#Malaria@Ramkanda : आदिवासी राज्य में मलेरिया से मर रहे आदिम जनजाति के लोग
रमकंडा (गढ़वा) : गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड में मलेरिया से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. मरनेवालों में अधिकतर आदिम जनजाति के लोग हैं. रविवार देर रात एक व्यक्ति की मौत के साथ 7 दिन में मृतकों की संख्या 16 हो गयी है. दर्जनों लोग अब भी बीमार हैं और अस्पताल […]
रमकंडा (गढ़वा) : गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड में मलेरिया से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. मरनेवालों में अधिकतर आदिम जनजाति के लोग हैं. रविवार देर रात एक व्यक्ति की मौत के साथ 7 दिन में मृतकों की संख्या 16 हो गयी है. दर्जनों लोग अब भी बीमार हैं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. उधर, राज्य मलेरिया पदाधिकारी के नेतृत्व में रांची की एक टीम गढ़वा पहुंची है. वे मलेरिया को रोकने की कोशिश करने का दावा कर रहे हैं.
प्रखंड मुख्यालय के ऊपर टोला निवासी जतन कोरवाके 20 वर्षीय पुत्र उपेंद्र कोरवा की कल रात सदर अस्पताल मेदिनीनगर में मौत हो गयी. उपेंद्र मलेरिया से पीड़ित था. उसे रविवार की सुबह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रमकंडा में भर्ती कराया गया था. खून की जांच की गयी, तो उसमें मलेरिया के लक्षण पाये गये.
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स्वास्थ्य केंद्र में ही उसका इलाज शुरू हुआ, लेकिन उसकी स्थिति बेहद गंभीर हो गयी थी. इसलिए डॉ गौतम यादव ने मेदिनीनगर सदर अस्पताल रेफर कर दिया. बताया जाता है कि मेदिनीनगर के सदर अस्पताल में भी उसका समुचित इलाज नहीं हुआ और उसकी मौत हो गयी.
मृतक उपेंद्र को राज्य मलेरिया की टीम ने भी अस्पताल में देखा था. बावजूद इसके उसे बचाया नहीं जा सका. परिजनों का आरोप है कि उसके इलाज में लापरवाही बरती गयी. मृतक के परिजनों ने बताया कि 4 दिन पहले उपेंद्र धनरोपनी करके लौटा था. उसी दिन उसे हल्का बुखार आया. शुक्रवार को तालाब से मछली मार कर लौटाऔर अचानक बेहोश हो गया. इसके बाद उसे रविवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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मृतक के पिता ने बताया कि जब वह बेहोश हुआ, तो उसकी झाड़-फूंक करवायी. पैसे नहीं थे, सो अस्पताल नहीं ले जा पाये. झाड़-फूंक से बेटा ठीक नहीं हुआ, तो जैसे-तैसे अस्पताल ले गये. उन्होंने बताया कि अस्पताल में भी उसका ठीक से इलाज नहीं हुआ और बेटे की मौत हो गयी. उपेंद्र के पिता ने कहा कि पैसे के अभाव में एक बेटे को तो खो ही दिया, दूसरे बेटे की भी जान चली जाती.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि उपेंद्र का छोटा भाई, जिसकी उम्र 4-5 साल होगी, भी मलेरिया से पीड़ित है. उसे भी मेदिनीनगर सदर अस्पताल रेफर किया गया था. पिता दोनों बेटों को लेकर मेदिनीनगर पहुंचे. यहांबड़े बेटे की देर रात मौत हो गयी. शव लेकर गांव लौटना था. लेकिन, अस्पताल से छोटे बेटे को छुट्टी नहीं दी गयी. लाख मिन्नतें कीं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था. अंत में पैसे लेकर छोटे बेटे को घर ले जाने की अनुमति मिली.
अब तक 16
1. सेमरटांड टोला निवासी विदेशी सिंह का पुत्र शंभु सिंह(6 वर्ष)
2. रामचंद्र साव की पत्नी मंजु देवी (50 वर्ष)
3. बिचला टोला निवासी गोकुल दास की पत्नी शोभा देवी(50 वर्ष)
4. कहुआलेवाड़ टोला निवासी संतोषी भुइयां की पत्नी बंधिया देवी(40 वर्ष)
5. पीतांबर भुइयां की पुत्री सोनम कुमारी(8 वर्ष)
6. कुलदीप भुइयां (50 वर्ष)
7. रामदेव भुइयां (50 वर्ष)
8. नरेश भुइयां (50 वर्ष)
9. मंगराही गांव निवासी विसुनदेव सिंह का पुत्र धनेश्वर सिंह (6 वर्ष)
10. कसमार गांव निवासी सुकनी देवी (35 वर्ष)
11. बेलवादामर गांव निवासी लल्लू सिंह
12. तुकुलखांड़ टोला निवासी सूरजदेव सिंह की पुत्री (7 वर्ष)
13. संजय भुइयां का पुत्र अजित कुमार (5 वर्ष)
14. कुरुमदारी गांव निवासी लोदो मुंडा के पुत्र रोहित कुमार(10 वर्ष)
15. सूरज मुंडा(8 वर्ष)
16. जतन कोरवा का पुत्र उपेंद्र कोरवा
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5 दर्जन लोग मलेरिया से पीड़ित
सात दिन में मलेरिया से 16 लोगों की मौत हो चुकी है. इसीदौरान 5 दर्जन से अधिक मरीज मलेरिया से पीड़ित मिले हैं. इनमें दो दर्जन लोगों की स्थिति गंभीर है. सभी का सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है. बड़ी संख्या में लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी पहुंच रहे हैं. कई लोगों का वहां भी इलाज चल रहा है.