कचरे में पड़े हैं एक करोड़ के 100 डस्टबिन
कचरे में पड़े हैं एक करोड़ के 100 डस्टबिन
गढ़वा नगर परिषद की ओर से कचरा निष्पादन के लिए एक करोड़ रु की लागत से खरीदी गयी डस्टबिन कचरे में पड़ा है. वहीं 56 लाख के दो डंपर प्लेसर गोदाम की शोभा बढ़ा रहे हैं. नगर परिषद गढ़वा को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के उद्देश्य से 100 पीस लोहे की डस्टबिन एवं दो पीस डंपर प्लेसर की खरीद हुई थी. प्रति डस्टबिन 3500 लीटर क्षमता की है. वहीं एक डस्टबिन की कीमत एक लाख रु है. इस तरह 100 पीस डस्टबिन एक करोड़ में खरीदा गया है. वहीं इस डस्टबिन को उठाने के लिए 28-28 लाख रु की लागत से दो डंपर प्लेसर खरीदे गये हैं. इधर डंपर प्लेसर जहां गोदाम की शोभा बढ़ा रहे हैं, वहीं लोहे के डस्टबिन को दानरो नदी के किनारे कचरा डंपिंक यार्ड में फेंक दिया गया है. खरीद के बाद इसे शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर रखा गया था. लेकिन इसमें से काफी सारे डस्टबिन पिछले कई महीनों से दानरो नदी के किनारे कचरा फेंके जानेवाले स्थान पर लावारिस हालत में पड़े हैं. शेष जो शहर के अन्य स्थानों पर हैं, उनका उपयोग भी नहीं हो रहा है. दरअसल इस भारी-भरकर डस्टबिन के अंदर कचरा फेंकने के बजाय लोग इसके बाहर कचरा फेंक देते हैं. दूसरी ओर इस भारी-भरकर डस्टबिन को डंपर प्लेसर से उठाकर ले जाना और फिर उसमें से कचरा निकालकर फिर उसी स्थान पर लाकर रखना झंझट वाला काम है. शहर के विभिन्न स्थानों पर रखे गये 100 ऐसे डस्टबिन को उठाकर दानरो नदी तक ले जाना और फिर कचरा निकालने के बाद निर्धारित स्थानों पर स्थापित करने में सप्ताह दिन का समय लग सकता है. यह काम श्रम साध्य व खर्चीला भी है. इसके बजाय सफाई कर्मचारी आसानी से इन कचरों को उठाकर टीपर, ट्रैक्टर या अन्य माध्यमों से कचरा डंप स्थल पर फेंक दे रहे हैं. उल्लेखनीय है कि 15वें वित्त आयोग से गढ़वा नगर परिषद को करीब पांच करोड़ रु मिले थे. इस पूरी राशि को कचरा निष्पादन से संबंधित सामग्री खरीद में उपयोग कर लिया गया है. शहर वासियों का कहना है कि डेढ़ करोड़ रु से ज्यादा की लागत से खरीदे गये डस्टबीन एवं डंपर प्लेसर यहां के उपयोग लायक नहीं है.
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