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Exclusive: झारखंड के पहले NRI वोटर ने भारत की नागरिकता छोड़ी

इन्द्रनील सिन्हा अभी तक झारखंड में वोट दे चुके एक मात्र एनआरआई हैं. उन्होंने 2019 के झारखंड विधान सभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. मूलत: देवघर के निवासी इन्द्रनील सिन्हा पिछले दो दशक से स्वीडन में रह रहे हैं.

NRI Voters: झारखंड के पहले एनआरआई वोटर डॉ इन्द्रनील सिन्हा ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है. वे अब स्वीडन के नागरिक बन गए हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब प्रभात खबर संवाददाता ने उनसे एनआरआई मतदाताओं के लोकसभा चुनाव में मतदान संबंधित रुझान के बारे में जानने के लिए संपर्क किया. उन्होंने बताया कि वे इंडियन सिटीजनशिप सरेंडर कर चुके हैं.

इन्द्रनील सिन्हा अभी तक झारखंड में वोट दे चुके एक मात्र एनआरआई हैं. उन्होंने 2019 के झारखंड विधान सभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. मूलत: देवघर के निवासी इन्द्रनील सिन्हा पिछले दो दशक से स्वीडन में रह रहे हैं.

पेशे से चिकित्सा वैज्ञानिक इन्द्रनील सिन्हा प्रभात खबर से कहते हैं कि स्वीडन में लंबे समय से रहने के कारण यहां की नागरिकता हासिल करना आवश्यक हो गया था. उन्हें अपनी जन्म भूमी और मिट्टी से बहुत लगाव है अगर भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान होता, तो वे कभी भारत का पासपोर्ट नहीं छोड़ते.

एनआरआई किसे कहते हैं

दरअसल भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों को अप्रवासी भारतीय या फिर एनआरआई कहा जाता है. एनआरआई को मतदान का अधिकार तभी मिलता है, जब मतदाता सूची में इनके नाम आ जाते हैं. ऐसे में एनआरआई को मतदान करने के लिए अपने पासपोर्ट के साथ चुनाव के दिन मतदान केंद्र पर उपस्थित होना होता है. आपको जानकारी के लिए यह भी बताते चलें कि फिलहाल एनआरआई के लिए डाक के जरिए मतदान, भारतीय मिशनों में मतदान या ऑनलाइन वोटिंग का कोई प्रावधान नहीं है.

झारखंड में हैं इतने एनआरआई वोटर, कितने करेंगे मतदान कहना मुश्किल

झारखंड निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक अभी 123 एनआरआई मतदाता हैं. इनमें से कितने झारखंड आकर लोक सभा चुनाव में मतदान करेंगे, यह कहना मुश्किल है. इससे पहले 2019 के लोक सभा चुनाव में झारखंड में एनआरआई निर्वाचक की संख्या 10 थी. इनमें से एक ने भी मतदान नहीं किया था. इससे पहले 2014 में एक एनआरआई मतदाता थे.

विदेश में रहते हैं हजारों, पर बनते नहीं मतदाता

झारखंड के हजारों लोग रोजी-रोटी या पढ़ाई के लिए विदेश में रहते हैं. चुनाव आयोग का प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति अपने निवास स्थान पर 6 महीने से अधिक नहीं रहता हैं, तो वह मतदान नहीं कर सकता. उन्हें 6 महीने से अधिक रहने वाले स्थान पर ही मतदाता सूची में नाम दर्ज कराना होगा.

विदेश में रह रहे भारतियों के लिए भी यही नियम है. वे एनआरआई वोटर को रूप में अपना नाम दर्ज कराने के बाद ही झारखंड आकर मतदान कर सकते हैं. इसके लिए उनका नाम समान्य मतदाता सूची से अलग दर्ज होगा. वोट का प्रयोग करते वक्त उन्हें अपना पासपोर्ट भी दिखाना होगा.

एनआरआई वोटर क्यों नहीं बनते हैं और वोटर बनने के बाद भी वोट क्यों नहीं देते हैं. इस बारे में विनीता घोष (पीएचडी स्कॉलर, इजरायल) बताती हैं कि विदेश में रह रहे भारतीय के लिए बार – बार आना जाना काफी कॉस्टली हो जाता है. कभी – कभी टाइम भी नहीं मिल पाता. हालांकि उन्होंने ज्यादा जोर कॉस्टली ट्रांसपोर्टिंग पर दिया.

ऐसे बनते हैं एनआरआई वोटर

फॉर्म 6ए भरकर ऑनलाइन चुनाव आयोग से जुड़े कार्यालय में जामा करना होता है.

  • आपका पासपोर्ट उस देश में भारतीय मिशन के एक सक्षम कार्यालय द्वारा सत्यापित होना चाहिए जहां आप वर्तमान में रह रहे हैं.
  • अपने सत्यापित पासपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की एक प्रति के साथ अपना भरा हुआ फॉर्म स्कैन करें.
  • यदि आपके क्षेत्र के लिए ऑनलाइन पंजीकरण समर्थित है, तो आप पासवर्ड के साथ एक लॉगिन आईडी बना सकते हैं.
  • यदि आपके पास यह विकल्प नहीं है, तो आप इन सॉफ्ट कॉपी को राज्य चुनाव वेबसाइट के ईमेल पर भेज सकते हैं.

ये शर्त पूरे होने चाहिए

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वर्ष 2010 तक एनआरआई के लिए कोई प्रावधान नहीं

आपको बता दें कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के अनुसार, वर्ष 2010 तक एनआरआई के लिए कोई प्रावधान नहीं था. फिर एनआरआई को शामिल करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि उन्हें भारत के बाहर अपने मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करने की अनुमति मिल सके.

संशोधन किसी भी एनआरआई को, जिसके पास किसी अन्य देश में नागरिकता नहीं है, जहां वह रहता है, अपने मतदाता पहचान पत्र के लिए नामांकन करने की अनुमति देता है, बशर्ते कि उनकी आयु 18 वर्ष हो. दूसरे देश में रहने का उद्देश्य शिक्षा, व्यवसाय, रोजगार, परिवार आदि हो सकता है. एकमात्र शर्त यह है कि आपको उस देश का नागरिक नहीं होना चाहिए.

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