बूढ़ा पहाड़ के समीप छत्तीसगढ़, झारखंड पुलिस तथा सीआरपीएफ का अभियान, माओवादियों को घेरने पहुंची पुलिस खाली हाथ लौटी
रंका : नक्सलियों की शरणस्थली बूढ़ा पहाड़ के समीप स्थित पुनदाग गांव में नक्सलियों के जमावड़ा की सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक मो अर्शी के निर्देश पर गढ़वा पुलिस एवं समीपवर्ती राज्य छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ संयुक्त अभियान चलाया गया. इसके तहत 30 किमी पैदल चलकर मौके पर पहुंची पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा़ […]
रंका : नक्सलियों की शरणस्थली बूढ़ा पहाड़ के समीप स्थित पुनदाग गांव में नक्सलियों के जमावड़ा की सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक मो अर्शी के निर्देश पर गढ़वा पुलिस एवं समीपवर्ती राज्य छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ संयुक्त अभियान चलाया गया. इसके तहत 30 किमी पैदल चलकर मौके पर पहुंची पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा़ पुलिस के मौके पर पहुंचने से पूर्व नक्सली बूढ़ा पहाड़ की ओर कूच कर गये़.
जानकारी के अनुसार, गढ़वा पुलिस अधीक्षक को जानकारी मिली थी कि माओवादी कमांडर अरविंद जी एवं विमल जी दस्ते के साथ पुनदाग गांव में ठहरे हुए हैं और एक घर में खाना खा रहे है़ं.उधर समीपवर्ती राज्य छत्तीसगढ़ के बलरामपुर पुलिस को भी इसकी जानकारी हुई. इसके बाद गढ़वा से अभियान एएसपी सदन कुमार के नेतृत्व में रंका, रमकंडा थाना के पुलिस, सीआरपीएफ एवं छत्तीसगढ़ के डीआरजी के जवानों के साथ एक संयुक्त टीम बनायी गयी और सभी पैदल ही पुनदाग की ओर कूच किये,और लगभग 30 किमी पैदल चलकर मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो गयी थी.
इसकी भनक लगते ही माओवादी सुरक्षित बूढ़ा पहाड़ की ओर कूच कर गये़ उक्त टीम में रंका एसडीपीओ विजय कुमार, रमकंडा थाना प्रभारी प्रकाश कुमार रजक और छत्तीसगढ़ के डीआरजी के पदाधिकारी व जवान शामिल थे़ अभियान में शामिल रंका एसडीपीओ विजय कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए मामले की जानकारी दी़ उन्होंने बताया कि उक्त दस्ता का नेतृत्व विमल जी कर रहा था़
दो दशक से नक्सलियों के लिए सेफ बना है बूढ़ा पहाड़
गढ़वा. झारखंड के गढ़वा एवं लातेहार तथा छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला के सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ पिछले दो दशक से भी अधिक समय से नक्सलियों का सेफ जोन साबित हो रहा है़. दो राज्यों छत्तीसगढ़ एवं झारखंड पुलिस के लिये चुनौती बना बूढ़ा पहाड़ लाख प्रयास के बावजूद नक्सलियों से मुक्त नहीं कराया जा सका है़. लातेहार, गढ़वा एवं बलरामपुर जिले में बड़ी कार्रवाई के लिये नक्सली यहीं इकठ्ठा होकर अपनी योजना बनाते हैं और वारदात को अंजाम देने के बाद वे बूढ़ा पहाड़ में शरण ले लेते हैं और पुलिस हाथ मलती रह जाती है़ इसी वर्ष अप्रैल-मई में दोनों राज्यों की पुलिस ने अरविंद जी के बूढ़ा पहाड़ पर शरण लिये जाने की सूचना के बाद नक्सलियों पर कार्रवाई के लिये 45 दिनों का अभियान चलाया गया था. इसमें पुलिस के एक जवान घायल भी हुए थे. बूढ़ा पहाड़ पर जमे नक्सलियों को पुलिस द्वारा कई दिनों तक घेरकर रखा गया था, इसी बीच सुकमा (छत्तीसगढ़) में माओवादियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में कई जवानों के मारे जाने के बाद इस अभियान को बीच में ही रोक दिया गया था़ उस वक्त नक्सलियों ने बूढ़ा पहाड़ पर चारों ओर अपनी सुरक्षा को लेकर लैंडमांइस बिछाया था. उसी की चपेट में आने से एक जवान घायल हुआ था़ उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले के भंडरिया, रंका एवं चिनिया थाना क्षे़त्र एवं लातेहार जिले में नक्सली कार्रवाई के बाद बूढ़ा पहाड़ ही माओवादियों के लिये पनाहगाह बनता रहा है और पुलिस के लिये चुनौती भी़