Energy Transition News : झारखंड के साहिबगंज, सिमडेगाऔर चतरा में लगाया गया 643KW का सोलर पावर मिनी ग्रिड

साहिबगंज के बरहेट प्रखंड में कुल 240 हाउस होल्ड में 73 KW का मिनी पावर ग्रिड लगाया गया है. वहीं बरहेट प्रखंड के ही बरमसिया में 60 किलोवाट का पावर ग्रिड लगाया गया है.

By Rajneesh Anand | May 29, 2022 7:42 PM
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Energy Transition News : जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के वैश्विक प्रयासों में भारत भी दृढ़ता के साथ जुटा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने और पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने पर जोर दे रहे हैं. 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन इसी संकल्प का हिस्सा है.

पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली समय की मांग

केंद्र सरकार के इस संकल्प को पूरा करने और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को अपनाने में झारखंडवासी और झारखंड सरकार भी प्रयासरत है. सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने के लिए जेरेडा (Jharkhand Renewable Energy Development Agency) लगातार प्रयास कर रहा है. जेरेडा कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है, जिससे आम लोगों को सौर ऊर्जा सस्ते दर पर उपलब्ध हो रही है.

साहिबगंज, सिमडेगा और चतरा में लगाया गया मिनी पावर ग्रिड

जेरेडा कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार ने बताया कि हाल ही में झारखंड के साहिबगंज, सिमडेगा, हजारीबाग और चतरा जिले में मिनी पावर ग्रिड लगाने का काम किया गया है. जेरेडा ने कई एजेंसियों जिनमें महादेव इंटरप्राइजेज रांची, अभिषेक सोलर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड , वैष्णवी इंजीनियरिंग ,एपीएस पावर रांची, स्टेटिक पावर, जय माता दी कंपनी और रिन्यूएबल पावर आफ इंडिया जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर साहिबगंज जिले में मिनी पावर ग्रिड लगाने का काम किया है.

साहिबगंज के बरहेट में 73 किलोवाट का मिनी पावर ग्रिड

साहिबगंज के बरहेट प्रखंड में कुल 240 हाउस होल्ड में 73 KW का मिनी पावर ग्रिड लगाया गया है. वहीं बरहेट प्रखंड के ही बरमसिया में 60 किलोवाट का पावर ग्रिड लगाया गया है. जबकि सिमडेगा के बानो प्रखंड में तीन अलग-अलग गांवों में 74 किलोवाट का मिनी पावर ग्रिड लगाया गया है. वहीं चतरा के सिमरिया में 60 किलोवाट का सोलर मिनी पावर ग्रिड लगाया गया है.

643 किलोवाट बिजली का उत्पादन

हाल में इन जिलों में लगाये गये मिनी सोलर पावर ग्रिड से 643 किलोवाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. यह बिजली ना सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि काफी सस्ती भी है. कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट में जो बिजली बनायी जाती है, वह पर्यावरण के अनुकूल तो नहीं ही होती है, साथ ही महंगी भी होती है. ऐसे में जेरेडा के इस प्रयास को सुखद और भविष्य के लिए शुभ संकेत माना जा सकता है.

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