गढ़वा में शिक्षक के अभाव में बंद पड़ा है 105 वर्ष पुराना प्रमोद संस्कृत विद्यालय

इसे लेकर प्रबंध समिति ने एक प्रेसवार्ता कर राज्य सरकार पर जिले की इस धरोहर को बंद करने और मदरसा को तरजीह देने का आरोप लगाया है़ प्रेसवार्ता में सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक प्रभात कुमार सिन्हा ने कहा कि संस्कृत विद्यालय की स्थापना वर्ष 1915 में की गयी थी

By Prabhat Khabar News Desk | July 31, 2021 1:57 PM

जिला मुख्यालय के सोनपुरवा में 105 वर्ष पूर्व स्थापित प्रमोद संस्कृत विद्यालय शिक्षकों के अभाव में बंद हो गया है़ विद्यालय में दो साल से ताला लटका है. विद्यालय के इकलौते शिक्षक सिकंदर राम की इसी वर्ष कोरोना से मौत हो चुकी है. स्कूल को पुन: खुलवाने को लेकर प्रबंध समिति का गठन किया गया है, जिससे अध्यक्ष चंदन जायसवाल ने स्कूल खुलवाने की कवायद तेज कर दी है़

इसे लेकर प्रबंध समिति ने एक प्रेसवार्ता कर राज्य सरकार पर जिले की इस धरोहर को बंद करने और मदरसा को तरजीह देने का आरोप लगाया है़ प्रेसवार्ता में सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक प्रभात कुमार सिन्हा ने कहा कि संस्कृत विद्यालय की स्थापना वर्ष 1915 में की गयी थी और वर्ष 1930 में सरकार से मान्यता मिली और वर्ष 1989 में राज्य सरकार ने बिहार के 429 संस्कृत विद्यालयों का अधिग्रहण किया.

वर्ष 1978 में तत्कालीन राज्य सरकार ने इस विद्यालय में वर्गीकरण किया और स्तर निर्धारित कर नवीन प्रणाली शुरू की गयी. इसके तहत संस्कृत से हटाकर यहां सामान्य पढ़ाई शुरू कर दी गयी. पहले मध्यमा से आचार्य तक की पढ़ाई होती थी.

उन्होंने कहा कि विद्यालय के अधिग्रहण के बाद तत्कालीन सरकार इससे संबंधित अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित नहीं करा सका. तब शिक्षक हाई कोर्ट पटना और फिर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की शरण में पहुंचे, जहां सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विद्यालय का सरकारी करण नहीं हो सकता. लेकिन राज्य सरकार इसमें 10 प्रतिशत की राशि की बढ़ोत्तरी कर शिक्षकों को दें. साथ ही कहा कि संस्कृत विद्यालय के सभी शिक्षकों को सरकारी कर्मियों की तरह वेतन भत्ता और इसमें कार्यरत कर्मियों को सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन आदि की सुविधा राज्य सरकार दे. प्रेसवार्ता में उपरोक्त के अलावा अमित कुमार मिश्रा उपस्थित थे.

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