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भीषण गर्मी में रानीडीह का बेड़ा कुआं बना लाइफलाइन, सैकड़ों लोग प्रतिदिन भरते हैं पानी

पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर प्रखंड क्षेत्र का रानीडीह गांव में बेड़ा कुआं है. जो इस भीषण गरमी में दर्जना गांवों के लिए लाइफलाइन बना हुआ है. कई बस्तियों में हैंडपंप, चापाकल समेत अन्य जल श्रोत सूख गये हैं. वहीं बेड़ा कुआं में लबालब पानी भरा हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 10:11 PM

जब आसपास के सभी स्रोत सूख जाते हैं, तो भी इस कुएं में पानी लबालब होता है

वरीय संवाददाता, जमशेदपुर

एक समय ऐसा भी था, जब लोग पेयजल व अन्य घरेलू उपयोग के लिए पानी के लिए कुओं पर निर्भर थे. कुओं के घाटों पर कुछ साल पहले तक रोज सुबह-शाम पानी भरने वालों की भीड़ जमा होती थी और अच्छी खासी चहल-पहल रहती थी, लेकिन अब कुओं में वीरानी छाई रहती है. जलस्तर नीचे गिरने और समुचित रखरखाव नहीं होने के कारण अधिकांश कुएं सूख चुके हैं और इन कुओं के अंदर झांकने पर अब कचरा के ढेर नजर आते हैं. वहीं दूसरी ओर पूर्वी सिंहभूम जमशेदपुर के बागबेड़ा क्षेत्र के रानीडीह कोकेटोला में बेड़ा कुआं आज भी हजारों लोगों के लिए लाइफलाइन बना हुआ है. एक दर्जन से अधिक बस्तियों के लोग गर्मी के दिनों में इस कुएं पर आश्रित रहते हैं या यूं कहें कि जब आसपास के सभी स्रोत सूख जाते हैं, तो यही एकमात्र कुआं होता है, जहां लबालब पानी भरा होता है.

70-80 दशक पुराना है बेड़ा कुआं

मध्य घाघीडीह पंचायत के मुखिया सुनील किस्कू बताते हैं बेड़ा कुआं 70-80 दशक पुराना है. यह कुआं मुंडा समुदाय के खेत पर बना है. आसपास के लोग दो-तीन पीढ़ी से इसी कुआं का पानी पीते हुए आ रहे हैं. पाइप लाइन, हैंडपंप और बोरिंग की अपेक्षा इस कुएं का पानी बहुत अच्छा है. सर्दी हो या गर्मी हर दिन सैकड़ों लोग कुएं से पानी भरते हैं. यह कोई सरकारी कुआं नहीं है, बल्कि बस्तीवासी मिलकर इस कुआं की देखरेख करते हैं.

कुएं में साफ-सफाई का रखा जाता है विशेष ध्यान

रानीडीह कोकेटोला के पास एक खेत में बना है यह बेड़ा कुआं. इस कुएं में किसी भी चप्पल या जूते पहनकर आना बिलकुल मना है. इतना ही नहीं, कोई भी महिला अपनी बालों को खुला रखकर इस कुएं से पानी नहीं भर सकती हैं. ऐसा करना पूर्णत: वर्जित है. कुएं के आसपास नहाना, बर्तन धोना या दातून करना भी मना है. इससे संबंधित सारा नियम सूचना वहां एक बोर्ड में लिखा गया है. रानीडीह समेत अन्य विभिन्न बस्तियों के लोग इस नियम का अक्षरश: पालन करते हैं.

हर साल कुएं की होती है साफ-सफाई

कुआं में हमेशा लबालब पानी भरा रहे, इस लिहाज कुएं की हर साल सफाई की जाती है. यह सफाई किसी मजदूर द्वारा नहीं, बल्कि ग्रामवासी मिलकर करते हैं. आपसी चंदे की राशि से कुएं का छोटा-मोटा काम कराया जाता है. हर साल कुएं में सामूहिक पूजा की जाती है. इसमें ग्राम देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है. कुआं की देखरेख के लिए ग्रामीणों ने निगरानी समिति बनायी है. इसके मुख्य संरक्षक वर्तमान समय में सुनील किस्कू हैं.

इन बस्तियों के लोग इस कुएं पर हैं आश्रित

एक दर्जन से भी ज्यादा गांव के लोग इस कुएं पर आश्रित हैं. रानीडीह काेकेटोला, रानीडीह गनसा टोला, जाटाझोपड़ी, टीकाटोला, लड़काटोला, कुमरीटोला, एदलझोपड़ी, गोल्टूझोपड़ी सुढ़सीटोला, गिद्दीझोपड़ी, जगन्नाथपुर, हरहरगुट्टू समेत अन्य बस्तियों से लोग यहां से पानी ले जाते हैं.

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