East Singhbhum news : लड़कियों के वेश में गांवों में पारंपरिक नृत्य कर रहे युवा
मुसाबनी में आखान यात्रा से गांवों में बूढ़ी गाड़ी नृत्य कर रहे युवा
मुसाबनी. मकर संक्रांति के दूसरे दिन आखान यात्रा से गांवों के युवक लड़कियों के वेश में पारंपरिक आदिवासी बूढ़ी गाड़ी नृत्य कर रहे हैं. मुसाबनी के बेनाशोल बालियाडीह के बूढ़ीगाड़ी नृत्य दल के परेश सोरेन के मुताबिक, आखान यात्रा से गांव के लड़के लड़कियों की वेशभूषा में गाजे-बाजे के साथ घर-घर जाकर चावल, धान, मूढ़ी, पीठा संग्रह करते हैं. यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलता है. इसके बाद संग्रहित सामग्रियों से गांव के सभी लोग एक साथ मिलकर वन भोज का आनंद लेते हैं. श्री सोरेन के मुताबिक, घर-घर जाकर सामूहिक नृत्य और गीत प्रस्तुत किया जाता है. उन्होंने कहा कि बाड़ेडीह, पुनडुंगरी और अंतिम दिन बेनाशोल गांव में घर-घर जाकर बूढ़ी गाड़ी नृत्य प्रस्तुत किया गया. बूढ़ी गाड़ी नृत्य की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. इस नृत्य से गांव में आपसी भाईचारा को बढ़ावा मिलता है. आधुनिकता के दौर में आदिवासी समाज अपनी परंपरा को बचाये रखने के लिए सजग है. बूढ़ी गाड़ी नृत्य दल में वकील सोरेन, सुराई सोरेन, शाखो टुडू समेत कई युवा शामिल हैं.
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