच्छी बारिश की कामना की जाती है.

वीर सिंगराई का होता है आयोजन

शिकार पर्व के पूर्व संध्या पर पहाड़ी के तलहटी पर दिसुआ सेंदरा वीरों का जमावड़ा होता है. इस दौरान रात्रि में वीर सिंगराई का आयोजन होता है. यह आदिवासी समाज का सामाजिक पाठशाला है. इसमें वीर सिंगराई को प्रस्तुत करने वाले कलाकार विभिन्न पौराणिक कथाओं को मनोरंजक तरीके से नाच-गाकर बताते हैं.

लो बीर दोरबार में सामाजिक मुद्दों पर होता है मंथन

सेंदरा पर्व के दौरान कुछेक जगहों पर लो बीर दोरबार का आयोजन होता है. यह सामाजिक, सांस्कृतिक व न्यायिक बड़ा जनसभा होता है. इसमें दिसुआ लोग शामिल होते हैं. इसमें स्वशासन व्यवस्था के माझी बाबा से लेकर परगना व देश परगना समेत समाज के बुद्धिजीवी शामिल होते हैं.

कहां-कहां होगा सेंदरा पर्व

नारानबेड़ा (सरायकेला), पालना जंगल (चांडिल), दलमा (जमशेदपुर), रोडो (घाटशिला), बुढ़ाबुढ़ी जंगल (पीपला क्षेत्र), आरा : बुरू (नरवा), रूवाम (मुसाबनी), चंगुवा (ओडिशा), डाबरा (ओडिशा), अजोध्या (पुरूलिया), मरांगबुरू (पारसनाथ).

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